Women's Day 2023: महिलाएं समाज की आधी आबादी हैं और समाज के निर्माण में सशक्त भूमिका निभा रहीं हैं. आज के दौर में महिलाएं शिक्षा, पत्रकारिता, कानून, चिकित्सा, पुलिस, सेना, फैशन हर एक क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहीं हैं पर ज्यादातर महिलाओं को ऑफिस की जिम्मेदारियों के साथ ही घर की जि़म्मेदारी भी उठानी पड़ती है. दोनों तरह की जिम्मेदारी उठाने वाली ‘सुपरवुमन' महिलाओं में बढ़ता स्ट्रेस कई बीमारियों का कारण बनता जा रहा है.
आजकल स्ट्रेस के कारण भारतीय वर्किंग वुमन में कौन-कौन सी बीमारी बढ़ रही है? घर संभालने वाली वर्किंग महिलाओं क्यों हो रही हैं स्ट्रेस का शिकार? इससे कैसे बचें? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से इस बारे में बातचीत की और जाना महिलाओं में बढ़ते स्ट्रेस के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में.
आजकल स्ट्रेस के कारण भारतीय वर्किंग वुमन में कौन-कौन सी बीमारी बढ़ रही है?
बदलते वक्त ने कई महिलाओं को शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है. इसके बावजूद अगर कुछ नहीं बदला तो वो है महिलाओं की घरेलू जि़म्मेदारी. खाना बनाना और बच्चों की देखभाल अभी भी महिलाओं का ही काम माना जाता है. यानी अब महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है. जिसका असर उनकी सेहत पर पड़ता है. अधिकतर कामकाजी महिलाओं को कोई न कोई लाइफस्टाइल डिसॉर्डर रहता है.
"आजकल बहुत सारी महिलाएं घर और ऑफिस दोनों की जिम्मेदारी संभालती हैं. दोनों तरफ काम करते-करते वो एक ‘सुपर वुमन’ बनाने की कोशिश करती हैं. ‘सुपर वुमन’ बनते-बनते उनके अंदर बहुत सारा स्ट्रेस आ जाता है. इस वजह से ‘सुपर वुमेन’ महिलाओं में बढ़ रहा है हेल्थ रिस्क."डॉ. अंजना सिंह, डायरेक्टर एंड एचओडी, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
डॉ. अंजना सिंह आगे कहती हैं, " महिलाओं में स्ट्रेस की वजह से बढ़ रही है ये सभी बीमारियां:
पीसीओडी
हार्ट प्रॉब्लम
हाई ब्लड प्रेशर
डायबिटीज
डिप्रेशन
एंजाइटी
ओबेसिटी
पीएमएस
ऑफिस और घर संभालने की दोहरी जिम्मेदारी के कारण तनाव बढ़ता है और बीमारियां पैदा होती हैं. अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के चक्कर में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज करती है.
घर संभालने वाली वर्किंग वुमन क्यों हो रही हैं स्ट्रेस का शिकार?
"वर्किंग वुमेन की लाइफ के बारे में समझना थोड़ा जरूरी है. उनकी लाइफ में 3-4 चीजें हैं जो स्ट्रेस को बढ़ाते हैं."कामना छिब्बर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, हेड - मेंटल हेल्थ, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेव्यरल साइंसेज, फोर्टिस हेल्थकेयर
कामना छिब्बर आगे कहती हैं कि कामकाजी महिलाओं की लाइफ में बढ़ते स्ट्रेस के कुछ पहलू हैं जिन पर बात करनी चाहिए. वो हैं:
मल्टीपल रोल निभाना- हमेशा महसूस करना कि सिर्फ ऑफिस का काम नहीं करना है बल्कि काम के साथ घर को भी देखना है, रिश्तेदारों को भी देखना है, अपने बारे में भी सोचना है. ये सारी बातें तनाव पैदा करती हैं.
मल्टी टास्किंग की जरूरत महसूस करना- इतने सारे मल्टीपल रोल हैं, तो एक कार्य से दूसरे कार्य पर जल्द से जल्द पहुंचने की जरूरत है महसूस होती है. हमेशा लगना कि सिर्फ एक चीज नहीं बल्कि एक साथ कई काम करते रहना. इन बातों से भी स्ट्रेस बढ़ता है.
