मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने शनिवार, मतलब आज "किसान विजय दिवस" मनाने के साथ-साथ पूरे देश में विजय रैली आयोजित करने का फैसला किया है.
बता दें देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को वापस लेने के बाद, कृषि कानूनों को रद्द करना दूसरा बड़ा फैसला है, जो केंद्र सरकार ने आम जनता के बड़े विरोध के बाद लिया है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने शुक्रवार को सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कहा कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद पार्टी द्वारा शनिवार को पूरे देश में किसान विजय दिवस मनाया जाएगा.
पत्र में आगे कहा गया, केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का जश्न लोगों तक पहुंचे इसके लिए किसान विजय रैली का आयोजन किया जाएगा. कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्षों ने जिले से लेकर प्रखंड स्तर तक सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को किसान विजय दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं.
इससे पहले कांग्रेस ने 14 नवंबर से देशभर में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाने का फैसला किया था. कांग्रेस ने यह अभियान पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी, बेरोजगारी, महंगाई आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर शुरू किया था.
कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा किए गए दांडी मार्च की तर्ज पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा पैदल मार्च और जुलूस निकालने का फैसला किया था.
कांग्रेस के विरोध के बाद आम जनता को राहत देते हुए केंद्र ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कम उत्पाद शुल्क कम करने का फैसला किया था.
इस बार भी कांग्रेस शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने यह जिम्मेदारी राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी है.
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, करीब 12 महीने के शांतिपूर्ण विरोध के बाद आज देश के 62 करोड़ अन्नदाता, किसानों और खेत मजदूरों के संघर्ष और इच्छा शक्ति की आखिरकार जीत हुई है. सत्य, न्याय और अहिंसा के इस संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति देने वाले 700 से ज्यादा किसान परिवारों के बलिदानों का भुगतान किया गया। मुझे आशा है कि किसान कल्याणकारी नीतियों के कार्यान्वयन पर ध्यान देंगे, एमएसपी पर फसल उत्पादन सुनिश्चित करेंगे. दरों और भविष्य में केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले सभी राज्य सरकारों, किसान संगठनों और विपक्षी दलों को ध्यान में रखा जाएगा.
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