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'यूनिफॉर्म जल गया तो आयरन से दागा': द्वारका की 10 साल की पीड़ित हेल्पर के परिजन

अगर पीड़िता की चाची नहीं होती, तो परिवार को पता नहीं चलता कि द्वारका में उसको नौकरी देने वालों ने उसकी पिटाई की थी.

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“वो ऐसी भागी जैसी कि वो जेल से बाहर आ रही हो...उसने मुझे गले लगाया और मैंने देखा कि उसके हाथ कांप रहे थे"

ये बातें 10 वर्षीय डोमेस्टिक हेल्प (बच्ची) की आंटी ने उसे याद करते हुए कहा, जिसको दिल्ली (Delhi) के द्वारका (Dwarka) में घर के मालिकों (जहां वो काम करती थी) द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था. मामला बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था, जब उसकी आंटी ने कथित तौर पर घर के मालिक को लड़की की पिटाई करते हुए देखा.

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जिसके घर पर बच्ची काम करती थी, वो अब गिरफ्तार हैं और उनकी पहचान कौशिक और पूर्णिमा बागची के रूप में की गई है. डीसीपी (द्वारका) ने कहा कि पूर्णिमा एक पायलट है, जबकि कौशिक एक एयरलाइन में ग्राउंड स्टाफ के रूप में काम करता है.

घटना के एक दिन बाद द क्विंट ने इलाके का दौरा किया और नाबालिग लड़की की आंटी से बात की, जो इस मामले में चश्मदीद हैं. जबकि नाबालिग के माता-पिता बिहार में अपने गांव से आ दिल्ली आ रहे हैं. नाबालिग अब दिल्ली के आश्रय गृह में है.

'उन्होंने मेरी भतीजी को पीटा क्योंकि उसने बालकनी ठीक से साफ नहीं की थी'

अगर बच्ची की आंटी और उसका चचेरा भाई नहीं होता, तो परिवार और दिल्ली पुलिस को यह नहीं पता चल पाता कि बच्ची को उन लोगों द्वारा पीटा जा रहा है, जिनके घर पर वो काम करती थी.

बुधवार, 19 जुलाई को अपनी बेटी के साथ काम पर जाते वक्त, लड़की की आंटी ने चार मंजिला इमारत में घर की बालकनी पर नाबालिग को देखा.

हम सड़क पर खड़े होकर उससे यूं ही बात कर रहे थे तभी महिला आई और उसे पीटना शुरू कर दिया क्योंकि उसने बालकनी ठीक से साफ नहीं की थी. जब मैंने बच्ची से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसे अक्सर पीटा जाता था. यहां तक कि जब मैंने उससे नीचे आने के लिए कहा, तो उसने मना कर दिया, इस डर से कि उसे और ज्यादा मार पड़ेगी.
पीड़िता की आंटी
जब लड़की की आंटी को कुछ गलत होने का एहसास हुआ, तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुलाया.

लड़की की आंटी ने कहा कि जब हम बच्ची को नीचे लाने के लिए आवाज दे रहे थर तो घर का मालिक बाहर आया और उसने हमारे खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और बच्ची को बाहर लाने से मना कर दिया. महिला ने हमें उसके माता-पिता को बुलाने के लिए कहा.

नाबालिग की आंटी ने द क्विंट से बात करते हुए आरोप लगाया कि कौशिक ने पूर्णिमा को बच्ची को और पीटने के लिए उकसाया.

अर्धसैनिक बल का एक कर्मचारी, जो आरोपी दंपत्ति का पड़ोसी है, वह भी इस बहस में कूद पड़ा. हालांकि रिश्तेदारों ने नाबालिग के माता-पिता को कॉल किया, जो बिहार में अपने गांव में थे, लेकिन घर के मालिकों ने बच्ची को बाहर भेजने से मना कर दिया.

बच्ची की आंटी ने बताया कि मैंने अपने भाई को फोन किया और उनसे पूछा कि उसने अपनी बेटी को किस तरह के घर में भेजा है.

