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किन चीजों से जहरीली हो जाती है देसी शराब?

भारत में अवैध देसी शराब पीने से हर दिन 15 लोगों की मौत होती है.

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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर जहरीली शराब से मौत का मामला सामने आया है. ताजा मामला बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र स्थित रानीगंज का है, जहां जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई और 38 लोग बीमार हो गए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस शराब से लोगों की मौत हुई है, उसे देसी शराब के ठेके से खरीदा गया था.

उत्तर प्रदेश में आए दिन जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आ रहे हैं. मगर इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लग रही. कुछ समय पहले सहारनपुर और कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से भारी संख्या में मौतें हुई थीं. इसी साल असम में भी जहरीली शराब पीने से 150 लोगों की मौत हो गई थी.

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साल 2011 में पश्चिम बंगाल में 172 और 1999 गुजरात में 136 लोगों की जान देसी शराब की वजह से चली गई थी.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में अवैध शराब पीने से कुल 1522 लोग मारे गए थे.

उससे पहले 2013 के नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर इंडियास्पेंड नामक संस्था ने अनुमान लगाया था कि भारत में अवैध देसी शराब पीने से हर 96 मिनट में एक यानी हर दिन 15 लोगों की मौत होती है.

वो क्या चीज है, जो देसी शराब को जानलेवा बनाती है?

भारत में अवैध देसी शराब पीने से हर दिन 15 लोगों की मौत होती है.

भारत में वैध लाइसेंस से जो शराब बनाई जाती है, उसे आईएमएलएफ कहा जाता है यानी इंडियन मेड फॉरेन लीकर. इसे चीनी मिलों के एक बाइ-प्रोडक्ट्स मोलसेज (शीरे) से बनाया जाता है. लेकिन ये काफी महंगी होती है. एक बोतल करीब 300-400 रुपए की होती है.

इसके विपरीत गन्ने के रस से बनाई जाने वाली अवैध देसी शराब सिर्फ 30-40 रुपए में मिल जाती है.

अपोलो हॉस्पिटल, ईंटर्नल मेडिसिन, सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. सुरनजीत चटर्जी के अनुसार देसी शराब को बनाने के लिए बहुत ही सस्ते किस्म के मिश्रण का इस्तेमाल उसके जहरीले होने की वजह बन सकता है. सरकार को इसे लेकर सख्त कदम उठाने चाहिए.

मेथेनॉल और अमोनियम नाइट्रेट

बी.बी.सी में पब्लिश एक लेख के अनुसार देसी शराब को और ज्यादा कड़वा या असरदार बनाने के लिए शराब के ठेकेदार उसमे मेथेनॉल या अमोनियम नाइट्रेट मिलाते हैं. मेथेनॉल या अमोनियम नाइट्रेट जब तक कम मात्रा में मिलाया जाता है, तब तक लोग आराम से पी लेते हैं लेकिन जैसे ही किसी दिन मेथेनॉल की मात्रा ज्यादा कर दी जाती है, उसको पीने से लोगों की मौत हो जाती है.

ये भी माना जाता है की मेथेनॉल शराब के लिए एंटीफ्रीजर की तरह होता है.

मेथेनॉल की अधिकता शराब को टॉक्सिक बना सकती है. मेथेनॉल जब शरीर में मेटाबोलाइज होता है, तो वो फार्मेल्डिहाइड (कार्बनिक यौगिक) बनाता है और फार्मेल्डिहाइड शरीर में फॉर्मिक एसिड बनाता है. ये चीज शरीर के लिए जहरीली होती है. जिसकी वजह से शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं.
डॉ चटर्जी
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जहरीली शराब का असर

डॉ चटर्जी कहते हैं कि अगर इसके हल्के असर की बात की जाए तो ये लक्षण हो सकते हैं-

  • उल्टी
  • दस्त
  • मितली आना
  • पेट में दर्द

लेकिन अगर इसकी अति हो जाए, तो कई मामलों में ये बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. जैसे-

  • नजर धुंधली होना
  • आंख की रोशनी तक जा सकती है
  • शरीर में एसिडोसिस बनाने लगता है, जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिसकी वजह से मौत हो सकती है
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किसी को जहरीली शराब पी लेने के बाद बचाना मुमकिन है?

इस तरह का हादसा ज्यादातर दूर-दूराज के इलाकों में होता है, वहां आम तौर पर मेडिकल सुविधाएं बहुत बेहतर नहीं होती है और कम्यूनिकेशन भी इतना आसान नहीं होता है कि उन्हें फौरन शहर के बड़े अस्पताल में भर्ती करवा दिया जाए.

अगर एंटीडोट की बात करें डॉक्टर मरीज को इथेनॉल देते हैं.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार इथेनॉल का इस्तेमाल एंटीडोट के रूप में इसलिए करते हैं क्योंकि इथेनॉल मेथेनॉल की वजह से जहर फैलने की प्रक्रिया में देरी कर देता है.

जहरीली शराब के साइड इफेक्ट्स को कम करने के लिए या जहरीले तत्व शरीर से निकालने के लिए मरीज का डायलिसिस करने की जरूरत पड़ती है.

अगर डायलिसिस करने की आवश्यकता नहीं होती है, तो डॉक्टर्स एसिडोसिस को खत्म करने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट (एक प्रकार का एंटाएसिड) देते हैं.

डॉ सुरनजीत चटर्जी बताते हैं, ‘ अगर किसी को इलाज के लिए फौरन अस्पताल लाया गया है, तो पेट की धुलाई (स्टमक वॉश) भी मददगार हो सकता है, लेकिन अगर देर हो गई है तो इसका कोई फायदा नहीं है. ‘

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