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Bilkis Bano के दोषियों की रिहाई पर पति का छलका दर्द- फैसले से हैरान हैं हम

Bilkis Bano के साथ गुजरात में 2002 में दंगों के दौरान गैंगरेप हुआ था. उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी.

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राज्य
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2002 गुजरात दंगों (Gujrat Riots 2002) के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के साथ हुए गैंगरेप और उनके परिवार की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. गुजरात सरकार के इस फैसले पर सियासतदानों से लेकर बिलकिस के परिवार ने सवाल उठाए हैं. सभी दोषियों को गुजरात सरकार (Gujrat Government) की स्वतंत्रता दिवस पर माफी योजना के तहत रिहाई मिली है.

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बिलकिस बानो को इस फैसले पर विश्वास नहीं हो रहा है कि 11 अपराधी जेल से आजाद हो गए हैं. वह पहले रोईं और फिर चुप हो गई, उनके पति याकूब रसूल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया.

क्या बोले बिलकिस के पति?

दोषियों की रिहाई पर बिलकिस के पति रसूल ने कहा, "हम स्तब्ध और हैरान हैं." गुजरात सरकार ने बिल्किस के साथ सामूहिक बलात्कार और उनकी तीन साल की बेटी सहित परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले 11 दोषियों को रिहा कर दिया है. इन दोषियों को साल 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

“इतने सालों तक हमने जो लड़ाई लड़ी, वह एक पल में सिमट गई. कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा में इस तरह कटौती की गई है. हमने कभी 'छूट' शब्द तक नहीं सुना था. हमें यह भी नहीं पता था कि ऐसी प्रक्रिया मौजूद है.” रसूल ने दाहोद के देवगढ़ बरिया में अपने घर से द इंडियन एक्सप्रेस को फोन पर बताया.

जेल के बाहर दोषियों का फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया गया. रसूल ने बताया कि 41 वर्षीय बिलकिस इस फैसले से 'परेशान और उदास' हैं और किसी से बात करने में असमर्थ हैं.

"2002 में जो हुआ वह इतना भयावह था कि कोई समझ सकता है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा होगा. उनके साथ बर्बरता हुई, उन्होंने अपनी बेटी की हत्या होते हुए देखा. उन्हें न केवल एक महिला के रूप में बल्कि एक मां और इंसान के रूप में भी प्रताड़ित किया गया था. इससे बुरा और क्या हो सकता है?"
याकूब रसूल, बिलकिस बानो के पति

इसके साथ ही उन्होंने कहा, हमें मुआवजा दिया गया था. लेकिन घर और रोजगार नहीं मिला. हमने कई बार अपील भी की है. बिलकिस के परिवार को अभी भी सरकार से मदद की उम्मीद है.

दोषियों की रिहाई पर क्या बोले अधिकारी?

बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई पर सुजल मायात्रा, जिला मजिस्ट्रेट और पंचमहल के कलेक्टर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि "यह एक सर्वसम्मत फैसला है."

उन्होंने आगे कहा कि “दोषियों ने अपनी उम्रकैद की सजा के 14 साल पूरे कर लिए थे. उनका आवेदन करीब तीन महीने पहले आया था. सजा में छूट या समय से पहले रिहाई के लिए किसी अन्य आवेदन की तरह ही इस मामले में भी जेल में दोषियों के व्यवहार के साथ-साथ अन्य बातों पर विचार किया गया. राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और सोमवार को हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले."

अपनी पहचान न उजागर करने की शर्त पर एक अन्य समिति सदस्य ने कहा कि सजा में छूट के लिए स्वास्थ्य का भी हवाला दिया गया है. “दोषियों में सबसे बुजुर्ग 70 वर्ष का है और उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं. एक अन्य दोषी, जिसकी उम्र 60 वर्ष के करीब है उसने अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पत्नी की बीमारी का भी हवाला दिया है.”
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बिलकिस बानो के साथ क्या हुआ था ?

गुजरात दंगों के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले से बिलकिस बानो का परिवार सुरक्षित जगह की तलाश में एक ट्रक में सवार होकर जा रहा था. इस दौरान राधिकापुर में उस ट्रक को घेर लिया गया. ट्रक में सवार 14 लोगों को मिनटों में मौत के घाट उतार दिया गया. जिसमें बिलकिस बानो के परिवार वाले भी शामिल थे. इसी ट्रक में बिलकिस बानो भी सवार थीं. उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी और वो पांच महीने की गर्भवती थीं.

आक्रोशित भीड़ ने बिलकिस की 3 साल की बेटी को उनके सामने ही पटक-पटक कर मार डाला. इसके बाद बिलकिस बानो का एक के बाद एक 11 लोगों ने गैंगरेप किया और उन्हें मरा समझकर छोड़ गए.

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