पिछले साल, दिल्ली पुलिस द्वारा 2.4 लाख से अधिक मामले या एक दिन में 650 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे.
दिल्ली में सबसे ज्यादा अपहरण
इसी के साथ बैंगलोर में 19,964 मामले दर्ज किए गए और मुंबई में पिछले साल 50 हजार मामले दर्ज किए गए, जिसमें हत्या के कुल 472 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 'प्रेम प्रसंग' और संपत्ति विवाद अधिक मामलों में देखने को मिले थे. वहीं 2019 में 521 मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि अपहरण के मामले 2019 में 5,900 से घटकर 2020 में 4,062 हो गए हैं, जिनमें से 3,000 से अधिक मामले 12 से 18 वर्ष की आयु के पीड़ितों से संबंधित थे.
गिरावट के बावजूद, दिल्ली में अपहरण के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. इसके बाद मुंबई में 1,173 मामले और लखनऊ में 735 मामले दर्ज किए गए.
आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है.
पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 10,093 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जो मुंबई, पुणे, गाजियाबाद, बैंगलोर और इंदौर में दर्ज मामलों की संख्या से दोगुने से अधिक है.
2018 में, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 13,640 मामले दर्ज किए गए और अगले साल यह संख्या 300 कम हो गई.
997 बलात्कार, 110 दहेज हत्याएं, 840 हमले और 326 उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से आधे से अधिक पीड़ितों की उम्र 30 से कम थी.
डेटा यह भी दर्शाता है कि ज्यादातर मामलों में, अपराधी पीड़ितों के परिवार, पड़ोसियों या भागीदारों में से ही कोई थे.
ऑनलाइन चोरी, धोखाधड़ी और यौन उत्पीड़न सहित साइबर अपराध पिछले साल बढ़े हैं. दिल्ली में 168 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 50-60 अधिक हैं.
पुलिस ने कहा कि हर मामले में औसतन पांच से दस लोगों को हिरासत में लिया जाता है. आरोपी मुख्य रूप से स्पष्ट यौन सामग्री को प्रसारित/प्रकाशित करने, साइबर स्टॉकिंग, धोखाधड़ी और जबरन वसूली में शामिल हैं.
पुलिस का कहना है कि अन्य महानगरों की तुलना में, दिल्ली में कम साइबर अपराध के मामले देखे गए.
पुलिस ने यह भी कहा कि पिछले साल से लंबित 28,688 मामलों को इस साल जांच के लिए फिर से खोल दिया गया है.
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