एक अन्य चश्मदीद ने द क्विंट को बताया कि

हम लोग एक समूह में घर के मालिकों से बात करने के लिए फ्लैट में गए थे और उनसे लड़की को नीचे आने देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. जल्द ही और भी स्थानीय लोग हमारे साथ जुड़ गए जिसके बाद घर के मालिकों ने घर का मुख्य दरवाजा थोड़ा सा खोल दिया और बच्ची बाहर निकल आई.
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कुछ देर बाद घर में रहने वाले दंपत्ति भी नीचे आ गए...

लड़की के अंकल ने द क्विंट से बातचीत में बताया कि जैसे ही लड़की नीचे आई, उसकी हालत देखकर हम सभी हैरान रह गए. उसकी बाईं आंख लाल थी और आंखों के आसपास का हिस्सा सूजा हुआ था. उसकी बांहों पर जलने की चोटें थीं और उसके पूरे शरीर पर निशान थे.

"मुझे गर्म लोहे से जलाया, बेलन से पीटा"- नाबालिग

बचाए जाने के बाद, 10 वर्षीय लड़की ने अपनी आंटी को बताया कि उसे हमेशा पीटा जाता था और अगर वह घर का काम पूरा नहीं करती थी तो उसे कुछ दिनों तक खाना नहीं दिया जाता था.

मेरी भतीजी ने मुझे बताया कि एक बार उसने गलती से पूर्णिमा की यूनिफार्म जला दी थी. इससे महिला इतनी गुस्सा हो गई कि उसने गर्म आयरन उठाकर उसकी बांह पर रख लिया, जिससे वह झुलस गई.
लड़की की आंटी

लड़की जिस जगह पर काम करती है, वहां से लगभग 500 मीटर दूर उसके परिवार और रिश्तेदार रहते हैं. हालांकि वह लगभग दो महीने से वहां काम कर रही थी, लेकिन उसके परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं पता था कि उसको इस तरह से परेशान किया गया है.

परिवार ने आरोप लगाया कि नाबालिग बच्ची को दंपत्ति के तीन साल के बेटे की देखभाल के लिए रखा गया था, लेकिन उससे खाना पकाने और सफाई सहित घर के सभी काम करवाए जाते थे.
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आपबीती सुनाते हुए लड़की ने परिवार को बताया कि एक बार जब वह खाना बना रही थी तो उसे बेलन से पीटा गया था.

पुलिस अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि बच्ची के शरीर पर चोटें और जलने के निशान हैं. उसे मेडिकल टेस्ट के लिए ले जाया गया और दिल्ली के आश्रय गृह में भेजे जाने से पहले उसकी काउंसलिंग की गई.

लड़की के एक रिश्तेदार ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि

वह 10 साल की बच्ची है. जब वह पैदा हुई तो मैं उसे गोद में उठाने वाला पहला व्यक्ति था. उसे पिटते देखना मेरे लिए बहुत मुश्किल था.

डीसीपी (द्वारका) हर्ष वर्धन द्वारा जारी किए गए एक वीडियो के मुताबिक बच्ची कम से कम दो महीने से दंपति के घर पर काम कर रही थी. उन्होंने कहा कि मामला सुबह करीब 9 बजे सामने आया जब लड़कियों के रिश्तेदारों ने देखा कि उसकी पिटाई की जा रही है.

बुधवार को, दो वीडियो सामने आए: एक नाबालिग की चोटों का है और दूसरा इलाके के स्थानीय लोगों द्वारा कथित तौर पर नाबालिग को प्रताड़ित करने को लेकर घर के मालिकों पर हमला करने का है.

एक मिनट 60 सेकंड लंबे वीडियो में, भीड़ पति-पत्नी को पीट रही है, महिला के बाल खींचते हुए और उसे थप्पड़ मार रही है. शुरुआत में महिला पलट कर जवाब देते दिख रही है और थोड़ी देर बाद वह माफी मांगने लगी. वीडियो में यह भी देखा गया है कि पति अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश कर रहा है और कह रहा है, "उसे मत मारो, वह मर जाएगी..."

