दिल्ली, पंजाब और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा कोयले की कमी का मुद्दे को उठाने के बाद, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोयले के भंडार में कमी (Coal Shortage) के पीछे चार कारण बताए हैं. ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में एक इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप हफ्ते में दो बार कोयले के स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है. पिछले कुछ दिनों में, कोयले के भंडार में गिरावट ने देश में बिजली संकट की चिंता पैदा कर दी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऊर्जा मंत्रालय ने कहा, "पावर प्लांट्स में कोयले के भंडार में कमी के चार कारण हैं- अर्थव्यवस्था खुलने के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, सितंबर में कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन और मार्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, आयात होने वाले कोयले की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण आयातित कोयला आधारित पावर प्लांट्स से बिजली उत्पादन में कमी आई, जिससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ी, मॉनसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त कोयला भंडार का निर्माण न करना."
ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि कुछ राज्यों — महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश की कोयला कंपनियों के भारी बकाया के पुराने मुद्दों ने भी संकट को बढ़ा दिया है.
बिजली मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था के रिवाइवल से बिजली की मांग और खपत में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने कहा, "बिजली की दैनिक खपत 4 अरब यूनिट प्रतिदिन से ज्यादा हो गई है और 65 प्रतिशत से 70 प्रतिशत मांग केवल कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन से पूरी हो रही है, जिससे कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है."
हालांकि, केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हालात अगले 3 से 4 दिनों में ठीक होने की संभावना है.
दिल्ली, आंध्र के मुख्यमंंत्री ने PM मोदी को लिखा पत्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोयले की कमी की वजह से राजधानी दिल्ली में बिजली संकट पैदा होने की जानकारी देते हुए कोयले की कमी को दूर करने की मांग की. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएसजगन मोहन रेड्डी ने ऊर्जा संकट के कारण राज्य में भयावह स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.
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