द क्विंट के लिए सिटीज़न जर्नलिस्ट ने कश्मीर के छोटे उद्योगों और दुकानों का दौरा किया और स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए वहां लोगों से बात की.
ऑक्सीजन प्लांट के एक कर्मचारी अब्दुल रहमान ने बताया, "अगर 15 मिनट के लिए बिजली चली जाए तो हमें एक घंटे के उत्पादन का नुकसान होता है. अगर यह दो घंटे के लिए चली जाती है, तो हमें चार घंटे का नुकसान होता है. जब बिजली नहीं रहती है तो हमारे पास बैठने और इंतजार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहता है."
एक अन्य निवासी अर्शीद डार भी कुछ ऐसा ही बताते हैं.
"सभी उद्योग प्रभावित हैं, यहां तक कि निजी क्षेत्र भी. बहुत सारे लोग हैं जो अपने छोटे, निजी व्यवसायों से आजीविका चलाते हैं. वे सभी प्रभावित हैं. छात्रों की परीक्षा है, बिजली नहीं होने से वो भी प्रभावित है"अर्शीद डार, स्थानीय निवासी
दिन में सिर्फ 2 घंटे की बिजली आपूर्ति
दुकान के मालिक आरिफ रसूल ने बताया कि उनका सारा काम बिजली पर निर्भर है और पिछले 20 से 25 दिनों से दिन में दो घंटे ही बिजली आ रही है और वे कोई काम नहीं कर पा रहे हैं.
रसूल आगे कहते हैं, "अधिकारियों को पता होना चाहिए कि हमें अपने दैनिक काम के लिए बिजली की जरूरत है लेकिन वे कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. हम संबंधित अधिकारियों से बिजली बहाल करने की अपील करते हैं क्योंकि हमारी आजीविका पूरी तरह से इसी पर निर्भर है।"
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