लोगों को अक्सर मीडिया से एक शिकायत रहती है. वो ये कि देश-दुनिया में बहुत-कुछ पॉजिटिव हो रहा होता है, लेकिन मीडिया इसे नहीं दिखाता. उसे तो बस पॉलिटिकल कुश्ती, नेताओं की टांग खिंचाई, क्राइम और महंगाई की मार दिखाने में ही मजा आता है. इस शिकायत में दम भी नजर आता है.
जरा देखिए, 3 जून को पेट्रोल की कीमत में लगातार पांचवें दिन गिरावट आई, लेकिन किसी भी बड़े चैनल पर ये खबर नहीं थी. दो जून की रोटी कमाने में लगे लोगों के लिए निश्चित तौर पर ये बड़ी खबर है. ऐसा महसूस करते हुए ही हमने इस खबर को जरा विस्तार से परोसने की कोशिश की है.
कितनी गिरी पेट्रोल की कीमत
- 30 मई को पेट्रोल का दाम गिरा: 1 पैसा
- 31 मई को पेट्रोल का दाम गिरा: 7 पैसा
- 1 जून को पेट्रोल का दाम गिरा: 6 पैसा
- 2 जून को पेट्रोल का दाम गिरा: 9 पैसा
- 3 जून को पेट्रोल का दाम गिरा: 9 पैसा
अगर पांच दिनों के आंकड़े देखें, तो साफ है कि पेट्रोल की कीमत में कुल 32 पैसे की गिरावट आई है.
बड़े सरकार का तर्क
इस बड़ी खबर पर हमने अपने बड़े सरकार से पूछा कि साहब, आपकी आंखों से सामने ये सब क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है?
बड़े सरकार ने कहा कि पब्लिक को किसी बात में चैन नहीं है. दाम बढ़ने पर भी हाय-हाय, अब जब दाम गिर रहे हैं, इस पर भी सवाल. पब्लिक ने लंबे वक्त से एक जुमला गढ़ लिया है. एक रुपये में आखिर आता क्या है? तो लो, अभी पैसे का मोल समझ लो, फिर बाद में रुपये पर आते हैं.
बात भी ठीक ही है. बूंद-बूंद से घड़ा भरता है. बूंद-बूंद से ही पेट्रोल की टंकी भरती है. तो पैसे की अहमियत समझना जरूरी है. अब देखिए, बच्चों को गणित पढ़ाने में बड़ी दिक्कत होती है. जब ये बताओ कि 1 रुपये में 100 पैसे होते हैं, तो वे बच्चे ठहाके लगाकर हंस पड़ते हैं. भला एक रुपये के छोटे से सिक्के में 100 पैसे कैसे समा सकते हैं? न समझा पाने पर झेंपने के अलावा कोई चारा बचता है क्या?
तेल की कीमत और पर्यावरण का सवाल
बड़े सरकार का एक तर्क ये था कि पेट्रोल-डीजल के दाम तेजी से गिरते हैं, तो इससे प्रदूषण बढ़ने का खतरा है. लेकिन अगर मौजूदा रफ्तार से दाम गिरते रहे, तो प्रदूषण में भारी कमी आने की संभावना है. मुश्किल ये है कि अगर हमारे पड़ोसी देशों को भी इस चतुराई भी भनक लग गई, तो कहीं वे भी हमारी कॉपी न करने लग जाएं!
तो 2019 के चुनाव पर क्या होगा असर?
इन दिनों एक सवाल बहुत पॉपुलर हो रहा है. बात चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, लोग सीधे पूछते हैं, इसका 2019 के चुनाव पर क्या असर होगा?
आज सुबह एक नेताजी घर के बरामदे में आईना देखकर शेविंग कर रहे थे, तो किसी ने माइक सटाकर पूछ लिया, आखिर इसका 2019 के चुनाव पर क्या असर होगा?
लेकिन हमारे पास बड़ा मुद्दा था, सो हमने सीधे-सीधे बड़े सरकार से पेट्रोल-डीजल के दाम में ऐसी गिरावट को लेकर ठीक यही सवाल पूछ लिया. बड़े सरकार का जवाब सुनकर हमारी आंखें डबडबा गईं. सरकार ने कहा कि दाम में गिरावट के पीछे उनका कोई छुपा एजेंडा नहीं है, ये बस जनहित में लिया गया फैसला है.
बड़े सरकार ने योगियों और सहयोगियों को चेतावनी भी दी कि पेट्रोल के दाम में गिरावट को चुनावी मुद्दा न बनाएं. इसके आधार बनाकर 2019 के चुनाव में सियासी लाभ लेने की कोशिश कतई न करें. उन्होंने कहा कि पब्लिक को ये समझाएं कि जैसे आपके एक-एक वोट से हम बड़े सरकार बनते हैं, ठीक वैसे ही एक-एक पैसे से रुपया बनता है.
पब्लिक के लिए मैसेज ये है कि बात चाहे आज की हो या 2019 की, अपने 'पैसे' को कतई कम न आंकें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)