ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘अप्रैल फूल’ न बना दे कोरोना? 5 प्वाइंट में हालात की गंभीरता समझिए

कोरोना वायरस के ये 5 आंकड़े एक चेतावनी हैं. मूर्ख न बनें, सभी नियमों का पालन करें.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मास्क नहीं पहनेंगे. बाहर घूमने भी जाएंगे. अब हाथ सैनिटाइज करने की जरूरत क्या है? कोरोना अब तो खत्म हो गया...

आप भी ऐसा सोचने वालों में से हैं तो आपको कोरोना अप्रैल फूल बना रहा है, मजाक वाला नहीं, सचमुच वाला. मूर्ख न बनिए और सारे कोविड प्रोटोकॉल का पालन कीजिए. 5 प्वाइंट में समझिए हालत कितनी खराब है देश में..और कुछ मामलों में तो पिछले साल से भी खराब.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1. 6 महीने बाद रिकॉर्ड तोड़ नए केस

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है और संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. 1 अप्रैल को 172 दिन बाद पहली बार रिकॉर्ड 72 हजार से ज्यादा नए कोरोना केस दर्ज किए गए हैं. लगातार आठवें दिन 50 हजार से ज्यादा कोरोना केस आए हैं.

एक समय ऐसा था जब देश में कोरोना संक्रमण की संख्या घटने लगी थी. इस साल 1 फरवरी को 8635 नए कोरोना केस दर्ज किए गए थे. एक दिन में कोरोना मामलों की ये संख्या इस साल सबसे कम थी. लेकिन अब मामला बिल्कुल पलट चुका है.

दूसरी लहर के बावजूद डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स को राहत थी कि मौतों की संख्या और हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम दर्ज हो रही हैं. सरकार भी इसका हवाला दे रही थी. लेकिन 5 दिसंबर के बाद पहली बार एक दिन में 450 से ज्यादा संक्रमितों की मौत हुई है. रिकवरी दर में भी गिरावट आई है और ये घटकर 93.89% हो गई है.

बाजार जाते वक्त, ट्रेन, फ्लाइट में सफर के दौरान अगर आप कोरोना नियमों को हल्के में लेने लगे हैं तो सचेत हो जाएं क्योंकि पहली लहर की तुलना में इस बार संक्रामकता ज्यादा है.

2. पहली लहर की तुलना में मामलों में तेजी से बढ़त

कोरोना वायरस के ये 5 आंकड़े एक चेतावनी हैं. मूर्ख न बनें, सभी नियमों का पालन करें.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

3. 1 लाख मामलों में सबसे तेज बढ़त

कोरोना वायरस के ये 5 आंकड़े एक चेतावनी हैं. मूर्ख न बनें, सभी नियमों का पालन करें.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर आप ये सोच रहे हैं कि कोरोना का प्रकोप कुछ राज्यों में ही सीमित है और इससे आप पर कोई असर नहीं पड़ सकता तो आपको दिल्ली के हालात को देखकर सोच बदलने की जरूरत है.

4. दिल्लीवासियों को भी राहत नहीं!

दिल्ली में आंकड़े फिलहाल बाकी राज्यों की तुलना में कम है. लेकिन हालात कब बदल जाएं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने 7 मार्च को कहा था कि-

“कोरोनावायरस दिल्ली में एंडेमिक फेज के करीब है. विशेषज्ञों का कहना है कि एंडेमिक फेज में कुछ मामले सामने आते रहते हैं. एंडेमिक फेज का मतलब है बीमारी का बने रहना, जैसे स्वाइन फ्लू आया था जिस समय शुरू हुआ था तेजी से आया था लेकिन उसके बाद हर साल कुछ केस आते हैं. कोरोनावायरस पूरी तरह खत्म नहीं होने जा रहा है... हमें इसके साथ जीना सीखना होगा.”
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसपर आपत्ति जताते हुए कहा था- “मौजूदा स्टेज को महामारी के खात्मे या एंडेमिक कहना ठीक नहीं है. ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से म्यूटेशन वायरस का हमला अभी भी हमारे सिर पर मंडरा रहा है.”

दरअसल, एंडेमिक फेज- बीमारी का अंतिम स्तर नहीं हो सकता है- जो कि शून्य है- बल्कि ये अपेक्षित स्तर है.

फरवरी में दिल्ली में मामले कम होने के बाद 10 मार्च को दोबारा उनमें 140% की बढ़त दिखी और ये बढ़त जारी है.

20 दिन में इस तरह बढ़े मरीज

  • 10 मार्च  544 मरीज
  • 15 मार्च  607 मरीज
  • 20 मार्च  868 मरीज
  • 25 मार्च  1094 मरीज
  • 30 मार्च  1584 मरीज
  • 31 मार्च 1819 मरीज

दिल्ली में इस वक्त कोरोना वायरस के केस ही नहीं, इससे मौत का ग्राफ भी तेजी से चढ़ रहा है. इस महीने में अब तक 102 लोगों की जान कोरोना वायरस ने ली है जो फरवरी से करीब दोगुनी है. अहम बात ये है कि इस महीने हुई कुल मौत में से 44% सिर्फ बीते एक हफ्ते में ही रिपोर्ट की गई हैं.

5. कोरोना का सेकंड वेव है सबूत, हर्ड इम्युनिटी की थ्योरी थी गलत?

पिछले साल के व्यापक संक्रमण के बाद ये अनुमान लगाया जा रहा था कि भारत के कुछ हिस्सों में हर्ड इम्युनिटी आ चुका है. लोगों को भी लग रहा था कि वैक्सीन लगवाने से पहले ही शायद हर्ड इम्युनिटी आ जाए और कोरोना वायरस से बचाव हो जाए.

अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर, डॉ. शाहिद जमील जो एक वायरोलॉजिस्ट भी हैं- वो कहते हैं,

“भारत में हम हर्ड इम्युनिटी की तरफ बढ़ रहे थे लेकिन हमने इसे अचीव नहीं किया. मामलों में बढ़त भी यही बता रहा है कि ऐसा नहीं हुआ. बड़े शहरों के सर्वे ने 50-60 % सीरोपॉजिटिविटी दिखाई, छोटे शहरों में 30% और पूरे भारत की बात करें तो 20%.”
डॉ. शाहिद जमील
सितंबर में कोरोना के पीक पर, भारत में एक दिन में करीब 100000 नए संक्रमण के मामले दर्ज हो रहे थे. दिसंबर और जनवरी में किए गए एक राष्ट्रव्यापी सीरोप्रेवलेंस सर्वे से पता चला कि हर पांचवें भारतीय में एंटीबॉडी है, अन्य स्टडी से पता चला कि पुणे, बेंगलुरु जैसे मेट्रोपोलिज में एक्सपोजर कहीं अधिक था.

एक्सपर्ट्स चिंतित है कि तेजी हाई सीरोप्रिवलेंस वाले क्षेत्रों में हो रही है. यानी जहां अनुमान था कि हर्ड इम्युनिटी पाना आसान है, वो इलाके ज्यादा प्रभावित हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×