Kabir Jayanti 2021 Dohe, wishes, quotes: संत कबीर दास की जयंती ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी. इस साल यह दिन 24 जून गुरुवार का पड़ा है. संत कबीर दास प्रसिद्ध समाज सुधारक, कवि व संत थे. कबीर दास जी का जन्म 1398 में हुआ था, जबकि उनका निधन 1518 में मगहर में हुआ. उनके लेखन का समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ा है.
उनके दोहों ने हमेशा उन्नति का मार्ग खोला है और बेहतर समाज के लिए सही ज्ञान दिया है. कबीर दास ने सालों पहले जिंदगी जीने के नियम अपने दोहों के जरिए बताए, वो आज के दौर में भी उतने ही कारगर हैं, जितने उस वक्त थे. आज के दिन कबीर दास के अनुयायी उन्हें याद करते हैं और उनकी कविताओं का पाठ करते हैं.
इस अवसर पर लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को शुभकामना संदेश भेजते हैं. ऐसे में हम आपके लिए कबीर के कुछ Wishes, Quotes और दोहे लेकर आए है जिनके जरिए आप शुभकामनां भेज सकते है.
Kabir Das Ke Dohe in Hindi: कबीर दास जी के दोहे और उनके अर्थ
1. चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह।
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥
अर्थ- कबीर दास कहते हैं कि जब से पाने चाह और चिंता मिट गयी है, तब से मन बेपरवाह हो गया है. इस संसार में जिसे कुछ नहीं चाहिए बस वही सबसे बड़ा शहंशाह है.
2. गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥
अर्थ- कबीर के इस दोहे का अर्थ है, अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो आप किसके चरण स्पर्श करेंगे? गुरु ने अपने ज्ञान से ही हमें भगवान से मिलने का रास्ता बताया है इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है और हमें गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए.
3. ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए॥
अर्थ- कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे. ऐसी भाषा दूसरे लोगों को तो खुशी पहुंचाती ही है, इसके साथ खुद को भी बड़े आनंद का अनुभव होता है.
4. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय॥
अर्थ- कबीर दास कहते हैं कि मैं सारा जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगा रहा लेकिन जब मैंने खुद अपने मन में झांक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इंसान नहीं है. मैं ही सबसे स्वार्थी और बुरा हूँ अर्थात हम लोग दूसरों की बुराइयां बहुत देखते हैं लेकिन अगर आप खुद के अंदर झाँक कर देखें तो पाएंगे कि हमसे बुरा कोई इंसान नहीं है.
5. दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय॥
अर्थ- दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में सब ईश्वर को भूल जाते हैं. अगर सुख में भी ईश्वर को याद करो तो दुख कभी आएगा ही नहीं.
6. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
अर्थ- कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो आज करो, और जो आज करना है वो अभी करो, क्यों कि पता नहीं कब या हो जाए.
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