नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में हाल ही में हुई सांप्रदायिक घटनाओं पर दिल्ली जामा मस्जिद (Jama Masjid) के शाही इमाम अहमद बुखारी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि, मैं इन सभी घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को कल पत्र लिखूंगा और उनसे मुलाकात का वक्त मांगूंगा।
प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है, किसी विशेष धर्म के नहीं होता, पीएम मोदी से पूछना चाहता हूं कि अगर सांप्रदायिक मतभेद और नफरत बढ़ती रही तो क्या यह देश के पक्ष में है? इस देश में हिंदू और मुस्लिम दोनों ने बलिदान दिया है। हम पीएम मोदी से मुलाकात के लिए समय मांगेंगे। हमें उम्मीद है कि वे समय देंगे।
शुक्रवार को अलविदा जुमे की नमाज के दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित किया और मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों पर कहा कि, मुल्क अजीब माहौल से गुजर रहा है, हर तबके के लोग एक अजीब उलझन में हैं ऐसा महसूस हो रहा है कि कुछ होने वाला है, लेकिन नहीं पता क्या होने वाला है। हम इस देश को सांप्रदायिक नफरत की आग में जलने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं।
मुल्क के सामने आज कई सवाल खड़े हैं। हिंदुस्तान को एक बड़ा खतरा मजहबी नफरत से हैं। यदि यह सब यहीं नहीं रुका तो नहीं पता मामला कहां जाकर रुकेगा, हिन्दू हो या मुसलमान सबको मिलकर नफरत को खत्म करना है।
उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा पर कहा कि, धार्मिक स्थलों के बाहर से जुलूस निकाले जा रहे हैं। नारेबाजी की जा रही है और लोग धार्मिक स्थलों के सामने से तमंचे लेकर निकल रहे हैं। कोई नहीं चाहता हिंसा हो लेकिन कुछ चंद लोग महौल बिगाड़ना चाहते हैं। हालंकि मामले की जांच होने पर दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या यह सब सही है?
उन्होंने कहा कि, बुलडोजर चलने से मुसलमानों को ही नहीं, बल्कि हिंदुओ को भी नुकसान हो रहा है। 1977 के दुकान के दस्तवाजे होने के बावजूद उनकी दुकानों पर बुल्डोजर चला, 70 साल तक हम बेबस रहे, फिलहाल मुसलमान की हालत मोर जैसी है वो नाचता है और अपने पैरों का देखता तो रो पड़ता है।
कोरोना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, पहले ही कोरोना की चपेट में आने से नुकसान हुआ अब पटरी जब वापस लौट रहें है तो यह हिंसा से नुकसान हो रहा है।
बुखारी ने राजनीतिक पार्टियों पर भी निशाना साधा, खासतौर पर यूपी में समाजवादी पार्टी पर कहा कि, यूपी में मुसलमानों ने सपा को वोट दिया लेकिन सपा ने एक बार भी मुसलमानों का नाम नहीं लिया। 96 फीसद मुसलमानों ने सपा को वोट दिया, लेकिन उनके साथ कोई टोपी दाढ़ी वाला स्टेज पर नहीं था।
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