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Road Accident: वाहन चलाने वालों को इन बातों का रखना चाहिए ख्याल

रोड हादसों के समय क्या होता है? अगर हम समझेंगे तो, हम जिंदगी बचाने की स्थिति में होंगे.

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भारतीय सड़कों पर हर घंटे 17 लोगों की मौत है और सड़क हादसों की वजह से दिन भर में 29 बच्चे अपनी जान गवा देते हैं. अभी-अभी भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत के साथ एक हादसा हुआ है. तसल्ली की बात रही कि उनको कोई मेजर इंजरी नहीं हुई. हालांकि वो कब मैदान पर उतर पाएंगे इस पर अभी सवाल है. उनकी कार की हालत देख कुछ लोग ये सोच कर ताजुब कर रहे होंगे कि जब कार इतनी बुरी तरह से तबाह हो गई तो उसमें बैठे इंसान पर इसका क्या असर पड़ा होगा पर, गनीमत है कि उनकी जान बच गई और उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं आयी. आखिर इस तरह के रोड हादसों के समय होता क्या है? हादसे के समय शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? किन परिस्थितियों में बचने की संभावना अधिक होती है? ऐसे ही कई जरुरी सवालों के जवाब जानने के लिए फिट हिंदी ने मेदांता इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर और एनेस्थीसिया के चेयरमैन डॉ. यतिन मेहता से बातचीत की.

एक्सीडेंट के वक्त शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

"चोट कितनी गंभीर लगी है और उस चोट से कितने अंग जूझ रहे हैं इस बात पर एक्सीडेंट का शरीर पर प्रभाव निर्भर करता है. छाती में चोट आने पर सांस लेने में मुश्किल होगी, ब्लड प्रेशर गिर सकता है. अगर दिमाग पर चोट लगी है, तो आप बेहोश हो सकते हैं. पेट में चोट आयी है, तो ब्लीडिंग इंटरनल भी हो सकती है और ब्लड प्रेशर डाउन हो सकता है. पसीना आने लगेगा, हार्ट रेट बढ़ जाएगी और जितनी जोर से चोट लगी है दर्द भी उसी हिसाब से होगा" ये कहना है डॉ. यतिन मेहता का.

एक्सीडेंट से कैसे होती है मौत?

डॉ. यतिन मेहता फिट हिंदी को बताते हैं कि अगर ज्यादा चोट लगी है, इंटरनल इंजरी हुई है या बाहर खून बह रहा है, तो ब्लीडिंग की वजह से सबसे पहली चीज होती है शरीर में खून की कमी, ब्लीडिंग बाहर भी हो सकती है या अंदर भी. खून ज्यादा बहा है, तो आपका हार्ट रेट बढ़ जाएगा, आपका ब्लड प्रेशर कम होगा और फिर धीरे-धीरे होश जाता जाएगा. मामला गंभीर होने पर घायल व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. दूसरा अगर आपको सिर में चोट लगी है, जो कि गंभीर नहीं हो तो सिर दर्द, उल्टी की शिकायत हो सकती है और बेहोश भी हो सकते हैं. अगर छाती में चोट लगी है और फेफड़ों में इंजरी हुई है और रिब्स में चोट आयी है, तो सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. हाथों की उंगलियां और जबान नीली हो जायेंगी. घायल व्यक्ति बेहोश हो जाएगा.

किन परिस्थितियों में बचने की संभावना अधिक होती है?

अगर आपको इंटरनल इंज्यूरीज नहीं है. किडनी, लंग डैमेज नहीं हुआ है और अगर सिर में चोट अंदर की तरफ नहीं आयी हो या सिर्फ हड्डियां टूटी हो तो एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति के सर्वाइवल (survival) के चांस बढ़ जाते हैं. अगर इंटरनल चोट है, फेफड़ों में चोट लगी है या आपके दिल को चोट लगी है जैसे कि दिल की सबसे बड़ी आर्टरी ओटा में चोट आयी हो, तो सर्वाइवल के चांस कम होते जाते हैं.

वाहन चलाने वालों को किन बातों का रखना चाहिए ख्याल?

डॉ. यतिन मेहता ने लोगों से वाहन सावधानी से चलने की बात कही. उन्होंने वाहन चलते समय इन बातों का ध्यान रखने को कहा.

  • सड़क पर 2 पहिया और 4 पहिया वाहन चलाने के नियम का पालन करें.

  • अगर मोटर साइकिल या स्कूटर चला रहे हैं, तो हेलमेट पहनें.

  • रोड के गलत साइड में कभी भी गाड़ी नहीं चलाएं.

  • लाल बत्ती पर जरुर रुकें, जंप करने की कोशिश नहीं करें.

  • वाहन की स्पीड लिमिट में रखें.

  • गाड़ी में आगे और पीछे बैठे लोग सीट बेल्ट पहनें.

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