यूट्यूबर और बिग बॉस OTT-2 के विजेता एल्विश यादव (Elvish Yadav) को रविवार, 17 मार्च को ग्रेटर नोएडा कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. दरअसल, एल्विश यादव पर रेव पार्टी में सांप का जहर सप्लाई करने का आरोप है. इस मामले में पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और बाद में कोर्ट में पेश किया. एल्विश के खिलाफ IPC, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत FIR दर्ज हुआ था, अब पुलिस ने इस मामले में NDPS एक्ट की धाराएं भी जोड़ दी हैं.
चलिए आपको बताते हैं कि NDPS एक्ट क्या है? इसके क्या-क्या प्रावधान हैं और कितने साल की सजा हो सकती है? क्या NDPS एक्ट के तहत बेल मिल सकती है?
NDPS एक्ट क्या है, जिसके तहत Elvish Yadav गिरफ्तार- कितने साल की हो सकती है सजा?
1. NDPS एक्ट क्या है?
NDPS एक्ट का फुलफॉर्म- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट है. इसे साल 1985 में लागू किया गया था. यह नशीले पदार्थों के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग से रोकता है. इस एक्ट को अब तक चार बार-1988, 2001, 2014 और 2021 में संशोधित किया गया है.
NDPS दो हिस्सों में बंटा हुआ है ND और PS. ND का मतलब नार्कोटिक ड्रग, जबकि PS का मतलब साइकोट्रॉपिक सबस्टांस होता है. ND यानी नार्कोटिक ड्रग सीधे दिमाग पर असर करती है. इंसान के सोचने समझने की ताकत पर हमला करती है और उसकी सेंसिटिविटी को खत्म कर देती है. जबकि PS यानी साइकोट्रॉपिक सबस्टांस मसल्स पर असर करता है.
नार्कोटिक ड्रग में कोका, गांजा, अफीम, डोडा, चूरा इत्यादि आते हैं. यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ड्रग्स होता है. साइकोट्रॉपिक सबस्टांस के तहत श्रेणीबद्ध ड्रग्स में केमिकल मिला होता. इसके तहत एमडीएमए, एमडी, एक्सटैसी, एल्प्राज़ोलम आदि आते हैं.
Expand2. अधिनियम में तीन श्रेणियां
अधिनियम के तहत नशीले पदार्थ की मात्रा को तीन श्रेणियों को परिभाषित करता है: स्मॉल, कमर्शियल और स्मॉल से अधिक लेकिन कमर्शियल से कम. इसी क्वांटिटी के हिसाब से धारा और सजाएं तय होती हैं.
कोकेन का 2 ग्राम स्मॉल और 100 ग्राम कमर्शिल क्वांटिटी है. चरस/हशीश/मारिजुआना/कैनबिस का 100 ग्राम स्मॉल क्वांटिटी है, जबकि 1 किलो कमर्शियल क्वांटिटी में आता है. इसी तरह मॉरफिन, हेरोइन (स्मैक/ब्राउन सुगर) का 5 ग्राम स्मॉल और 250 ग्राम कमर्शियल में आता है. MDMA 0.5 ग्राम स्मॉल और 10 ग्राम कमर्शियल श्रेणी में आता है. एक किलो से कम गांजा को स्मॉल क्वांटिटी माना जाता है और 20 किलो से अधिक गांजा को कमर्शियल क्वांटिटी माना जाता है. भांग के पौधे की खेती करना कमर्शियल क्वांटिटी में आता है.
Expand3. कितनी मात्रा में कितनी सजा?
स्मॉल क्वांटिटी: 1 साल तक कठोर कारावास और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों. इसमें आसानी से जमानत भी मिल जाती है, लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर बेल मिलना मुश्किल होता है.
कमर्शिलय क्वांटिटी: 10 से 20 साल तक की कठोर कारावास और 1-2 लाख रुपये का जुर्माना. ऐसे मामले में जमानत नहीं मिलती.
स्मॉल से ज्यादा और कमर्शियल से कम: 10 साल तक की कठोर कारावास और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना. ऐसे मामलों में जमानत मिलना या न मिलना पकड़े गए नशीले पदार्थ और पुलिस की धाराओं पर निर्भर करता है.
Expand4. NDPS की धारा 27 और 27ए क्या है?
NDPS की धारा 27 ए ड्रग्स रैकेट से जुड़े मामलों में लगाया जाता है. ये गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. जबकि धारा 27 उन लोगों पर लगती है, जो ड्रग्स का इस्तेमाल खुद करते हैं. यानी ड्रग्स लेते हैं. इसमें अधिकतम एक साल की सजा है.
NDPS की धारा 29: जब किसी मामले में एक से ज्यादा आरोपी होते हैं तो धारा 29 लगाई जाती है. हालांकि किसी का नाम लेने भर से ही ये धारा लगाना काफी नहीं होता, बल्कि इस धारा को लगाने के लिए सह आरोपियों के खिलाफ साजिश में शामिल होने के सबूत होने जरूरी हैं.
Expand5. एल्विश यादव के खिलाफ किन-किन धाराओं में केस दर्ज?
