साल 2017 में आई एक खबर भविष्य के किसी साइंस-फिक्शन नॉवेल की कहानी जैसी लगती है- गूगल, ऐप्पल और फेसबुक जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने अपनी महिला कर्मचारियों को पहली बार कंपनी के खर्च पर अपने एग्स फ्रीज कराने का विकल्प दिया.
आइए अब सीधे 2022 में चलते हैं. एक वैश्विक महामारी की लाई गई अनिश्चितताओं ने सबको घेर रखा है, और पहले से कहीं ज्यादा महिलाएं अब अपने एग्स को पर्सनल बीमा योजना के तौर पर फ्रीज करने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं.
सच पूछिए तो इसका कोई डेटा नहीं है कि कितनी महिलाएं अपने एग्स फ्रीज करवा रही हैं, क्योंकि यह अभी भी एक ढका-छिपा मामला है जिसके बारे में बहुत कम लोग खुलकर बात करने को तैयार होते हैं.
एग्स फ्रीजिंग से पर्दा उठाने के लिए फिट ने उन महिलाओं से बात की, जिन्होंने यह जानने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया कि यह असल में किस तरह किया जाता है.
जिन दो महिलाओं से हमने बात की, उन्होंने अपना नाम न छापने का अनुरोध किया.
‘अपनी बॉडी क्लॉक के खिलाफ दौड़ते हुए थक चुकी थी’
36 साल की शालिनी (बदला हुआ नाम) का कहना है कि वह वह विकल्प खुले रखना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने नवंबर में अपने एग्स फ्रीज करवाए.
“मैं यह इसलिए करवाना चाहती थी ताकि मुझ पर बायोलॉजिकल चक्र के हिसाब से किसी को खोजने का दबाव न रहे और सिर्फ इस वजह से शादी न करनी पड़े. मुझे वह मौका और आजादी मिले जिसकी मुझे जरूरत है.”शालिनी (बदला हुआ नाम)
उन्होंने कहा, “मैंने पहली बार इसके बारे में तब सुना जब मैं 30-32 साल की थी. यह एक प्रोसीजर है, जिसे आप कर सकती हैं अगर आप अपने विकल्प खुले रखना चाहती हैं, और जिस समय एक्सट्रैक्शन किया जाता है उस समय आप शादी के लिए तैयार नहीं होती हैं.”
शालिनी की ही तरह 35 साल की दिव्या (बदला हुआ नाम) ने भी ‘अपने विकल्प खुले रखने’ के लिए एग्स फ्रीज कराने का फैसला लिया.
दिव्या कहती हैं, ‘'मैं अभी-अभी एक लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप से बाहर आई हूं और मुझे पता है कि मैं फिलहाल जल्द शादी नहीं करने वाली हूं.”
“मैंने ये करने से पहले इसके बारे में बहुत सोचा. मुझे पता है कि मैं कभी न कभी बच्चे पैदा करना चाहूंगी और जितने समय तक किया जा सकता है, मैं उस विकल्प को सुरक्षित रखना चाहती हूं.”दिव्या (बदला हुआ नाम)
इसकी प्रक्रिया क्या है?
दिल्ली के फोर्टिस ला फेमे में, OBS और गायनी विभाग की निदेशक डॉ. मीनाक्षी आहूजा बताती हैं कि पूरी प्रक्रिया 10 से 12 दिन चलती है, लेकिन यह काफी आसान है.
“यह पक्का करने के लिए कि आप स्वस्थ हैं और प्रोसीजर आपके लिए सुरक्षित है, एक के बाद एक कई टेस्ट किए जाते हैं. फिर पीरियड्स के बाद 7-10 दिनों तक रोजाना कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं और फिर एनेस्थीसिया या बेहोश करने की प्रक्रिया के साथ एक दिन की प्रक्रिया में एग्स निकाले जाते हैं.”डॉ. मीनाक्षी आहूजा, निदेशक, ओबीएस एंड गायनी, फोर्टिस ला फेमे, दिल्ली
शालिनी बताती हैं कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें कोई लक्षण या परेशानी महसूस नहीं हुई.
“मुझे बिल्कुल समस्या नहीं हुई. मुझे एनेस्थीसिया से होश में आने में थोड़ा समय लगा, लेकिन एक बार जब मैं होश में आ गई तो मैं फौरन काम पर वापस आ गई.”शालिनी (बदला हुआ नाम)
हालांकि दिव्या का कहना था कि एक्सट्रैक्शन से पहले के दिनों में कुछ परेशानी का अनुभव हुआ. “यह मामूली सी थी, आप जानती हैं कि आपके पीरियड्स कब आने वाले है, लेकिन यह अभी तक नहीं आई है. मुझे भारीपन और थकावट महसूस होती थी और कभी-कभी थोड़ी मितली आती थी.”
नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, मुंबई में क्लीनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट डॉ. ऋचा जगताप कहती हैं कि ऐसा होना सामान्य है.
वह कहती हैं, “ज्यादातर महिलाओं में पीरियड्स से पहले के लक्षणों जैसे लक्षण होंगे, जिसमें थोड़ा भारीपन महसूस हो सकता है, हल्की सूजन हो सकती है, और उन्हें कुछ किस्म के फूड्स के लिए थोड़ी संवेदनशीलता हो सकती है, जिससे उन्हें तेल वाले मसालेदार खाने को पचाने में मुश्किल होती है.”
वह कहती हैं कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे जरूरत के मुताबिक आपके पीरियड्स को तेज चला रहे हैं, जिससे कि वे एक साथ कई एग्स ले सकें.
वह कहती हैं, “अगर हमारे पास कम से कम 12 एग्स होंगे तो महिला जब उन्हें इस्तेमाल करना चाहेगी तो हमारे पास अच्छे नतीजे के लिए बेहतर मौके होंगे.”
“महिला को एग्स पैदा करने के लिए हार्मोंस के इंजेक्शन दिए जाते हैं. ये वही हार्मोंस हैं, जो महिला के शरीर में मौजूद होते हैं और वे आमतौर पर इस तरह रिलीज होते हैं कि हर महीने केवल एक एग विकसित होता है. हम इन हार्मोंस की डोज थोड़ी बढ़ा देते हैं, ताकि हम कई एग्स पैदा कर सकें और उन्हें बड़ी संख्या में हासिल कर सकें. इसलिए ये वही बदलाव हैं जो वे अपने पीरियड्स के दौरान अनुभव करती हैं.”डॉ. ऋचा जगताप, क्लीनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, मुंबई
वह कहती हैं, नियमित पीरियड्स के लक्षणों की तरह उनमें से कुछ लोगों को ज्यादा का अनुभव हो सकता है, और कुछ लोगों को कोई लक्षण नहीं हो सकता है.
इसका सामना करने के लिए डॉ. जगताप अपने क्लाइंट को सादा खाना खाने और प्रोसीजर के दौरान शारीरिक व्यायाम जारी रखने की सलाह देती हैं.
डॉ. जगताप इस प्रक्रिया में बेहतरी के लिए यह भी सुझाव देती हैं, “देरी करने के बजाय एग्स को जल्द से जल्द फ्रीज करना सबसे बेहतर है.”
“ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, एग्स की संख्या में गिरावट आती जाएगी. और अगर आपको अपने एग्स फ्रीज करवाने हैं, तो हमेशा यही बेहतर होगा कि जब आपकी उम्र कम हो तब करें, न कि तब जब आप अपनी प्रजनन क्षमता के खत्म होने के कगार पर हैं.”डॉ. ऋचा जगताप, क्लीनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, मुंबई
लेकिन अपने एग्स को जल्दी फ्रीज करवाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं होता है.
दिव्या बताती हैं, “मैं यह जल्द करना पसंद करती, लेकिन यह प्रक्रिया महंगी है, और मैं तीस साल की उम्र से पहले, जब यह बेहतर काम करता, इसका खर्च नहीं उठा सकती थी”.
अकेले ही करना पड़ा सबकुछ
दिव्या ने इस प्रोसीजर को समाज की नजर में अच्छा नहीं माने जाने के बारे में भी बात करती हैं और बताती हैं कि कैसे पूरा सफर उनको अकेले ही तय करना पड़ा.
“मैंने अपने मां-बाप, दोस्तों या किसी को भी नहीं बताया. और जाहिर है कि मेरा कोई पार्टनर नहीं है. शायद यह इसका सबसे कठिन हिस्सा था, सब कुछ अकेले ही करना पड़ा. प्रोसीजर के दौरान मेरा हाथ थामे कोई साथ होता तो अच्छा लगता. आप समझ सकती हैं?"
वह आगे कहती हैं, मैंने अपने मां-बाप से इस पर बात नहीं की. न ही मैंने दोस्तों से इस बारे में बात की. वह कहती हैं, लेकिन डॉक्टरों की एक मददगार टीम होने के कारण, उनके लिए यह कमी पूरी हो गई.
