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‘नूरजहां’ की तबियत बिगड़ने से परेशान हैं मध्यप्रदेश के किसान

किसानों का कहना है कि ‘नूरजहां’ की परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन उसकी सेहत में दम नहीं पड़ रहा.

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इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा से वास्ता रखने वाले शिवराज सिंह जाधव ‘नूरजहां’ को लेकर परेशान हैं.

उनका कहना है कि ‘नूरजहां’ की परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन ‘नूरजहां’ की सेहत में फिर भी दम पड़ता नजर नहीं आ रहा.

कई साल पहले ‘नूरजहां’ को शिवराज ने अफगानिस्तान से मंगवाया था. उसे लाने वालों ने दावा किया था कि ‘नूरजहां’ एक भारी भरकम प्रजाति का आम होता है, जिसकी गुठली का वजन ही 150 से 200 ग्राम के बीच होता है.

मौसम की मार

लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ‘नूरजहां’ पर वो रौनक नहीं आई, जैसी अपेक्षित थी.

इस साल मौसम की मार से आम की इस खास प्रजाति की फसल के घटकर केवल 10 फीसद रह जाने की आशंका है.

बीते नवंबर-दिसंबर के दौरान कड़ाके की ठंड पड़ने से इस बार नूरजहां के पेड़ों पर केवल 10 प्रतिशत बौर ही आए. मार्च में सामान्य से अधिक गर्मी का भी इसके फसल पर बुरा असर पड़ा है.
शिवराज सिंह जाधव, आम उत्पादक
किसानों का कहना है कि ‘नूरजहां’ की परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन उसकी सेहत में  दम नहीं पड़ रहा.
‘नूरजहां’ को ‘आमों की मलिका’ के नाम से जाना जाता है
एक ‘नूरजहां’ आम किसी भी छोटे परिवार का आराम से पेट भर सकता है. अफगानिस्तानी मूल की इस भारी भरकम प्रजाति का पेड़ अब मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में पाए जाने लगे हैं.

आम उत्पादक ने बताया कि नूरजहां के पेड़ों पर गत दिसंबर में बौर आने शुरु हुए थे. इसके फल मई के आखिर तक पककर तैयार होंगे. उन्होंने बताया कि नूरजहां के फल तकरीबन एक फुट तक लंबे हो जाते हैं.

(इनपुट भाषा से)

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