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Hernia: हर्निया की समस्या से बचने के लिए महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान

Femoral hernia पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है.

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हर्निया ऐसे तो एक आम बीमारी है, पर समय रहते ध्यान नहीं देने पर इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. ज्यादातर लोगों का यह सोचना हैं कि यह बीमारी पुरुषों में पाई जाती है पर हम आपको यहां बता दें इससे बहुत सी महिलाएं भी पीड़ित हैं. लेकिन या तो वह इस बीमारी से अनजान रहती हैं या फिर डॉक्टर के पास तब जाती हैं, जब तकलीफ बहुत बढ़ जाती है.

आज इस आर्टिकल में हम महिलाओं में बढ़ती हर्निया की समस्या पर डॉक्टरों से बातचीत करेंगे.

क्या है हर्निया?

“जब कभी किसी मांसपेशी या टिश्‍यू में कमजोरी होती है, जिसके कारण पेट में दर्द रहता हो या जब कभी कोई आंतरिक अंग किसी कमजोर मांसपे‍शी को बाहर की ओर धकेलता है, तो उस स्थिति को हर्निया कहा जाता है.”
डॉ वी. एस. चौहान, एडिशनल डायरेक्टर- जनरल सर्जरी , फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा

हर्निया कई अलग-अलग प्रकार का होता है, पर सबसे आम है, जब आंत का एक हिस्सा पेट की मांसपेशियां की दीवार के किसी कमजोर हिस्से से बाहर आ जाता है. यानी कि जब हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को अपनी जगह पर थामे रखने वाले मसल-वॉल (muscle wall) या टिशू जब कहीं से कमजोर हो जाते हैं या उनमें कहीं छेद हो जाता है, तब ऐसी स्थिति को हर्निया कहा जाता है.

हर्निया कई प्रकार का होता है –  इनगुइनल हर्निया, फेमोरल हर्निया, अम्बिलिकल हर्निया और हाइटल हर्निया.

हर्निया से कौन सा अंग प्रभावित होता है?

हर्निया शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है. ज्यादातर मामलों में यह पेट से जुड़ी हुई एक बीमारी है, जो सही समय पर ध्यान नहीं देने से गंभीर रूप ले लेता है.

"हर्निया शरीर में एब्डोमेन या पेट क आस पास होता है. ज्यादातर हर्निया एब्डोमेन के तीन हिस्सों में होता है. एक होता है नाभि के पास जिसको अम्बिलिकल हर्निया कहते है. इसमें नाभि के ऊपर की स्किन जुड़ी होती है, पर नाभि के नीचे की दो मसल्स के बीच में गैप बन जाता है, जिस की वजह से चर्बी या छोटी आंत का एक हिस्सा खांसने या छींकने पर बहार आ जाता है. इस के कारण नाभि फूल जाती है.”
डॉ. हितेंद्र शर्मा, कन्सल्टंट, जनरल सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद

महिलाओं को होने वाला हर्निया

  • इनसिजनल हर्निया (Incisional hernia): महिलाओं में बच्चेदानी का ऑपरेशन और  सिजेरियन ऑपरेशन काफी आम बात है. जब ऐब्डोमिनल सर्जरी के बाद उचित देख-भाल नहीं होती है और सर्जरी वाली जगह से आंतरिक अंग बाहर निकलने लगता है, तब वो हर्निया का रूप ले लता है, जो दर्दनाक होता है. उसे इनसिजनल हर्निया कहते हैं..

  • फीमोरल हर्निया (Femoral hernia): फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है. फीमोरल मतलब जघनास्थिक हर्निया. हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20% मामले इसके देखे जाते हैं. 

  • हियेटल हर्निया (Hiatal hernia): हियेटल हर्निया महिलाओं में ज्यादा होता है. यह पेट के ऊपरी भाग को प्रभावित करता है. छाती और ऐब्डोमेन को अलग करने वाले डायाफ्राम में पाये जाने वाले छेद को हियेटस कहते हैं. हियेटल हर्निया दो प्रकार के होते हैं-  स्लाइडिंग और पैरा-इसोफेजियल.

  • एपीगैस्ट्रिक हर्निया (Epigastric hernia): यह फैट के छोटे स्तर के ब्रेस्ट बोन और नाभि के बीच के बैली-वाल में छेद करके बाहर निकलने से होता है. एक ही समय में यह एक से अधिक संख्या में हो सकता है. एपीगैस्ट्रिक हर्निया अक्सर बिना किसी लक्षण के होता है इसीलिए इसके इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.

  • अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia): अम्बिलिकल हर्निया विशेष कर नवजात शिशुओं में होता है. जब बच्चा रोता है, तो उसके नाभि के आस-पास के क्षेत्र में एक लम्प बाहर की ओर निकल आता है.

