उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) स्पेशल टास्क फोर्स ने सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir), मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और एसटीएफ एडीजी अमिताभ यश और देवेंद्र तिवारी नाम के शख्स को बम से उड़ाने की धमकी (Bom Threat) देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
दोनों आरोपी - ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा गोंडा जिले के रहने वाले, जिन्होंने कथित तौर पर आलम अंसारी और जुबैर खान के नाम से धमकी भरे संदेश भेजने के लिए फर्जी ईमेल आईडी बनाए थे. एसटीएफ के अनुसार, दोनों आरोपियों ने यह काम उसी देवेन्द्र तिवारी के निर्देश पर किया, जिसका नाम भी इस फर्जी धमकी में डाला गया था. इससे कथित तौर पर देवेन्द्र तिवारी को "राजनीतिक लाभ" पाने में मदद मिलती.
गिरफ्तारी से पहले एसटीएफ के एक अधिकारी ने कहा, देवेन्द्र तिवारी के खिलाफ लखनऊ में कई मामले दर्ज हैं और वह फरार है. उन्होंने कहा कि, “हम उसे जल्द ही पकड़ लेंगे. इस पूरे प्रकरण के पीछे उसी का हाथ है. इससे पहले उसने अपनी जान को खतरा होने का दावा किया था और उसे अपनी सुरक्षा के लिए एक गनर दिया गया था."
एसटीएफ ने आरोपियों को कैसे पकड़ा?
एक बयान में, एसटीएफ ने कहा कि डीजीपी मुख्यालय ने पिछले साल 27 दिसंबर को एसटीएफ को सूचित किया था कि एक्स (@iDevendOffice) पर एक हैंडल ने पोस्ट किया था कि आतंकवादी संगठन आईएसआई से जुड़े जुबैर खान नामक एक व्यक्ति ने एक ईमेल के जरिए राम मंदिर, योगी आदित्यनाथ और अमिताभ यश को बम से उड़ाने की धमकी दी थी. सूचना मिलने के बाद एसटीएफ की एक टीम ने मामले की जांच शुरू की."
पुलिस ने जांच में क्या पाया? एसटीएफ ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि लखनऊ के आलमबाग और सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस स्टेशनों में दो मामले दर्ज किए गए थे.
एसटीएफ के अनुसार, “दोनों अपराधों के मामले का विवरण देखने पर, यह पाया गया कि धमकी भरे संदेश भेजने के लिए दो ईमेल आईडी, alamansarikhan608@gmail.com और zubairkhanisi199@gmail.com का इस्तेमाल किया गया था. यह पाया गया कि ईमेल आईडी ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा ने बनाए थे. इसके बाद, उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है.”
दोनों आरोपियों से पूछताछ के दौरान, एसटीएफ ने कहा कि उसे पता चला कि पोस्ट के पीछे लखनऊ के बंथरा इलाके का रहने वाला देवेंद्र तिवारी का हाथ था.
एसटीएफ ने कहा कि, “…देवेंद्र तिवारी के खिलाफ लखनऊ के मानक नगर, आशियाना, बंथरा, गौतम पल्ली और आलमबाग पुलिस स्टेशनों में कई मामले हैं. उन्होंने गिरफ्तार लोगों को सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट करने के लिए कहा था. तिवारी आलमबाग इलाके में इंडियन इंस्टीट्यूट पैरामेडिकल साइंसेज नाम से एक कॉलेज चलाते हैं और उनका वहां एक ऑफिस भी है."
उन्होंने आगे बताया कि, “ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा ऑफिस में काम करते थे. जहां सिंह एक सोशल मीडिया हैंडलर के रूप में काम करता था, वहीं मिश्रा पर्सनल सैक्रेटरी के रूप में काम करता था. मिश्रा उसी कॉलेज से दो साल का डिप्लोमा कोर्स भी कर रहा था.
कैसे बनाया प्लान?
एसटीएफ ने अपने बयान में आगे कहा कि, “देवेंद्र तिवारी के निर्देश पर, ताहर सिंह ने फर्जी ईमेल आईडी बनाए और व्हाट्सएप के जरिए ओम प्रकाश मिश्रा के साथ पासवर्ड शेयर किया था.
लखनऊ के नाका हिंडोला में एक दुकान से दो फोन भी खरीदे गए थे, जिनका इस्तेमाल धमकी भरे संदेश देने के लिए किया गया था.
बयान में आगे कहा गया कि, “धमकी भरे संदेश 19 नवंबर और 27 दिसंबर को भेजे गए थे और देवेंद्र तिवारी ने संदेशों को अपने एक्स अकाउंट से शेयर किया था. ईमेल भेजे जाने के बाद, तिवारी ने दो मोबाइल फोन जला दिए. ईमेल भेजने के लिए इस्तेमाल किए गए वाईफाई का पता तिवारी के ऑफिस का था."
बयान में कहा गया है कि तिवारी ने आरोपी से कहा था कि इन ईमेल के जरिए वह 'सोशल मीडिया पर हाईलाइट हो जाएगा, उसकी सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी और उसे बड़ा राजनीतिक लाभ मिलेगा.'
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 507 (गुप्त रहकर आपराधिक धमकी भरा संदेश देना), 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग करना), 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना), और 120-बी (आपराधिक साजिश) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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