सोशल मीडिया ने जहां एक तरफ लोगों को खबरों और जानकारियों के साथ अप-टु-डेट रहने में मदद की है, वहीं इसका एक स्याह पहलू भी है. सोशल मीडिया के जरिये आपको जागरुक करने की आड़ में कई बार लोग इतनी सफाई से आपको गुमराह कर जाते हैं, कि इस फर्जीवाड़े के खेल की भनक तक नहीं लगती. इससे भी दुखद बात ये है कि ज्यादातर लोग बिना तथ्यों की पड़ताल किये इस 'भेड़ चाल' में शामिल होकर इन फर्जी वीडियो और मैसेज को फॉरवर्ड करके इस गोरखधंधे के भागीदार बनते हैं.
आपने भी देखा मीडिया पर उंगली उठाने वाला वीडियो?
आजकल व्हाट्सऐप में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि जिस दिन मलयालम फिल्म अभिनेत्री प्रिया प्रकाश वारियर का आंख मारने वाला वीडियो वायरल हुआ, उसी दिन बॉर्डर पर कपिल कुंडू नाम के सैनिक शहीद हुए. मीडिया ने कपिल कुंडू के बारे में कोई खबर नहीं दिखाई और प्रिया के वीडियो पर कई दिन तक खबरें दिखाई गईं. अंत में Shame on Media लिखकर उकसाया जा रहा है और कहा जा रहा है - 'देखते हैं कितने लोग इस वीडियो को शेयर करते हैं'. ये है वो वीडियो-
कैप्टन कपिल कुंडू पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में शहीद हुए, ये सच है. प्रिया प्रकाश का वीडियो वायरल हुआ, ये भी सच है. मीडिया ने प्रिया प्रकाश के वीडियो को प्रमुखता से पेश किया, ये भी सच है. लेकिन क्या आप पूरा सच जानते है? क्या आप जानते हैं कि इस वीडियो में कही गई बातों में कितनी सच्चाई है? अगर आपने भी ये वीडियो शेयर किया है तो बधाई हो, आप भी बन गए हैं एक ‘वेब-कूफ’
जान लीजिए पूरा सच
जिस वीडियो को देखकर लोग मीडिया को कोसते हुए धड़ाधड़ इसे शेयर किये जा रहे हैं, उस वीडियो में आपको झूठी जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है. सच्चाई ये है कि कैप्टन कपिल कुंडू 4 फरवरी को शहीद हुए. लगभग सभी प्रमुख अखबारों, न्यूज चैनलों और न्यूज पोर्टल्स ने कैप्टन कुंडू की शहादत को 4 फरवरी और 5 फरवरी को प्रमुखता से छापा और दिखाया. जबकि प्रिया प्रकाश का वीडियो 11 फरवरी को सोशल मीडिया में वायरल हुआ, और उसके बाद 12 फरवरी से इस वीडियो ने मीडिया की सुर्खियों में जगह बनाई.
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लाइक्स और शेयर के लिए घिनौना खेल
सोशल मीडिया में ज्यादा से ज्यादा लाइक्स और शेयर्स हासिल करने का जूनून जब हद से आगे बढ़ जाता है तो कुछ लोग सच्चाई और नैतिकता को ताक पर रखकर लोगों को गुमराह करने का गोरखधंधा करने लगते हैं. ये लोग महज लाइक्स और शेयर्स पाने के लिए झूठी और फर्जी जानकारियों वाले वीडियो या मैसेज सोशल मीडिया में फैलाते हैं, और लोगों को बहकाते है.
'वेब-कूफों' की जमात में कहीं आप भी तो नहीं ?
बदकिस्मती से हमारे देश में ऐसे लोगों की तादाद लाखों में नहीं, बल्कि करोड़ों में है, जिन्हें अपने आंख, कान और दिमाग से ज्यादा भरोसा फेसबुक और व्हाट्सऐप पर है. ये वो लोग हैं, जो बिना तथ्यों की पड़ताल किये भेड़ चाल में शामिल होकर, इन्हें शेयर करते रहते हैं.
उन्हें लगता है कि वे ऐसे पोस्ट को फॉरवर्ड करके अपनी सामाजिक जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं, जबकि सच्चाई ये है कि ये लोग जहां एक तरफ समाज में अफवाह और भ्रांतियां फैलाने का काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लाइक्स और शेयर के भूखे भेड़ियों के घिनौने मंसूबों को पूरा कर रहे हैं.
अगर आप भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं, तो संभल जाइये...अब और मत बनिए- 'वेब-कूफ' !
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(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके.छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)
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