हर काम परफेक्ट करने की इच्छा- हर काम को परफेक्शन के साथ करने की सोच भी स्ट्रेस बढ़ाती है. किसी भी काम में कोई चूक न हो, कोई भी इंसान आप पर उंगली न उठा सके कि ये काम आपने गलत किया. इस कोशिश में तनाव बढ़ता चला जाता है कि आपको एक साथ सारे काम फटाफट, अच्छे तरीके से करना जरुरी है.
खुद के लिए समय न होना- दूसरों की खुशियों और जरूरतों का ध्यान रखते-रखते खुद की खुशी के लिये समय नहीं निकाल पाना स्ट्रेस बढ़ाता है. अपने पसंद का काम करना स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है.
महिलाओं का अपनी सेहत को नजरअंदाज करने के पीछे पितृसत्ता का ही दोष है. बचपन से उनकी कंडीशनिंग ही ऐसी कर दी जाती है कि खुद को वो कभी प्राथमिकता बना ही नहीं पातीं. खाना बनाने से लेकर बच्चों की परवरिश और परिवार के सभी सदस्यों को खुश रखने को अपनी पहली जिम्मेदारी मान लेती हैं. इस सोच में बदलाव की जरूरत है. घर के काम की जिम्मेदारी का पूरा बोझ महिलाओं के कंधों से हटाना जरूरी है.
ऑफिस में महिलाओं को मिले अच्छा माहौल
कामकाजी महिलाओं की स्थिति ‘दो नावों में सवार' व्यक्ति के समान होती है क्योंकि एक ओर उसे ‘ऑक्यूपेशनल स्ट्रेस' यानी कामकाज का तनाव झेलना पड़ता है, तो दूसरी ओर उसे घरेलू मोर्चे पर भी परिवार को खुश रखने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है.
जिन घरों में पति या परिवार के दूसरे सदस्य कामकाज में हाथ बंटाते हैं, वहां महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाती हैं. वहीं, ऑफिस में भी अगर महिलाओं के लिए माहौल बेहतर हो तो उन्हें दोहरी मार से बचाया जा सकता है. एक्सपर्ट्स ने सुझाए ये कुछ उपाय:
ऑफिस में बराबर का मौका मिले
वर्क एनवायरनमेंट टॉक्सिक न हो
फ्लेक्सिबिलिटी हो
इससे कैसे बचें?
"अगर आप अपनी जिंदगी में काफी स्ट्रेस महसूस कर रहीं हैं तो कुछ चीजें आपको अपने लिये शुरू करनी चाहिए."कामना छिब्बर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, हेड - मेंटल हेल्थ, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेव्यरल साइंसेज, फोर्टिस हेल्थकेयर
कामना छिब्बर ने स्ट्रेस से बचने के बताए ये सभी कारगर उपाय:
स्ट्रेस को पहचानें और दूर करें- पहले तो समझें कि स्ट्रेस कहां से आ रहा है. अगर उन चीजों से जुड़ी समस्या ऐसी है, जिसका आप कोई रास्ता नहीं निकाल रहे हैं तो सबसे पहले उसे सुलझाने की कोशिश करें. उन बातों को टालने और बाद में सुलझाने की सोच चुप न बैठें. समस्या को सुलझाने की ओर कदम उठाएं.
सपोर्ट लें- अगर आपको लग रहा है कि आप नहीं सुलझा पर रहे समस्या को तो अपने आसपास के ऐसे लोगों से सपोर्ट लें जो आपको समझते हों.
अपने लिए समय निकालें- धीरे-धीरे कर के अपने लिये थोड़ा-थोड़ा समय निकालना शुरू कर दें. अपने शौक पूरे करें. हमेशा ये याद रखें अगर आप स्वस्थ होंगे तभी आप दूसरों की ठीक से मदद कर पाएंगे.
खुद की तुलना किसी और से न करें- अपनी तुलना किसी से भी न करें. अपने गोल खुद तय करें और उनकी तरफ बढ़ें. अपने ऊपर फोकस करना गलत नहीं होता. दूसरों का सोच कर अगर आप आगे बढ़ते जा रहे हैं तो वो भी अच्छी बात है पर उस चक्कर में अपने आपको न भूलें. अपने बारे में सोचना शुरू करें.
दोहरी जिम्मेदारियों के बोझ के चलते तनाव और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर चुकी महिलाओं को अब अपने लिए समय निकालने की जरूरत है.
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