तीन विवादित कृषि कानूनों (Farm Laws) के एक साल पूरा होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 27 सितंबर को भारत बंद (Bharat Band) का ऐलान किया है. इसी दिन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों किसान विधायकों ने कानून का रूप लिया था, जिसके बाद से किसान इसका विरोध कर रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने ऐलान किया है कि भारत बंद 10 घंटे का रहेगा, जो सुबह 6 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक चलेगा. मोर्चा का ये भी कहना है कि यह बंद शांतिपूर्ण होगा और लोगों को कम से कम असुविधा हो, इसका ध्यान रखा जाए.
भारत बंद को किस-किसका समर्थन हासिल?
तीनों कृषि कानूनों का विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आवाहन को कई विपक्षी पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर, डीएमके, तेलुगु देसम, आरजेडी, बीएसपी समेत कई पार्टियां शामिल हैं. पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी भारत बंद को पूरा समर्थन दिया है.
आंध्र प्रदेश ने किसान आंदोलन और भारत बंद को अपना पूरा समर्थन दिया है. राज्य ने सरकारी परिवहन पर 26 सितंबर की आधी रात से 27 सितंबर की दोपहर तक रोक लगा दी है.
तमिलनाडु में सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने भी भारत बंद को सफल बनाने की अपील की है और कहा है कि पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करती है.
केरल की सत्ताधारी पार्टी एलडीएफ ने भी किसानों का साथ देने की बात कही है. तिरुवनंतपुरम में एलडीएफ संयोजक और सीपीआईएम के सचिव ए विजयराघवन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "केरल में लगभग 5 लाख लोग भारत बंद में हिस्सा लेंगे. 100 संगठन जिनमें बैंक कर्मचारी, किसान संगठन और ट्रांसपोर्ट वर्कर भी शामिल हैं, भारत बंद को सफल बनाएंगे."
कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भारत बंद को समर्थन देते हुए कहा,
"कृषि क्षेत्र में जो भी क्षति पहुंची है मोदी सरकार उसके लिए जिम्मेदार है. दिल्ली के बॉर्डर पर 9 महीने से विरोध कर रहे किसानों के लिए मोदी सरकार ने आंखें मूंद ली हैं. इसमें लगभग 600 किसान अब तक अपनी जान गवा चुके हैं."
बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा कि "पार्टी के बड़े नेताओं से चर्चा के बाद फैसला लिया गया है कि भारत बंद को आरजेडी का समर्थन होगा. एनडीए सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हम किसानों के साथ खड़े हैं."
क्या-क्या हो सकता है प्रभावित ?
संयुक्त किसान मोर्चा के ऐलान के मुताबिक, भारत बंद के दौरान केंद्र और राज्य सरकार के ऑफिस, बाजार, दुकानें, फैक्ट्रियां, स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे.
इसके अलावा किसी भी तरह का सार्वजनिक कार्यक्रम सड़कों पर आयोजित नहीं होने दिया जाएगा. साथ ही सड़कों पर सरकारी और प्राइवेट गाड़ियों की आवाजाही भी प्रतिबंधित रहेगी. हालांकि, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी इमरजेंसी सेवाओं को इससे छूट देने का ऐलान किया गया है.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर कनफेडरेशन (AIBOC) ने भी भारत बंद को अपना समर्थन दिया है इससे बैंकों का कामकाज कुछ हद तक प्रभावित होने की आशंका है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया कि भारत बंद की थीम "किसान विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ भारत बंद" होगा. इसके अलावा और भी कई नारे तैयार किए गए हैं जैसे "मोदी ने मंडी बंद किए, किसान भारत बंद करेगा".
व्यापार नहीं रहेगा बंद
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविकांत गर्ग ने कहां है कि व्यापारियों छोटे उद्योगों दुकानदारों को भारत बंद से कुछ लेना देना नहीं है और लोग अपना व्यापार बंद नहीं रखेंगे. उन्होंने आगे कहा कि
"किसान आंदोलन कुछ तथाकथित किसानों द्वारा खड़ा किया गया है, जिन्हें विपक्षी पार्टियों का दरवाजे के पीछे से समर्थन हासिल है."
इन राज्यों में दिख सकता है बंद का असर
भारत बंद को पहले ही कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल चुका है. इससे गैर बीजेपी शासित राज्यों में बंद का जोरदार असर हो सकता है.
केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भारत बंद का जोरदार असर देखने को मिल सकता है, क्योंकि इन तीनों ही राज्यों की सरकारों ने भारत बंद को अपना पूरा समर्थन दिया है. इसके अलावा हरियाणा और पंजाब जैसे राज्य जो किसान आंदोलन के केंद्र में है, वहां भी बंद का भारी असर होने की उम्मीद है.
आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य परिवहन की बसों को 26 सितंबर की आधी रात से 27 सितंबर की दोपहर तक रोकने का फैसला किया है.
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