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सात फेरों से पहले इन 7 बेहद जरूरी बातों का भी रखें खयाल

शादी के पहले ही अपने भावी जीवनसाथी के साथ मिलकर अपना ज्वॉइंट फाइनेंशियल प्लान बना लें.

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शादी किसी के लिए भी ऐसा मौका होता है, जिसमें वो सिर्फ शादी की तैयारियों के बारे में सोचता है, शादी के बाद की जिंदगी के बारे में नहीं. तभी तो लोग अपनी शादी के लिए वेडिंग प्लानर के पास जाते हैं, लेकिन कभी फाइनेंशियल प्लानर के पास नहीं.

ये तो आप भी मानेंगे कि शादी के बाद केवल दो लोगों की जिंदगियां ही नहीं जुड़तीं, बल्कि एक-दूसरे की पारिवारिक जिम्मेदारियां भी जुड़ती हैं. और जब पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, तो वो अपने साथ आर्थिक चुनौतियां भी लाती हैं. तो क्या ये बेहतर नहीं है कि शादी के पहले ही अपने भावी जीवनसाथी के साथ मिलकर अपना ज्वॉइंट फाइनेंशियल प्लान बना लें.

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हमारा तो मानना है कि आप अपनी शादी के लिए वेडिंग प्लानर के पास जाएं या नहीं, फाइनेंशियल प्लानर के पास जरूर जाएं और सात फेरे लेने के पहले इन सात मुद्दों पर जरूर ध्यान देंः

पैसों को लेकर क्या है सोच

हम रुपए-पैसे को लेकर क्या सोचते हैं, इस पर सबसे ज्यादा असर होता है हमारे परिवार का. जरूरी नहीं कि ये असर सकारात्मक ही हो. कई परिवारों में तो रुपए-पैसे के मामले में खुलकर बातें भी नहीं होतीं. लेकिन अगर आपको अपने भावी जीवनसाथी की वित्तीय समझ और आर्थिक सोच की जानकारी होगी, तो आप अपने भविष्य को बेहतर तरीके से प्लान कर सकेंगे.

इसलिए शादी के पहले पैसे के बारे में बात करने में हिचकिचाएं बिलकुल नहीं.

खर्च करने और बचाने की आदतें

इस बात की संभावना सबसे ज्यादा होगी कि आप दोनों ही पैसे खर्च करने और बचाने में एक जैसे न हों. अक्सर हम उन चीजों पर ज्यादा खर्च करते हैं, जिन्हें हम अपने लिए बेहतर और महत्वपूर्ण मानते हैं. इसलिए एक-दूसरे की पैसे से जुड़ी आदतों को जरूर जानें.

इससे ये भी पता चल जाएगा कि जिंदगी में आपका जीवनसाथी किन चीजों को प्राथमिकता देता है और शादी के बाद किन प्राथमिकताओं में बदलाव लाने की जरूरत है.

शादी के बाद खर्चों का बंटवारा

इस बारे में बातचीत फाइनेंशियल मैनेजमेंट के मकसद से जरूरी है. इससे ये साफ रहेगा कि शादी के बाद घर के रोजमर्रा के खर्च कैसे उठाए जाएंगे और निवेश कैसे किए जाएंगे.

अगर पति और पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं, तो शादी के बाद खर्चों के बंटवारे का मुद्दा और भी अहम हो जाता है. इससे दोनों व्यक्तियों की ज्वाइंट कमाई और खर्च के आधार पर बजट बनाना आसान हो जाएगा.

क्रेडिट हिस्ट्री और चालू कर्ज

इस बारे में बात करने में लोग हिचकिचाते जरूर हैं, खासकर तब, जब उन्होंने पहले कभी कोई डिफॉल्ट किया हो. लेकिन ये जानना इसलिए जरूरी है ताकि शादी से पहले ही आपको पता चल जाए कि भावी जीवनसाथी के ऊपर कोई लोन है या नहीं. ये लोन पर्सनल हो सकता है या फिर एजुकेशन, ऑटो या होम लोन.

क्रेडिट हिस्ट्री से पहले की फाइनेंशियल गलतियों का पता चलेगा और आप दोनों मिलकर ये तय कर सकेंगे कि आगे ये गलतियां न दोहराई जाएं.

वित्तीय लक्ष्य और उन्हें पूरा करने के लिए जोखिम लेने की क्षमता

एक-दूसरे के वित्तीय लक्ष्य या फाइनेंशियल गोल्स जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि आने वाले वक्त में आपको अपने भावी जीवनसाथी के वित्तीय लक्ष्यों के साथ तालमेल बैठाना होगा. मिसाल के लिए अगर आपके पार्टनर ने 5 साल बाद घर लेने की योजना बनाई है और होम लोन के डाउन पेमेंट के लिए वो इन्वेस्टमेंट कर रहा है, तो हो सकता है कि आप पर भी उस होम लोन की ईएमआई का कुछ बोझ आए.

वित्तीय लक्ष्यों के साथ-साथ निवेश में जोखिम लेने की क्षमता पर भी खुलकर बात करें, क्योंकि हर इंडिविजुअल के लिए जोखिम लेने की क्षमता पारिवारिक परिस्थितियों और खर्च की आदत पर निर्भर करती है. इसी से तय होगा कि आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को किस अवधि में हासिल करना चाहते हैं.

फैमिली प्लान

शादी के बाद के इस फैसले के लिए चर्चा शादी के पहले करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसका आर्थिक असर आप दोनों पर होगा. इस बारे में चर्चा जरूर करें कि आप दोनों कितने बच्चे चाहते हैं, क्योंकि बच्चों को बड़ा करने और उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए आप दोनों को मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार रहना होगा.

बच्चों के बाद क्या दोनों पति-पत्नी नौकरी करते रहेंगे, बच्चे डे-केयर में रहेंगे या घर पर वो अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ रहेंगे, ये सवाल भले ही शादी के पहले प्री-मेच्योर लगें, लेकिन अगर आपने इनके जवाब अपने भावी जीवनसाथी के साथ मिलकर ढूंढ लिए, तो पोस्ट वेडिंग फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद आसान हो जाएगी.

एक-दूसरे के फाइनेंशियल और फिजिकल एसेट

शादी से पहले आपके निवेश, इंश्योरेंस पॉलिसीज और जो भी फाइनेंशियल एसेट हों, उनके बारे में अपने भावी जीवनसाथी से चर्चा करना बेहतर है.

आप दोनों को ही ये पता होना चाहिए कि आपके पास क्या है और आप क्या हासिल करना चाहते हैं. इससे ये भी साफ हो जाएगा कि शादी के बाद आपको इंश्योरेंस पॉलिसीज में बदलाव लाने की जरूरत है या नहीं, घर खरीदने का वित्तीय लक्ष्य रखना है या नहीं, या फिर इन्वेस्टमेंट हैबिट बदलना है या नहीं.

याद रखिए कि आप दोनों एक-दूसरे के साथ जितने खुले होंगे, आपका वैवाहिक जीवन उतना ही सुखी होगा. और अगर आपने शादी से पहले ही अपने पैसों से जुड़ी बातों पर भावी जीवनसाथी का भरोसा जीत लिया है, तो वैवाहिक जीवन की इससे शुभ शुरुआत क्या हो सकती है.

(धीरज कुमार अग्रवाल जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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