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'गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई... तालिबान के राज में जीने के लिए कर रहा हूं संघर्ष'

अफगानिस्तान में फल और मांस खरीदना विलासिता बन गया है. बच्चों को बुनियादी दैनिक भोजन उपलब्ध कराने में असमर्थ

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तालिबान (Taliban) को पूरी तरह से अफगानिस्तान(Afghanistan) पर कब्जा किए करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं और देश में चीजों की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं. अब अफगानों को नौकरियों और संघर्षरत व्यवसायों के अभाव में महंगाई से लड़ना होगा.

अफगानिस्तान के एक विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर ने द क्विंट को बताया, 'मुझे तीन महीने से मेरा वेतन नहीं मिला है और अब अपने परिवार के लिए आवश्यक सामान नहीं खरीद पा रहा हूं. मैं सिर्फ उन लोगों से उधार ले रहा हूं जिन्हें मैं जानता हूं. लेकिन वो कब तक मेरी मदद कर सकते हैं?

“तालिबान के आने से पहले 50 किलो आटे की कीमत 31 डॉलर थी, अब 45 डॉलर है, 20 लीटर खाना पकाने के तेल की कीमत 29 डॉलर है, आजकल यह 48 डॉलर है. एक लीटर पेट्रोल केवल आधा डॉलर था और आज ये एक डॉलर प्रति लीटर से अधिक है. गैस की कीमत पेट्रोल के बराबर होती है. लेकिन फल बहुत महंगे नहीं हैं क्योंकि वो घरेलू हैं और हम विदेशों में निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि सीमाएं बंद हैं.
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तब से मैंने यंहा लोगों को फल, मछली या मांस खरीदते नहीं देखता क्योंकि, हमारे लिए, वो अब बहुत मंहगे है. हम बस जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं! आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है. यहां हजारों परिवारों के पास खाने को कुछ नहीं है. वो अपने बच्चों के लिए कम से कम दैनिक भोजन प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं. यहां तक ​​कि बैंकिंग सिस्टम भी चरमराने के करीब है.

तालिबान ने नए नियम लागू किए

प्रोफेसर ने बताया कि, हमारे जीवन में इन सभी समस्याओं के साथ-साथ प्रतिदिन नए-नए प्रतिबंध भी आते हैं. महिलाओं पर जबरन बुर्का थोपने से लेकर दाढ़ी काटने पर पुरुषों पर प्रतिबंध लगाने तक, तालिबान ने सूक्ष्म स्तर पर हमारे जीवन को नियंत्रित करने के लिए हर संभव कोशिश की है.

पिछले कुछ दिनों में, कंधार और हेलमंद प्रांतों में, तालिबान ने नागरिकों के लिए कुछ घोषणाएं करते हुए फरमान सुनाया कि, लोगों को अपनी दाढ़ी नहीं काटनी चाहिए और उन्होंने नाई को सूचित किया है कि अगर उनमें से कोई भी दाढ़ी काटता है, तो उन्हें दंडित किया जाएगा.

"28 सितंबर को उन्होंने कंधार में फरमान सुनाया कि किसी को भी संगीत नहीं सुनना चाहिए और आपको शादियों में संगीत नहीं बजाना चाहिए. इसलिए तालिबान और नागरिकों के बीच स्थिति बहुत गंभीर है.”
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कई जगहों पर तो कई बार ये छोटी-छोटी बातों पर नागरिकों को प्रताड़ित करते हैं. पहले हमें अपने देश से कई उम्मीदें थीं. तालिबान की ये हरकतें हमें निराश करती हैं.

(कहानी के लेखक अफगानिस्तान के एक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं. सुरक्षा कारणों से उनकी पहचान छुपाई गई है.)

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