हर्निया के लक्षण

“महिलाओं और पुरुषों में हर्निया एक जैसा ही होता है, फर्क केवल इतना है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष हर्निया से अधिक प्रभावित होते हैं.”
डॉ वी. एस. चौहान, एडिशनल डायरेक्टर- जनरल सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
  • नाभि के आसपास दर्द

  • पेट, जांघ या कमर पर गांठ

  • पेट के निचले भाग में दर्द 

  • पेट फूलना

  • पेट में भारीपन

  • गंभीर रूप से खांसी की समस्या

  • गर्भवती महिला को डिलीवरी के बाद गंभीर दर्द

  • पेशाब करने में दिक्कत

हर्निया के कारण

"जब भी कभी मोटापे या गर्भावस्था के कारण पेट के अंदर दबाव ज्यादा बन जाता है, तब महिलाओं में हर्निया का खतरा बढ़ जाता है, खास कर नाभि के पास.”
डॉ. हितेंद्र शर्मा, कन्सल्टंट, जनरल सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद

महिलाओं में हर्निया का प्रमुख कारण मोटापा होता है.

  • मोटापे की समस्या झेल रही महिला हर्निया का शिकार हो सकती हैं

  • गर्भवती महिला को भी हर्निया की आशंका होती है 

  • हर्निया की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है, जिन्होंने कभी अधिक वजन उठाया हो

  • गहरी चोट लगी हो

  • कोई ऑपरेशन करवाया हो

  • लंबे समय तक कब्ज या खांसी की समस्या हो

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

जब भी आप लक्षणों को पहचान लें, तुरंत डॉक्टर को दिखाए.

“जब सूजन कम न हो और तकलीफ देने लगे तब समस्या गंभीर हो सकती है और ऐसे में डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए. ज्यादातर मामलों में छोटी आंत का हिस्सा वापस अंदर नहीं जा पाता और सड़ भी सकता है. इसे ऑब्स्ट्रक्टेड हर्निया बोलते है.”
डॉ. हितेंद्र शर्मा, कन्सल्टंट, जनरल सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद

ऐसी परिस्थिति में मामला काफी गंभीर हो सकता है और तुरंत ही सर्जरी की जरूरत पर सकती है. ऐसे सूजन जो वापस कम नहीं हो रहे और दर्द बढ़ता जा रहा हो, तो उसका इलाज तुरंत होना चाहिए.

“हर्निया की समस्या काफी गंभीर होती है और इसका समय रहते इलाज कराना चाहिए. समय पर इलाज नहीं करवाने से छोटी और बड़ी आंत में गैंगरीन होने की आशंका बढ़ जाती है.”
डॉ वी. एस. चौहान, एडिशनल डायरेक्टर- जनरल सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा

हर्निया से बचाव

हर्निया से बचाव के लिए ख्याल रखें इन बातों का:

  • वजन नियंत्रण में रखें

  • अधिक वजन वाली वस्तुओं को उठाने से बचें

  • धूम्रपान से दूरी बनाएं

  • खांसी और कब्ज की समस्या को दूर रखें

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हर्निया का इलाज

हमारे डॉक्टरों के अनुसार, हर्निया का इलाज दवाओं से नहीं बल्कि सर्जरी से ही किया जा सकता है. सर्जरी से सूजन के गैप को भरा जाता है. अगर डॉक्टर को लगता है कि मांसपेशियां फिर भी कमजोर हैं, तो उसे मजबूती देने के लिए एक गैर-अवशोषित (non-absorbable) जाल लगानी पड़ती है, जो समय के साथ मांसपेशियों का हिस्सा बन जाती है.

सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है?

डॉ. हितेंद्र शर्मा कहते हैं, “ज्यादातर मामलों में सर्जरी हम अपनी सुविधा से करा सकते है. छोटा हर्निया जिसका मुंह काफी बड़ा हो और उसके कारण चर्बी या छोटी आंत का हिस्सा आसानी से निकल जा रहा हो और कम तकलीफ दे रहा हो, तो उस के इलाज को कुछ दिनों तक रोका जा सकता है. लेकिन सलाह यही दी जाती है कि समय रहते ही इसका इलाज करा लिया जाए”.

वहीं डॉ वी. एस. चौहान का कहना हैं, “कुछ मामलों में, अगर हर्निया छोटा होता है, बढ़ नहीं रहा और किसी किस्म का दर्द या परेशानी नहीं दे रहा, तो तत्काल सर्जरी की आवश्‍यकता नहीं होती. लेकिन अगर किसी किस्म की जटिलता की आशंका दिखायी देती है, तो हर्निया के मरीजों को एक सामान्‍य प्रोसीजर करवाने की सलाह दी जाती है ताकि हर्निया का आकार न बढ़े और न ही हालात और बिगड़ें”.

सर्जरी से पहले और बाद की सावधानियां

सर्जरी के पहले और बाद भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सर्जरी वाली जगह के आसपास कहीं भी दबाव नहीं पड़े क्योंकि इस से हर्निया के बढ़ने या दोबारा उभरने का खतरा बन सकता है. जोर से खांसना या मोटापा शरीर पर दबाव बना सकता है. इसके अलावा स्टूल पास करते समय बहुत अधिक दबाव हर्निया को और बढ़ा सकता है.

ऑपरेशन के बाद कम से कम दो से तीन महीने तक उस जगह पर दबाव नहीं देना चाहिए. कुछ लोगों को एक साल तक लग जाता है हर्निया से उभरने में.

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