एल्विश यादव के खिलाफ IPC की धारा 284, 289 और 120 बी तथा वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 की धारा 9, 39, 48।, 49, 50 और 51 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपी राहुल, टीटू, जयकरण, नारायण, रविनाथ, एल्विश यादव व अन्य के खिलाफ नोएडा सैक्टर 49 थाने में FIR दर्ज किया गया है.
पुलिस के मुताबिक पर्याप्त सबूत पाए जाने पर उक्त अभियोग में NDPS एक्ट की धाराओं की बढ़ोतरी करते हुए एल्विश को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
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NDPS एक्ट क्या है?
NDPS एक्ट का फुलफॉर्म- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट है. इसे साल 1985 में लागू किया गया था. यह नशीले पदार्थों के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग से रोकता है. इस एक्ट को अब तक चार बार-1988, 2001, 2014 और 2021 में संशोधित किया गया है.
NDPS दो हिस्सों में बंटा हुआ है ND और PS. ND का मतलब नार्कोटिक ड्रग, जबकि PS का मतलब साइकोट्रॉपिक सबस्टांस होता है. ND यानी नार्कोटिक ड्रग सीधे दिमाग पर असर करती है. इंसान के सोचने समझने की ताकत पर हमला करती है और उसकी सेंसिटिविटी को खत्म कर देती है. जबकि PS यानी साइकोट्रॉपिक सबस्टांस मसल्स पर असर करता है.
नार्कोटिक ड्रग में कोका, गांजा, अफीम, डोडा, चूरा इत्यादि आते हैं. यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ड्रग्स होता है. साइकोट्रॉपिक सबस्टांस के तहत श्रेणीबद्ध ड्रग्स में केमिकल मिला होता. इसके तहत एमडीएमए, एमडी, एक्सटैसी, एल्प्राज़ोलम आदि आते हैं.
अधिनियम में तीन श्रेणियां
अधिनियम के तहत नशीले पदार्थ की मात्रा को तीन श्रेणियों को परिभाषित करता है: स्मॉल, कमर्शियल और स्मॉल से अधिक लेकिन कमर्शियल से कम. इसी क्वांटिटी के हिसाब से धारा और सजाएं तय होती हैं.
कोकेन का 2 ग्राम स्मॉल और 100 ग्राम कमर्शिल क्वांटिटी है. चरस/हशीश/मारिजुआना/कैनबिस का 100 ग्राम स्मॉल क्वांटिटी है, जबकि 1 किलो कमर्शियल क्वांटिटी में आता है. इसी तरह मॉरफिन, हेरोइन (स्मैक/ब्राउन सुगर) का 5 ग्राम स्मॉल और 250 ग्राम कमर्शियल में आता है. MDMA 0.5 ग्राम स्मॉल और 10 ग्राम कमर्शियल श्रेणी में आता है. एक किलो से कम गांजा को स्मॉल क्वांटिटी माना जाता है और 20 किलो से अधिक गांजा को कमर्शियल क्वांटिटी माना जाता है. भांग के पौधे की खेती करना कमर्शियल क्वांटिटी में आता है.
कितनी मात्रा में कितनी सजा?
स्मॉल क्वांटिटी: 1 साल तक कठोर कारावास और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों. इसमें आसानी से जमानत भी मिल जाती है, लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर बेल मिलना मुश्किल होता है.
कमर्शिलय क्वांटिटी: 10 से 20 साल तक की कठोर कारावास और 1-2 लाख रुपये का जुर्माना. ऐसे मामले में जमानत नहीं मिलती.
स्मॉल से ज्यादा और कमर्शियल से कम: 10 साल तक की कठोर कारावास और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना. ऐसे मामलों में जमानत मिलना या न मिलना पकड़े गए नशीले पदार्थ और पुलिस की धाराओं पर निर्भर करता है.
NDPS की धारा 27 और 27ए क्या है?
NDPS की धारा 27 ए ड्रग्स रैकेट से जुड़े मामलों में लगाया जाता है. ये गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. जबकि धारा 27 उन लोगों पर लगती है, जो ड्रग्स का इस्तेमाल खुद करते हैं. यानी ड्रग्स लेते हैं. इसमें अधिकतम एक साल की सजा है.
NDPS की धारा 29: जब किसी मामले में एक से ज्यादा आरोपी होते हैं तो धारा 29 लगाई जाती है. हालांकि किसी का नाम लेने भर से ही ये धारा लगाना काफी नहीं होता, बल्कि इस धारा को लगाने के लिए सह आरोपियों के खिलाफ साजिश में शामिल होने के सबूत होने जरूरी हैं.
एल्विश यादव के खिलाफ किन-किन धाराओं में केस दर्ज?
एल्विश यादव के खिलाफ IPC की धारा 284, 289 और 120 बी तथा वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 की धारा 9, 39, 48।, 49, 50 और 51 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपी राहुल, टीटू, जयकरण, नारायण, रविनाथ, एल्विश यादव व अन्य के खिलाफ नोएडा सैक्टर 49 थाने में FIR दर्ज किया गया है.
पुलिस के मुताबिक पर्याप्त सबूत पाए जाने पर उक्त अभियोग में NDPS एक्ट की धाराओं की बढ़ोतरी करते हुए एल्विश को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
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