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इस बीच, द्वारका पुलिस ने कहा कि दंपति से मारपीट के आरोप में दर्ज मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में जीतन सिंह, गुड्डू और अनिल शामिल हैं, जो आसपास के इलाकों के रहने वाले हैं. कुछ अन्य लोगों की भी पहचान की गई है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

'वे एक बच्चे के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं...क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि हम गरीब हैं?'

घटना के एक दिन बाद सड़क पर तब तक सन्नाटा था, जब तक एक शख्स गुस्से में नाबालिग के घर की ओर जाता नजर आया. यह पीड़िता के अंकल थे, जो खबर सुनकर मौके पर पहुंचे थे.

उन्होंने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि जब यह घटना घटी तो मैं यहां नहीं था. उनकी हिम्मत कैसे हुई हमारी बच्ची को छूने और उसे पीटने की? क्या वे पढ़े-लिखे नही हैं? क्या उनके पास दिमाग नहीं है? मैं बहुत गुस्से में हूं कि ऐसा कैसे हुआ.

वे सोचते हैं कि वे जो चाहें कर सकते हैं क्योंकि हम गरीब हैं. मुझे खुशी है कि उन्हें पीटा गया लेकिन, हमारी बच्ची जिस दर्द से गुजरी है, उसकी तुलना में यह पर्याप्त नहीं है.
लड़की के अंकल ने द क्विंट से कहा

पीड़ित बच्ची के पिता द्वारका में चौकीदार और मां घरेलू सहायिका हैं. रिश्तेदारों ने द क्विंट को बताया कि 6 लोगों के परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहते हुए, वे आर्थिक संकट में थे, यही वजह है कि लड़की को काम पर जाना शुरू करना पड़ा. बच्चे को पांचवीं क्लास के बाद स्कूल से निकाल दिया गया था.

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यहां तक कि बच्चे के पिता को भी दोषी ठहराया जा सकता है. इतनी कम उम्र में वह उसे काम पर कैसे भेज सकता है? जब वह आएगा तो मैं उससे जरूर पूछूंगा.
लड़की अंकल ने कहा

उनकी बात काटते हुए लड़की की आंटी बोलीं कि ऐसा नहीं है कि हम अपने बच्चों को कम उम्र में काम पर भेजना चाहते हैं. हम भी चाहते हैं कि वे पढ़ें और कुछ और करें. लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हम ठीक नहीं हैं इसलिए हमें बच्चों से मदद की जरूरत है.

'पता नहीं था कि वे ऐसा कर सकते हैं'

इस बीच द्वारका बिल्डिंग के निवासियों ने कहा कि उन्हें काम करने वाली छोटी बच्ची के सताए जाने की जानकारी नहीं थी.

एक पड़ोसी ने कहा कि हम घर के मालिकों के बारे में ज्यादा नहीं जानते क्योंकि वे दो महीने पहले ही यहां शिफ्ट हुए हैं.

एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि

मैं घटना के बारे में सुनकर वह सन्न रह गया. जब वे जरूरी सामान खरीदने के लिए हमारी दुकान पर आते हैं, तो मैं उनसे बातचीत करता हूं. जब यह हुआ तब मैं यहां नहीं था लेकिन मुझे पता चला तो मैं हैरान रह गया... मुझे नहीं पता था कि वे किसी बच्ची के साथ ऐसा कर सकते हैं.
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बाल शोषण: चिंता का एक बड़ा कारण

यह पहली बार नहीं है, जब दिल्ली में बच्चों के साथ घरेलू दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है.

पिछले दिनों फरवरी में गुरुग्राम पुलिस ने घर में काम करने वाली एक 17 वर्षीय नाबालिग को कथित तौर पर प्रताड़ित करने और उस पर हमला करने के आरोप में एक दंपति को गिरफ्तार किया. झारखंड की रहने वाली लड़की को बचाए जाने से पहले कथित तौर पर 5 महीने तक प्रताड़ित किया गया था.

द्वारका मामले में पुलिस ने कहा कि

IPC की धारा 323 (खुद से चोट पहुंचाना), 324 (खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना) और 342 (गलत कारावास) और बाल श्रम और किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं के तहत एक FIR दर्ज की जाएगी.

इस बीच दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने द्वारका दुर्व्यवहार मामले पर संज्ञान लिया है.

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