'ताज नगरी' के नाम से फेमस आगरा अपने पर्यटन के लिए जाना जाता है. 17वीं शताब्दी में बने ताजमहल स्मारक को दुनिया के 7 अजूबों में शामिल किया गया है. ताजमहल की सुंदरता ने हमेशा से देश ही नहीं बल्कि दुनिया के पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई है. आगरा में बना ताजमहल पर्यटन से अपना अधिकांश राजस्व प्राप्त करता है.
लेकिन कोरोना महामरी ने पर्यटन को बुरी तरह प्रभावित किया क्योंकि कोरोना के चलते सभी पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए थे जिससे राजस्व में अत्यधिक कमी आई. और लोगों के जनजीवन पर इसका खासा प्रभाव पड़ा, उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से होने वाले चुनाव से पहले क्विंट ने आगरा के स्थानीय निवासियों से बातचीत कर वहां के लोगों की समस्या जानी और पूछा कि क्या सरकार की तरफ से उन्हें कोई राहत दी जा रही है.
क्विंट ने आगरा निवासी एक मोची रुकाराम से बातचीत करते हुए उनसे उनकी कठिनाइयों के बारे में पूछा जिनका उन्होंने और उनके परिवारवालों ने कोरोना के समय सामना किया और कोविड लॉकडाउन के बीच अपनी नौकरी से भी हाथ धो दिया. उन्होंने कहा कि,
हम बहुत परेशानी में हैं क्योंकि हमने अपनी नौकरी खो दी. कोई भी नौकरी या और कोई काम ना होने के कारण हमारे लिए अपने परिवार और अपनी आजीविका को बनाए रखना बहुत मुश्किल हो गया है. सरकार से हमें किसी भी प्रकार की योजना का लाभ नहीं मिला. जब वोट मांगने की बात आती है तो वो आते हैं वरना वो हमारी बात तक नहीं सुनते.रुकाराम, मोची
एक अन्य आगरा निवासी मोची गीता देवी ने बताया कि कोविड के दौरान उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे काम करने के लिए मजबूर किया गया है.
गीता ने बताया कि "हमें सरकार से राहत के नाम पर राशन भी नहीं मिला. मेरे बेटे को अपना घर चलाने के लिए सब्जी तक बेचनी पड़ी. हमारे लिए लॉकडाउन बहुत ही मुश्किल भरा रहा.
आगरा में मिठाई की दुकान चलाने वाले नवीन अग्रवाल ने लॉकडाउन के दौरान हुई परेशानियों को क्विंट से साझा करते हुए कहा कि,
लॉकडाउन के कारण हमारी दुकाने बंद हो गई और हमें घर बैठना पड़ा जिससे कमाई बंद हो गई और खर्चा बढ़ गया. कोविड के कारण पर्यटकों का आना बंद हो गया जिसका सीधा असर हमारे काम पर पड़ा क्योंकि हमारा अधिकतर काम उन्हीं पर निर्भर होता है. पर्यटकों के शहर में न आने के कारण हमारा काम अब 35% तक कम हो गया है.नवीन अग्रवाल मिठाई की दुकान के मालिक
नवीन अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन के समय में कच्चे माल की बहुत बर्बादी हुई क्योंकि हम दुकान नहीं खोल सकते थे जिस कारण पेठे (सफेद कद्दू से बनी मिठाई) नहीं बना सकते थे और वो सब सड़ गए. फिर ये हुआ कि जब लॉकडाउन के बाद हम लोग वापस काम पर लौटे तो कच्चे माल के दाम चार गुना अधिक बढ़ गए.
सरकारी योजना सिर्फ घोषणा थी'
क्विंट ने जब नवीन से पूछा कि क्या उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद दी गई या कोई योजना का लाभ मिला तो उन्होंने कहा कि घोषणाएं तो की गईं लेकिन वो सिर्फ घोषणा तक ही सीमित थी जमीन पर कुछ नहीं हुआ.
नवीन अग्रवाल ने बताया कि जब हम अपनी समस्याओं को साझा करते हैं और स्थानीय राजनेताओं से शिकायत करते हैं तो वो हमारी परेशानियों को विधायकों तक तो ले जाते हैं लेकिन उसके बाद कुछ नहीं होता.
इसलिए उन लोगों के लिए मदद मांगना मुश्किल हो जाता है क्योंकि अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती.
सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ योजनाएं पूरी तरह से हमारे खिलाफ थी जिसके चलते पेठा निर्माता आगरा से पलायन कर रहे हैं. एक समय ऐसा था जब यहां लगभग 300-350 छोटे कारखाने थे लेकिन आज हालात ये हैं कि यहां केवल 100-125 छोटे कारखाने बचे हैं.नवीन अग्रवाल मिठाई दुकानदार
क्विंट ने टूर गाइड इमरान से मुलाकात की, जिन्होंने हमें बताया कि अब शहर में कितना कम संख्या में पर्यटक आ रहे हैं, और इससे उनकी आजीविका कितनी प्रभावित हुई है.
हम एक दिन में 1-2 टूरिस्ट को ही घुमा पा रहे हैं. जिससे हमारी आजीविका प्रभावित हो रही है अगर हम कमाई नहीं करेंगे तो घर कैसे चलाएंगे? कोविड की वजह से पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है पहले आगरा में आने वाले पर्यटकों में 100 हमारे टूरिस्ट होते थे लेकिन अब मुश्किल से 2-3 ही मिल पाते हैं.टूरिस्ट गाइड इमरान
इमरान ने बताया की सरकारी योजनाएं उनके लिए किसी काम की नहीं, उन्होंने कहा कि,
एक योजना के बारे में मैंने सुना था कि पर्यटन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पर्यटक गाइडों को सरकार द्वारा 1 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा, इसका मतलब है कि हमें सरकार द्वारा मदद के रूप में कर्ज दिया जा रहा है जिसे हमें चुकाना भी पड़ेगा. लेकिन हम कर्ज नहीं मुआवजा चाहते हैं, क्योंकि अगर हम महामारी के वक्त कमा रहे थे तो हमें ऋण की जरुरत ही क्यों है?
कोविड-19 की वजह से आगरा में आने वाले पर्यटकों की कमी के चलते सभी प्रकार के छोटे व्यवसाय मालिकों की आजीविका प्रभावित हुई है.
चाहे वो आगरा का मशहूर पेठा व्यापारी हो या जूता बनाने वाला, या फिर ढाबा- होटल मालिक सभी उम्मीद जाता रहे हैं कि अब हालत सुधरेंगे और सरकार उनकी कुछ मदद करेगी.
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