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Bilkis Bano Case: 11 को दोषी ठहराने वाले जज ने कहा- कोर्ट देखे राज्य ठीक या नहीं

Bilkis Bano Case: बिलकिस का मामला पहले गुजरात हाईकोर्ट में था लेकिन बाद में मुंबई की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था.

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2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए 2008 में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले जस्टिस (रिटायर्ड) यू डी साल्वी ने बड़ी बात कही है. 11 दोषियो की उम्रकैद की सजा को माफ करने के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि "जो पीड़ित है वो इसे बेहतर जानता है"

गुजरात सरकार के पैनल ने सजा में छूट के उनके आवेदन को मंजूरी देने के बाद 11 दोषियों को सोमवार को जेल से रिहा कर दिया था.

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संबंधित अदालत या हाई कोर्ट को देखना है राज्य का फैसला- जस्टिस साल्वी

मुकदमे की सुनवाई करते हुए, मुंबई सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के तत्कालीन विशेष जज जस्टिस साल्वी ने बिलकिस के बयान को "साहसी" बताते हुए मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था. उन्होंने अब इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि, “मैं केवल ये कहना चाहूंगा कि दिशानिर्देश हैं (छूट देने के पहलू पर), राज्य स्वयं इन दिशानिर्देशों को निर्धारित करता है. इस पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं, ” उन्होंने कहा कि,

“फैसला बहुत पहले दिया गया था. अब ये सरकार के हाथ में है. राज्य को फैसला लेना है. यह सही है या नहीं, यह संबंधित अदालत या हाई कोर्ट को देखना है”

उन्होंने आगे कहा, “फैसला बहुत कुछ समझा सकता है; मामले की परिस्थितियां क्या थी, कौन लोग इसमें शामिल थे और किस तरह से ये अपराध हुआ है. उसने (बिलकिस) इसमें शामिल लोगों के नाम बताए थे. यह केवल आरोपी की पहचान पर आधारित नहीं था. ...फैसला अपने लिए खुद बोलेगा, इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता."

बिलकिस ने जारी किया है बयान

दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस ने अपने वकील के जरिए बयान जारी कर कहा था कि, “आज, मैं केवल यही कह सकता हूं – किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे समाप्त हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था. मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात (Trauma) के साथ जीना सीख रही थी. इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय से मेरे विश्वास हिल गया है." जस्टिस साल्वी ने कहा कि उन्होंने अभी बिलकिस का स्टेटमेंट नहीं देखा है लेकिन कोर्ट का तब का फैसला सब के सामने है.

बिलकिस का मामला पहले गुजरात हाई कोर्ट में था लेकिन फिर उन्हें धमकियां मिलने और निष्पक्षता पर सवाल उठने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में केस को मुंबई की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. गवाह के बयानों सहित इस मामले में सबूत हजारों पन्नों में पेश किए गए थे.

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