World Blood Donor Day 2023: वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, ट्रांसफ्यूजन के लिए सुरक्षित खून के बारे में जागरुकता बढ़ाए जाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. यह नेशनल हेल्थ सिस्टम में अपनी मर्जी से ब्लड डोनेट करने वालों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देता है और साथ ही नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेवाओं, ब्लड डोनर संगठनों, अस्पतालों में ब्लड सर्विसेज और दूसरे गैर-सरकारी संगठनों को सहयोग भी देता है. इस दिन किए जाने वाले प्रयास राष्ट्रीय और स्थानीय अभियानों को बल देते हुए वालंटरी ब्लड डोनर कार्यक्रमों को मजबूत बनाने और उनका विस्तार करने पर केंद्रित होते हैं.
रक्तदान महादान है. इसमें अनेकों जिंदगियां बचाने की शक्ति है. कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान करके लोगों की जान बचाने में मदद कर सकता है.
कौन कर सकता है ब्लड डोनेट?
18 से 65 साल की उम्र के बीच पुरुष हर तीन महीने में सुरक्षित रूप से रक्तदान कर सकते हैं, जबकि महिलाएं हर चार महीने में रक्तदान कर सकती हैं.
ब्लड डोनेट करने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ, मानसिक रूप से मजबूत और शारीरिक रूप से सक्षम होना जरूरी है. यह ध्यान देने वाली बात है कि खून की एक यूनिट, जो 450 मिली. के बराबर होती है (रक्तदाता का वजन 45 से 54 किलोग्राम के बीच होने पर यह 350 मिली. होती है), 55 किलोग्राम या उससे अधिक वजन के एक व्यक्ति से निकाली जाती है.
ब्लड डोनर बनने के लिए बुनियादी जरूरतें ये हैंः
रक्तदान के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 60 साल है. यदि आप पहले कभी रक्तदान कर चुके हैं, तो अधिकतम उम्र 65 साल है.
रक्तदान करने वाले व्यक्ति का वजन कम से कम 55 किलोग्राम होना चाहिए.
रक्तदान करने के बाद पुरुषों को कम से कम 90 दिन बाद और महिलाओं को कम से कम 120 दिनों बाद ही दोबारा रक्तदान करना चाहिए.
रक्तदान करने से पहले रक्तदान करने वाले व्यक्ति की नब्ज 60 से 100 बीपीएम के बीच होनी चाहिए और उनमें हीमोग्लोबिन का लेवल 12.5 से ज्यादा या उसके बराबर होना चाहिए.
रक्तदान यानी ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति को एक रात पहले की नाईट शिफ्ट की ड्यूटी नहीं करनी चाहिए, जिससे पर्याप्त नींद मिल सके.
रक्तदान करने वाले व्यक्ति का पेट रक्तदान करने से पहले 4 घंटे से ज्यादा समय से खाली नहीं होना चाहिए.
ब्लड डोनेट करने से पहले डोनर को शराब नहीं पीनी चाहिए.
ब्लड डोनर को ऐसी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए, जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन से फैल सकती हो.
रक्तदाता को एक्यूट रेस्पिरेटरी रोग नहीं होना चाहिए.
किस व्यक्ति को अस्थायी रूप से रक्तदान बंद कर देना चाहिए?
यह सही है कि एक स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति को अस्थायी रूप से रक्तदान बंद कर देना चाहिए.
कुछ समय पहले मलेरिया का शिकार हुए व्यक्ति को 3 महीने तक रक्तदान नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार अगर कोई अभी-अभी टायफायड से ठीक हुआ है, तो उसे अगले 12 महीने तक रक्तदान नहीं करना चाहिए.
जिन मरीजों को ट्यूबरकुलोसिस हुआ है, उन्हें इलाज पूरा होने के बाद 2 साल तक रक्तदान नहीं करना चाहिए.
जिन लोगों ने कोई बड़ी सर्जरी कराई हो, वो 12 महीने तक रक्तदान नहीं कर सकते, छोटी सर्जरी कराने के बाद 6 महीने तक रक्तदान नहीं करना चाहिए.
महिलाओं को पीरियड्स और गर्भावस्था के दौरान रक्तदान नहीं करना चाहिए. प्रसव के बाद महिला को 12 महीने तक रक्तदान नहीं करना चाहिए. गर्भपात कराने के बाद 6 महीने तक रक्तदान नहीं किया जा सकता.
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तनपान की पूरी अवधि में रक्तदान नहीं करना चाहिए.
कौन कर सकता है ब्लड डोनेट?
जो लोग रक्तदान कर सकते हैं, उनमें शामिल हैंः
जिनका पिछले एक साल में रेबीज के लिए इलाज न किया गया हो या जिन्हें हेपेटाईटिस बी इम्यून ग्लोबुलिन न दिया गया हो.
डायबिटीज पीड़ित, जो दवाइयां खा रहे हैं, रक्तदान कर सकते हैं.
जिन्होंने पिछले छः महीने में टैटू न बनवाया हो और कान या त्वचा को छिदवाया न हो या फिर एक्युपंक्चर न लिया हो.
पिछले एक साल में खून न चढ़वाया हो, कोई गंभीर बीमारी या बड़ी सर्जरी न हुई हो, हेपेटाइटिस या पीलिया से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में न आया हो.
पिछले तीन महीने में रक्तदान न किया हो या मलेरिया का इलाज न कराया हो.
पिछले एक माह में कोई टीका न लगवाया हो.
पिछले दो हफ्ते में कोई भी एंटीबायोटिक नहीं ली हो.
पिछले छः महीने में दांत न निकलवाया हो.
पिछले 72 घंटे में एस्पिरिन न ली हो.
खांसी, इन्फ्लूएंजा या गला खराब, जुकाम न हो.
किन लोगों को कभी भी रक्तदान नहीं करना चाहिए?
इन लोगों को कभी भी ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए:
डायबिटीज पीड़ित, जो इंसुलिन ले रहे हों
हृदय की सर्जरी या कैंसर की सर्जरी से ग्रसित व्यक्ति
व्यक्ति जो मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा), हाइपरटेंशन हार्ट डिजीज, कोरोनरी आर्टरी डिजीज से ग्रसित हों
कॉन्वेज और एपिलेप्सी
सिजोफ्रेनिया
एचआईवी
हेपेटाईटिस बी और सी
सिफिलिस
क्रोनिक किडनी रोग
ऑटो इम्यून विकार
(वर्ल्ड ब्लड डोनर डे गुरुग्राम, मेदांता हॉस्पिटल के पैथोलॉजी एवं ब्लड बैंक में लैबोरेटरी मेडिसीन के डायरेक्टर डॉ. असीम कुमार तिवारी ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)
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