उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में मदरसा के छात्रों के साथ पहनावे के आधार पर भेदभाव करने के मामले में अल्पसंख्यक आयोग ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) के जवानों को गुरुवार, 30 मई को दोषी करार दिया है. आयोग ने सभी दोषी आरपीएफ कर्मियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
मामला ईद की छुट्टियों के ठीक बाद का है. 24 अप्रैल को मदरसे के सभी छात्र कानपुर लौट रहे थे. आरोप है कि बच्चे टोपी और पाजामा पहने हुए थे जिन्हें देखकर RPF ने कार्रवाई की.
घाटमपुर के मदरसा इस्लामिया के प्रधानाचार्य ने आरोप लगाया कि मदरसे के 14 छात्र दोपहर कानपुर सेंट्रल पर उतरे थे तभी रेलवे सुरक्षा बल के उपनिरीक्षक अमित द्विवेदी और अन्य रेलवे कर्मियों ने छात्रों को रोक लिया. बच्चों ने सारे दस्तावेज बताए, उनके पास टिकट भी था लेकिन फिर भी उन्हें रात 11 बजे छात्रों को बाल सुधार गृह भेज दिया.
इसके बाद प्रधानाचार्य ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग में इस मामले की शिकायत की थी. उनके अनुसार RPF ने सभी छात्रों के पास वैध टिकट, पहचानपत्र और जरूरी दस्तावेज होने बावजूद उनपर कार्रवाई की.
आयोग ने रेलवे सुरक्षा बल नार्थ सेंट्रल रेलवे के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त को सूचना देने का निर्देश दिया. इस मामले में आयोग ने 28 मई को सुनवाई की जिसके बाद निर्णय दिया गया. 15 मई को रेलवे सुरक्षा बल की तरफ से अमित द्विवेदी, उपनिरीक्षक उपस्थित हुए थे लेकिन वे अपने बचाव में कुछ भी ठोस बात नहीं कह पाए.
पीड़ित बच्चों ने क्या बताया?
पीड़ित छात्रों ने बताया कि उनको डर था कि RPF वाले अब उन्हें नहीं छोड़ेंगे और उनको यह भी डर था कि कहीं इनको जेल में ना डाल दिया जाए. छात्रों ने बताया कि उनको बिना किसी कसूर के रखा गया था, पहले बोला गया माता-पिता आएंगे तो छोड़ दिया जाएगा लेकिन बच्चों के माता-पिता के आने के बाद भी उनको नहीं छोड़ा गया. बच्चों ने ये भी आरोप लगाया कि उन्हें न तो सही से खाना दिया जाता था और उनके साथ बर्बरता भी की जाती थी. उनसे थाली धुलवाई जाती थी.
(इनपुट: विवेक मिश्रा)
(हीरो ईमेज एआई की मदद से बनाई गई है)
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