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गोरखपुर हत्याकांड: प्लीज, प्लीज कहती रही पीड़िता लेकिन 'पॉलिटिक्स' नहीं मानी

Gorakhpur Murder Case में एक के बाद एक पुलिस के अजब कारनामे सामने आ रहे हैं.

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गोद में बच्चे को उठाए एक महिला भाग रही है.. करीब 72 घंटे पहले इनके पति को बेरहमी से पीट-पीटकर मार दिया गया... लेकिन माइक वाले पत्रकार बाइट लेने के लिए टूट पड़े हैं... पुलिस महिला को सूबे के सीएम से मिलाने के लिए उतावली हो रही है.. नेता के समर्थकों की भी भीड़ नेता जी के आने का इंतजार कर रही है.. धक्का-मुक्की सब हो रहा है, महिला चीख-चीखकर कह रही है कि प्लीज हट जाओ, मुझे नहीं बात करनी है. मुझे कहीं नहीं जाना है. लेकिन न पुलिस, न नेता, न पत्रकार इस बात को समझ रहे हैं. जैसे सबकी संवेदनाएं मर चुकी हैं.

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पति की हत्या के 72 घंटे भी नहीं बीते हैं लेकिन अफसोस पुलिस, पत्रकार और पॉलिटिक्स आंसू तक बहाने के लिए, अपने के खोने के दर्द को समझने के लिए भी वक्त नहीं दे रहे. पहले पति की मौत का गम और अब इस तरह का तमाशा.

पुलिस पर हत्या का आरोप

दरअसल, कानपुर के रहने वाले मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हत्या कर दी गई. आरोप किसी और पर नहीं लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाली पुलिस पर है. बता दें कि 35 साल के मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए थे. होटल में रुके थे. आरोप है कि रामगढ़ताल पुलिस होटल में रात करीब 12.30 बजे चेकिंग करने पहुंची.

पुलिस ने प्रदीप को उन्हें आईडी दिखाने के लिए जगाया. इतने पर प्रदीप ने कहा कि, इतनी रात में यह चेकिंग किस बात की हो रही है. हम लोग क्या आतंकवादी हैं? आरोप है कि इतने पर ही पुलिस ने थप्पड़ मारना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद पुलिस वाले मनीष गुप्ता को घसीटते हुए बाहर लेकर आए, वह खून से लथपथ थे. इसके बाद पुलिस वाले मनीष को अस्पताल ले गए. जहां उनकी मौत हो गई.

पुलिस की गलतियों की लंबी लिस्ट

एक के बाद एक पुलिस के अजब कारनामे सामने आ रहे हैं. जब मनीष गुप्ता की मौत की खबर बाहर आई तो गोरखपुर के एसएसपी विपिन टाडा ने वीडियो बयान जारी कर कहा कि होटल में कुछ संदिग्धों के होने की खबर मिली थी, जिनकी तलाश में रामगढ़ताल पुलिस होटल पहुंची. पुलिस को देखकर हड़बड़ाहट में मनीष होटल के कमरे में गिर गए. गिरने के दौरान चोट लगने से उसकी मौत हो गई.

लेकिन अब एसएसपी टाडा के बयान पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट सवाल उठा रही है. मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी बर्बरता से पिटाई की गई थी. उनके शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं. वहीं सर पर गहरी चोट भी लगी है.

एक बेबस महिला के साथ जिस पुलिस को इंसानियत और कानून के हिसाब से साथ देना था वहां पुलिस गुनहगारों को बचाने में लगी थी. मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी ने आरोप लगाए हैं कि एफआईआर के लिए उन लोगों ने छह पुलिस वालों के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने जबरन तीन नाम हटवा दिए. जबकि ये मामला मीडिया में है. सबकी नजर में है.

एक वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस का चेहरा बेनकाब हुआ है. वीडियो में पुलिस अधिकारी मामले को रफादफा करने की बात कह रहे हैं. मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी ने उस वीडियो को सही करार दिया है. वीडियो में मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी समेत परिजनों को गोरखपुर के डीएम विजय किरण आनंद और एसएसपी डॉक्टर विपिन टाडा के साथ बातचीत करते हुए देखा और सुना जा सकता है. वीडियो के छोटे से हिस्से में दोनों अफसर मृतक के परिवार वालों को FIR दर्ज नहीं कराने के लिए समझा रहे हैं.

पॉलिटिक्स भी हावी

अब पॉलिटिक्स देखिए.. मृतक के घर नेता और समाज के लोग आते हैं, लेकिन यहां पुलिस ने मृतक के परिवार को ही सीएम से मिलने के लिए चलने को कहा. मतलब जिसका पति दुनिया से चला गया वो ही हाजरी लगाए.

कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव जब मृतक की पत्नी मिनाक्षी से मिलने आ रहे थे उससे पहले ही पुलिस मनीष की पत्नी को सीएम से मिलवाने ले जाने के लिए आई थी. इसी दौरान मृतक के घर के बाहर हंगामा हआ. पुलिस परिवार को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए रवाना हुई तो समाजवादी पार्टी के वर्कर ने विरोध किया.

अखिलेश जब मिलने पहुंचे तो वहां पुलिस मौजूद थी, और अखिलेश को घर के बाहर ही इंतजार करना पड़ा.

पत्रकारों की संवेदना कहां चली गई?

पत्रकारों इस खबर को दुनिया के सामने तो लाए लेकिन जिस तरह से एक वीजुअल, एक बाइट के लिए मीनाक्षी के सामने माइक का हुजूम लगा दिया वो पत्रकारिता के उसूलों की दुश्मन ही कहलाएगी. मीनाक्षी को क्यों पत्रकारों से कहना पड़ रहा है कि अब हम आप लोगों से कुछ नहीं बोलेंगे. आप लोग हट जाइए. क्योंकि हम आवाज बनने की बजाए शोर बन रहे हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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