याचिकाकर्ता के अनुसार, सीएम द्वारा आदित्यनाथ, योगी आदित्यनाथ आदि नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि डिजिटल समेत विभिन्न मंचों पर योगी आदित्यनाथ के विभिन्न नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।
इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह डिजिटल के साथ-साथ गैर-डिजिटल मंचों पर मुख्यमंत्री का एक ही नाम इस्तेमाल करे।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि याचिका विचार करने लायक नहीं है क्योंकि याचिका में मुख्यमंत्री को उनकी व्यक्तिगत क्षमता में पक्षकार बनाया गया है और किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने एचसी के नियमों के अनुसार अपने बारे में खुलासा नहीं किया है।
एएजी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने ये याचिका केवल प्रचार हासिल करने के लिए दायर की
है।
--आईएएनएस
एमएसबी/एसकेपी
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)