यूपी के अलीगढ़ (Aligarh) में दो साल पहले हुए तारिक हत्याकांड मामले में बीजेपी के युवा नेता विनय वार्ष्णेय समेत तीनों आरोपियों को जिला जज द्वारा बरी कर दिया गया है. साल 2020 में जब CAA/NRC को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे तब तारिक की हत्या हुई थी. इस मामले में बीजेपी के युवा नेता समेत तीन लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज था लेकिन अब सभी गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं इसके बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है.
पूरा मामला समझिए
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत जिले भर में कई जगह प्रदर्शन चल रहे थे. 23 फरवरी 2020 को अलीगढ़ की ऊपरकोट पर बवाल के दौरान बाबरी मंडी में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. तब हार्डवेयर कारोबारी के बेटे मोहम्मद तारिक को गोली लग गई थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अगले 15 दिनों में ही इलाज के दौरान तारिक की मौत हो गई थी.
मौत से पहले ही तारिक के भाई शारिक ने विनय वार्ष्णेय, त्रिलोकी और सुरेंद्र वार्ष्णेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने कार्रवाई कर विनय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इसके बाद शहर में माहौल गर्मा गया था. लॉ एंड आर्डर के मद्देनजर विनय को एटा जेल शिफ्ट कर दिया गया था. तारिक की मौत के बाद विनय पर दायर हुआ मुकदमा हत्या के मुकदमे में बदल दिया गया था.
विनय को बरी किए जाने के बाद विनय के एडवोकेट हरि ओम गुप्ता ने कहा, "2020 में CAA/NRC को लेकर काफी हंगामा हुआ था तब कई मुकदमे दर्ज हुए थे उसमें से एक विनय समेत तीन के खिलाफ भी दर्ज हुआ था. ये पूरा मामला हिंदू-मुस्लिम हो गया था. लेकिन तीनों के खिलाफ एक भी ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिससे इन पर दोष साबित हो सकता था इसलिए तीनों को जिला जज बब्बू सारंग द्वारा बरी किया गया."
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में विनय के समर्थन में कई लोग थे. कोर्ट में भारी पुलिस बल के साथ आलाधिकारी भी मौजूद रहे. विनय के पक्ष में फैसला आने के बाद कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विनय से गले मिलकर खुशी जाहिर की.
अलीगढ़ के भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सौरभ चौधरी ने विनय को सभी का आदर्श बताते हुए कहा, "सीएए/एनआरसी के विरोध के दौरान एक मौत हो गई थी जिसमें विनय को फर्जी फंसाया गया था जिसके बाद वे दो साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे लेकिन सब्र का फल मीठा होता है ये पूरे हिंदू समाज की जीत है."
इनपुट क्रेडिट - मुकेश गुप्ता
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