करियर का तनाव, नौकरी का प्रेशर, एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़. इन सभी कारणों से युवा वर्ग तेजी से डिप्रेशन की गिरफ्त में आ रहा है. हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
- भारत में लगभग 5 करोड़ लोग डिप्रेशन से पीड़ित
- लगभग 3 करोड़ लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार
- दुनियाभर में 33 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से ग्रसित
- आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह मानसिक तनाव (डिप्रेशन)
- 2005 से 2015 के बीच डिप्रेशन के मामलों में 18.4 फीसदी की बढ़ोतरी
- 2015 में लगभग 8 लाख लोगों ने तनाव की वजह से की आत्महत्या
सोर्सः WHO- डिप्रेशन एंड कॉमन मेंटल डिसॉर्डर्स- ग्लोबल हेल्थ रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का मानना है कि मानसिक विकार जैसी दिक्कतों का सामना दुनिया भर के लोग कर रहे हैं. यूनाइटेड नेशंस ने भी इस साल विश्व स्वास्थ्य दिवस का थीम ‘डिप्रेशन’ रखा है. सरकार की तरफ से ‘मेंटल हेल्थकेयर बिल’ को मंजूरी दी जा चुकी है.
बदलती लाइफस्टाइल है बड़ी वजह
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अरुणा ब्रूटा के अनुसार आज की भागमभाग वाली जिंदगी में लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल गई है. इसने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक तौर पर भी काफी नुकसान पहुंचाया है. पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच तालमेल की कमी. रिश्तों में कलह और कई दूसरे कारणों की वजह से अक्सर इंसान काफी तनाव लेता है. लंबे समय तक तनाव लेने की वजह से अक्सर डिप्रेशन और दूसरे मानसिक विकारों का जन्म होता है.
ड्रग और शराब के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल, नकारात्मक सोच, धैर्य की कमी डिप्रेशन जैसी तमाम मानसिक बीमारियों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. किसी प्रिय व्यक्ति का गुजरना, आत्म-सम्मान को ठेस लगना, नौकरी का दबाव जैसी कई चीजें हैं जो मनोविकार की वजह बन सकती हैं.
निगेटिविटी हावी होने पर होगी परेशानी
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारीख के मुताबिक, ज्यादातर मानसिक रोगों के लक्षण लगभग एक समान होते हैं. आमतौर पर मानसिक बीमारी से पीड़ित अकेले रहना पसंद करते हैं. किसी भी काम में इनका मन नहीं लगता. एकाग्रता में समस्या, कमजोर याद्दाश्त, कई बार समझने में मुश्किल, अपने आप में खोए रहना और इच्छा की कमी, उदासीनता इनमें काफी होती है. दबे-सहमे रहना या काफी आक्रामक होना, बात-बात पर गुस्सा होना, आत्महत्या की कोशिश करने की आदतें इनमें देखी जा सकती है.
पॉजिटिव एनर्जी से होगी परेशानी दूर
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (इहबास), दिल्ली के डायरेक्टर और सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. निमेष देसाई के मुताबिक, मानसिक बीमारी लाइलाज नहीं है. समय रहते उचित इलाज और काउंसलिंग से यह आसानी से ठीक हो सकती है. डिप्रेशन या मानसिक समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मिलकर सलाह लेनी चाहिए. हमेशा सकारात्मक सोच रखने से काफी मदद मिलेगी.
बीमारी की जल्द पहचान, जल्द इलाज मानसिक रोग में सबसे मददगार साबित होते हैं. किसी भी तरह के मानसिक रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना फायदेमंद साबित होता है. इसका इलाज पूरी तरह से संभव हैसमीर पारीख, डायरेक्टर ऑफ मेंटल हेल्थ, फोर्टिस हेल्थकेयर
योग भगाए डिप्रेशन के रोग
योग सभी तरह की मानसिक बीमारियों को भगाने में काफी मददगार है. योगी डॉ. अमृत राज का कहना है कि मानसिक विकार को दूर करने में योग थेरेपी काफी कारगर है. अष्टांग योग-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि का पालन कर मनोरोग को बेहतर तरीके से खत्म करने में मदद मिलती है.
रोज एक घंटे के योगाभ्यास, जिसमें से 30 मिनट योगासन, 15 मिनट प्राणायाम और 15 मिनट ध्यान करने पर मनोविकार की समस्या को दूर किया जा सकता है.
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