जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) की एक खास मीठे पानी की वुलर झील (Wular Lake) खत्म होने की कगार पर है. बांदीपोरा जिले के आसपास स्थानीय लोगों का कहना है कि ये झील ही उनके रोजगार का जरिया है. वुलर के प्रदूषित होने से यहां के मछुवारों की हालत बड़ी ही खस्ता है. उनका कहना है की सरकार भी इसकी सफाई पर कोई कदम नहीं उठा रही है और हम अपना घर कैसे चलाये.
30 साल पहले वुलर काफी गहरी थी. गहराई इसलिए खत्म हुई है, क्योंकि श्रीनगर और आसपास की सारी गंदगी इसी झील में आती है. पहले के दौर और अबके दौर में काफी बदलाव आया है. हम बहुत परेशान हैं हमारा गुजारा भी बहुत मुश्किल हो गया है और हमारे बच्चे भी पैसों की कमी की वजह से पढ़ नहीं पाते.अब्दुल अजीज. स्थानीय मछुआरे
खत्म होती जा रही है वुलर झील
वुलर झील कश्मीर के बांदीपोरा (Bandipora) जिले में है. वुलर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है. जो लगातार बढ़ते प्रदूषण की वजह से प्रदूषित हो रही है. लोगों का कहना है कि पहले ये झील बेहद ही साफ थी जिसमे खास किस्म की 'ट्राउट मछलिया' पाई जाती थी पर अब झील में मछलिया बची ही नहीं हैं. पहले इसकी गहराई भी करीब 30 फीट अब इसमें मिट्टी के सिवाय कुछ नहीं है. सरकार भी बस टूरिस्टों को दिखने के लिए कुछ दूर तक इसकी सफाई करवा देती है पर इससे कुछ होता नहीं है. झील को जरूरत है अच्छी तरह से सफाई की ताकि यहां के लोगों का रोजगार लौट आये.
यहां के स्थानीय लोगों का मुख्य रोजगार मछली पालन है अगर झील में इतनी गंदगी होगी तो कैसे मछली पालन संभव है.
मैं यहां पिछले 45 सालों से काम कर रहा हूं पहले और अभी के समय में काफी ज्यादा बदलाव आया है. पहले हम खुश थे अब तो रोजी रोटी के लिए भी मुश्किल हो रही है. झील पहले 20 से 25 फीट गहरी हुआ करती थी और अब ये सिर्फ 2 फीट रह गई है. अब तो काशर गाड (कश्मीरी मछली) गायब ही हो गई है.अब्दुल समद डार, स्थानीय मछुआरे
वुलर झील अपना अस्तित्व सालों से खोता जा रहा है, कोई इसकी देखभाल के लिए कदम नहीं उठा रहा. सरकार भी हाथ पर हाथ रख कर बैठी है. जम्मू और कश्मीर सरकार की तरफ से एक कदम उठाया गया था, इसकी सफाई को लेकर पर ये भी कुछ खास हिस्सों के लिए ही था जिससे यहां आने वाले टूरिस्ट का ध्यान खींचा जा सके. पर जमीनी हकीकत की बात करें तो वुलर की हालत बहुत ही खराब है. इसलिए बहुत जरूरी है कि सरकार वुलर झील के बचाव के लिए जल्द से जल्द कुछ कदम उठाये, जिससे वुलर को बचाया जा सके.
वुलर कई सालों से मर रही है, इसकी तरफ कोई तवज्जोह ही नहीं दे रहा है. सारी तवज्जोह डल झील की तरफ है जो अच्छी बात है पर उसी तरह वुलर भी हमारी मिराज है.इस्माइल आशना, सामाजिक कार्यकर्ता
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