“वे मेरे साथ बहुत सब्र से पेश आ रहे थे, और उन्होंने मुझे यह समझाने में काफी समय दिया. मैंने इसके बारे में नया-नया सुना था और मैंने उनसे यह कहते हुए संपर्क किया था कि मैं यह करना चाहती हू.”शालिनी (बदला हुआ नाम)
शालिनी कहती हैं, “काश लोग इस प्रोसीजर के बारे में ज्यादा जागरूक होते और इसके बारे में सोचना शुरू करते और दबाव में नहीं आते.”
“मैं जानती हूं कि मैंने अपने मां-बाप और अपने परिवार, अपने ननिहाल-ददिहाल के लोगों और रिश्तेदारों के साथ बात करती तो डराते कि तुम्हारी बायोलॉजिकल क्लॉक का समय बीतता जा रहा है.”शालिनी (बदला हुआ नाम)
वह आगे कहती हैं, “बल्कि मैं तो यह चाहती हूं कि लोग अपने पास मौजूद विकल्पों के बारे में जागरूक हो जाएं ताकि महिलाओं को इससे अपने करियर के मामले में आजादी मिल सके. मामला करियर का न हो तो भी उन पर सिर्फ इसके लिए शादी करने या शादी का दबाव डालने की जरूरत नहीं है कि घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रही हैं.”
विशेषज्ञ की राय: मिथक और गलतफहमियां
डॉ. ऋचा जगताप बताती हैं कि लोग अक्सर यह नहीं जानते कि एग्स निकालने के बाद उन्हें प्राकृतिक तरीके से फर्टिलाइज नहीं किया जा सकता.
वह बताती हैं, “इन एग्स को उनके प्राकृतिक माहौल से लिया जा रहा है, और उन्हें प्रयोगशाला में फ्रीज किया जा रहा हैं, इसलिए, निश्चित रूप से, जब वे प्रेगनेंसी के लिए इन एग्स का इस्तेमाल करना चाहेंगी, तो हमें इन एग्स को पिघलाना होगा और उन्हें लैंब में फर्टिलाइज करना होगा ताकि वे एक एम्ब्रियो बना सकें और इसे वापस यूटेरस में डाल दिया जाए. इस प्रक्रिया को आईवीएफ से गुजरना होगा.”
डॉ. जगताप यह भी बताती हैं कि आपके एग्स फ्रीज करना भविष्य में बच्चे की गारंटी नहीं है.
लेकिन वह इसे जल्दी करने के महत्व पर जोर देते हुए कहती हैं, “महिला 37 साल की उम्र से पहले अपने एग्स फ्रीज करती है तो उसके प्रेगनेंसी की उतनी ही अच्छी उम्मीद होती है, जितनी किसी के ताजे निकाले गए एग्स के साथ IVF का विकल्प चुनने पर होती.”
एग्स फ्रीजिंग के बारे में लोगों में कुछ और आम गलतफहमियों को दूर करते हुए डॉ. मीनाक्षी आहूजा साफ करती हैं,
यह प्रोसीजर ओवरी (अंडाशय) को नुकसान नहीं पहुंचाती या आपको ओवेरियन कैंसर के खतरे में नहीं डालती है.
अगर आप अपने कुछ एग्स फ्रीज करती हैं, तो आप प्रोसीजर के बाद भी प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं. अगर जरूरी हो तो यह सिर्फ एक बैक-अप प्लान है.
फ्रीज किए एग्स आप जितने साल तक चाहें, रख सकती हैं. उनकी क्वालिटी खराब नहीं होती. (लोगों ने फ्रीज किए एग्स से 10 से 14 साल बाद भी सफल प्रेग्नेंसी पाई है.)
फ्रीज किए एग्स से पैदा होने वाले बच्चों में जन्मजात बीमारियों के ज्यादा जोखिम के कोई सबूत नहीं हैं.
हालांकि, इस बात को याद रखना चाहिए कि कुछ महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी को उनके 40 साल की उम्र के बाद तक ले जाना कठिन हो सकता है.
डॉ. जगताप कहती हैं, जहां तक पिघले और फर्टिलाइज्ड एग्स की सफलता दर की बात है, तो आंकड़े देना मुश्किल है.
“बहुत से पेशेंट एग फ्रीजिंग करते हैं और वे अपने फ्रीज किए एग्स के लिए वापस नहीं आते हैं. या तो उन्होंने बच्चे पैदा करने के खिलाफ फैसला किया है या जब उन्होंने चाहा तो स्वाभाविक रूप से सफलतापूर्वक गर्भधारण कर लिया है.”डॉ. ऋचा जगताप, क्लिनिकल डायरेक्टर और कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, मुंबई
वह आगे कहती हैं, “तो इस्तेमाल थोड़ा कम ही है.”
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