चेन्नई की अड्यार नदी (Chennai's Adyar River), जो ओमेगा इंटरनेशनल स्कूल के पीछे चेन्नई के कोलापक्कम से होकर बहती है, अत्यधिक प्रदूषित है. नदी का किनारा एक डंप यार्ड में बदल गया है, जिसमें 7 किलोमीटर तक बायोमेडिकल कचरा, जानवरों के शव और औद्योगिक और घरेलू कचरे को फेंक दिया जाता है. कई जगहों पर इस कचरे को जलाया जा रहा है.
53 साल के स्थानीय निवासी नपा कुमार ने कहा कि "कचरा मेरी जमीन के पीछे फेंका जा रहा है, जिससे हम काम नहीं कर सकते. उन्हें कचरा कहीं और फेंकना चाहिए."

चेन्नई में अडयार नदी के किनारे अनुपचारित बायोमेडिकल कचरा फेंका जाता है
(Photo Courtesy: Ishita Singh)
"वे कचरा जला रहे हैं, और इसके धुएं से मेरा दम घुट रहा है. इसलिए मैं मास्क पहन रही हूं, न कि कोविड के लिए. मच्छर हैं, जो एक समस्या भी है. पास में पड़ा गाय का शव इस समस्या को बढ़ा देता है."नपा कुमार, स्थानीय निवासी

स्थानीय समुदाय के सदस्य गंदे पानी का उपयोग करने को मजबूर हैं
(Photo Courtesy: Ishita Singh)
कोलापक्कम में एक अन्य स्थानीय निवासी मिझरसी से मैं मिली, उन्होंने मुझसे कहा, "मुझे नहीं पता कि वे कचरा कहां से ला रहे हैं. वे यहां कूड़ा जलाते हैं. हम यहां खेती नहीं कर सकते. यहां पानी ठीक नहीं है. यह पिस्सुओं से ग्रसित है. नतीजतन, यहां काटी गई सब्जियों से दुर्गंध आती है.
मिझरासी ने कहा कि मोटरसाइकिल चलाने वाले लोग अक्सर यहां एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनके काफी चोटें आतीं हैं. इनमें ज्यादातर रोज काम करने जाने वाले लोग हैं. कई स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि उन्होंने इस मुद्दे के बारे में कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई
एक और स्थानीय निवासी कुरियन ने बताया कि निवासियों ने एसपी को पत्र लिखकर इस मुद्दे को हल करने का अनुरोध किया है. अगर वे इससे नहीं निपटते हैं, तो हमारे पास यह जगह छोड़ने का अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा.

अनुपचारित कचरे को जलाया जा रहा है जिससे आसपास के क्षेत्र में धुंआ फैल रहा है
(Photo Credit: Ishita Singh)
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्या है कहना ?
मैंने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात की. उन्होंने सालों से चल रहे चेन्नई के वेस्ट मैंनेजमेंट के प्रमुख तीन कारणों का हवाला दिया. उन्होंने हमें बताया कि सरकार ने उन्हें और डंपिंग साइट बनाने के लिए पर्याप्त धन आवंटित नहीं किया था.
अत्यधिक खपत एक और मुद्दा है, क्योंकि शहर हर दिन 5,000 टन कचरा पैदा करता है, और इसका केवल 20% ही कानूनी रूप से डंप किया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दावा किया कि ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन (जीसीसी) ने इस समस्या के पूर्ण समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया है
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