सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक शख्स को पत्थरों से मार दिया गया. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो पत्थर मारकर एक शख्स की हत्या करते तालिबानियों का है. अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान(Taliban) के कब्जे के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई अपुष्ट वीडियो, फोटो हाल के बताकर वायरल हो रहे हैं.
हालांकि, हमें साल 2018 की एक न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें इसी वीडियो के स्क्रीनशॉट हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना अफगानिस्तान के जोव्जान प्रोविंस की है, जहां एक 60 वर्षीय आदमी को अपनी ही बेटी के साथ बलात्कार करने के आरोप में इस्लामिक स्टेट ने पत्थरों से मारकर मार डाला था.
दावा
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस वीडियो को अफगानिस्तान में तालिबान के जुल्म का बताकर शेयर किया.
हमें साल 2019 के ट्वीट में भी यही वीडियो मिला. लेकिन, इस ट्वीट में वीडियो को अलग दावे से शेयर किया गया है. इस ट्वीट में दावा किया गया है कि वीडियो अफगानिस्तान में पत्थरों से हुई ईसाई महिला की हत्या का है. इस वीडियो को ट्विटर पर 10 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. यही दावा करते अन्य सोशल मीडिया पोस्ट्स का अर्काइव देखने के लिए यहां, यहां, यहां और यहां क्लिक करें.
पड़ताल में हमने क्या पाया?
गूगल के 'इनविड वी वेरिफाई' एक्सटेंशन के जरिए हमने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स निकालकर हर फ्रेम को रिवर्स सर्च किया. हमें Shafaqna news वेबसाइट का एक आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल में वायरल वीडियो के ही स्क्रीनशॉट हैं.
बीबीसी के हवाले से बताया गया है कि 60 वर्षीय आदमी की अपनी ही बेटी का बलात्कार करने के आरोप में पत्थर मारकर हत्या कर दी गई थी. इससे जुड़े फारसी शब्द के कीवर्ड सर्च करने से हमें बीबीसी का एक आर्टिकल मिला. 22 जून, 2018 को पब्लिश हुए इस आर्टिकल में बताया गया है कि घटना साल 2018 के शुरुआत की है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ये शख्स दरजाब जिले के मोंगोल गांव का था. इस शख्स के मृत शरीर को बिना किसी प्रार्थना या दुआ के दफनाया गया था. फारसी भाषा की कई अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में भी यही बताया गया है.
हालांकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिनमें बताया गया है कि तालिबानी लड़ाकों ने किस तरह पंजशीर घाटी पर अफगानी नागरिकों की हत्या की. लेकिन, वायरल हो रहे इस वीडियो का अफगानिस्तान की हालिया स्थिति से कोई संबंध नहीं है.
साफ है कि सोशल मीडिया पर साल 2018 के एक वीडियो को अफगानिस्तान की हालिया स्थिति से जोड़कर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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