लंबे अरसे से बीमारी से जूझ रहे मनोहर पर्रिकर का 17 मार्च को निधन हो गया. पिछले साल फरवरी में उन्हें डॉक्टरों ने बताया था कि वो पैंक्रियाज कैंसर के एडवांस स्टेज से गुजर रहे हैं. अक्टूबर 2015 में लांसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंक्रियाज का कैंसर दुनियाभर में 13वां सबसे आम कैंसर है. इस जानलेवा बीमारी से जुड़ी 10 बड़ी बातें जानते हैं.
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- इस कैंसर से होने वाली मौत की दर बहुत ज्यादा है. कैंसर से होने वाली सभी मौतों में से पैंक्रियाज कैंसर आठवां सबसे बड़ा कारण है.
- पैंक्रियाटिक कैंसर से अब तक दुनिया भर में ढाई लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
- अपोलो अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ प्रवीण गर्ग का कहना है कि हर एक लाख लोगों में पांच को पैंक्रियाज का कैंसर होता है.
- किसी भी ट्यूमर में जिंदा रहने की उम्मीद बहुत कम होती है. इस कैंसर से पीड़ित 100 में से सिर्फ दो ही बच पाते हैं. पैंक्रियाज कैंसर में मरने की दर सबसे अधिक होती है.
- 50 से ज्यादा उम्र के लोगों में इस बीमारी के होने के चांसेज 50 से कम उम्र वालों से 20 गुना ज्यादा होती है.
- टाइप 2 डायबिटिज की वजह से इस कैंसर के होने के सबसे ज्यादा चांसेज होते हैं. लाइफस्टाइल जैसे स्मोकिंग, ड्रिंकिंग भी इसकी कई वजहों में शामिल है.
- सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार पैंक्रियाज का कैंसर इतना घातक इसलिए होता है क्योंकि शुरुआती चरणों के दौरान इसके लक्षण का पता नहीं चलता है, जबकि उस वक्त इसका इलाज संभव होता है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के कैंसर का पता लगाने के लिए अभी तक किसी खास तरह का उपकरण मौजूद नहीं हैं. इस वजह से ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का पता लगने में देर हो जाती है.
- अगर कैंसर का जल्द पता चल जाता है, तो पैंक्रियाज को सर्जरी करके हटाया जा सकता है और बीमार की जान बचाई जा सकती है. हालांकि, इसका इलाज किस हद तक संभव है ये कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है.
- कई बार ऐसा भी होता है कि सर्जरी के बाद किसी वजह से माइक्रोस्कोपिक ट्यूमर कोशिकाएं रह जाती हैं जो दोबारा कैंसर को जन्म दे सकती हैं.
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टॉपिक: कैंसर मनोहर पर्रिकर
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