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‘दंगल क्वीन’ दिव्या के आगे डर घुटने टेक देता है 

60 मेडल जीतने के बाद अब दिव्या 2020 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

कैमरा: अभिषेक रंजन, संजय देब

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आज आप मुझे 3 करोड़ दे रहे हैं क्योंकि मैंने मेडल जीता, लेकिन जब मुझे पैसों की जरूरत थी तो आपने मेरी मदद नहीं की. मेरी इनाम की रकम घटा दीजिए और उस पैसे से उन खिलाड़ियों की मदद कीजिए जिन्हें इसकी मुझसे ज्यादा जरूरत है. 
दिव्या काकरान, एशियन गेम्स ब्रॉन्ज मेडल विनर 

ये कहना है एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली रेसलर दिव्या काकरान का दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से.

21 साल की दिव्या अपनी बात बिना किसी हिचकिचाहट के सबके सामने रखती हैं और अपने मन का काम करने में भरोसा रखती हैं.

कैसे बनीं ‘दंगल क्वीन’?

10 साल की उम्र से लड़कों से दंगल लड़ने वाली दिव्या के पिता भी पहलवान थे जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर से रेसलिंग की दुनिया में नाम करने आए थे, लेकिन ऐसा कर नहीं पाए. गरीबी और कोई आर्थिक मदद ना मिलने की वजह से उन्हें रेसलिंग छोड़कर दंगल में ‘लंगोट’ बेचने का काम करना पड़ा.

मैं खुद रेसलर नहीं बन पाया लेकिन मैं चाहता था कि मेरा एक बच्चा रेसलर जरूर बने. इसलिए मैं दिव्या को दंगल ले जाने लगा, लेकिन कोई भी लड़की से नहीं लड़ना चाहता था. 
सूरज पहलवान, दिव्या काकरान के पिता 

आगे बढ़ने का चैलेंज

दिव्या को अपनी जाति की वजह से भी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा क्योंकि दंगल में कुछ जातियों का ‘दबदबा’ चलता है.

दिव्या ने कभी किसी को बताने से संकोच नहीं किया कि वो नीची जाति से है. वो हमेशा अपना सरनेम इस्तेमाल करती है. जब वो विदेश जाती हैं और उससे पूछा जाता है वो कहां से आती है तो हमेशा उसने कहा कि वो नाई समुदाय से आती है. 
संयोगिता, दिव्या की मां 

दिव्या ने प्रोफेशनल रेसलिंग में आने से पहले देशभर में 23 दंगलों में पुरुष पहलवानों को हराया है. एशियन कैडेट अंडर 17 चैम्पियनशिप में जीत ने दिव्या को पहचान दिलाई. वो कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में भारत को ब्रॉन्ज दिला चुकी हैं.

अब ओलंपिक की तैयारी

60 मेडल जीतने के बाद अब दिव्या 2020 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं. लेकिन उससे पहले भी एक बड़े इवेंट की तैयारी है, वो है 2019 का चुनाव. दिव्या पहली बार वोट करेंगी, और उन्हें अच्छे से पता है उन्हें क्या चाहिए.

मैं उसी पार्टी और नेता को वोट दूंगी जो नए खिलाड़ियों के लिए मौके बनाए और उनकी आर्थिक मदद तब करे जब उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. 
दिव्या काकरान
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लेकिन वोट करने के लिए भी दिव्या को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. इलेक्टोरल लिस्ट में दिव्या का नाम और जेंडर गलत है.

उन्हें उम्मीद है कि चुनाव से पहले ये चीजें ठीक हो जाएंगी ताकि वो वोट कर सकें.

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