तमिलनाडु में चार साल पहले एक इंजीनियरिंग के छात्र को इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया था क्योंकि उसने एक ऊंची जाति की लड़की के साथ शादी कर ली थी. अब इसी मामले के मुख्य आरोपी को मद्रास हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. लड़की का पिता चिन्नास्वामी ही इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी था. जिसे घटना के बाद गिरफ्तार किया गया था.
अब इस केस में दोषी वो लोग हैं जिन्हें शंकर की हत्या के लिए कहा गया था. जागेदेसन, मणिकंदन, सेल्वाकुमार, कलाई तमिलवनन, मद एलियास मिशले. कोर्ट ने इन लोगों की फांसी की सजा को घटाकर कम से कम 25 साल के लिए आजीवन कारावास कर दिया है. हाईकोर्ट ने गोसल्या की मां और दो लोगों की रिहाई का भी समर्थन किया है.
मार्च 2016 में राज्य इस जाति के आधार पर हुई हत्या से दहल उठा था. ये घटना तिरुपुर जिले के उधमपेठ में हुई थी.
शंकर की दिनदहाड़े हत्या की गई और हत्यारे उसे रोड पर उसी अवस्था में छोड़कर चले गए. गोसल्या (लड़की) भी इस मामले में बुरी तरह जख्मी हो गई थी और पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे पर रिकॉर्ड हो गई थी.
कथित तौर पर गोसल्या के माता-पिता चिन्नास्वामी और अन्नालक्ष्मी राजनीतिक रूप से मजबूत थेवर जाति के थे और वो एससी जाति के शंकर के साथ अपनी बेटी की शादी के खिलाफ थे. गोसल्या के चाचा पी पांडिदुरै ने कथित तौर पर चिन्नास्वामी और अन्नालक्ष्मी के कहने पर शंकर को मारने के लिए गैंग किराए पर ली.
इस भयानक हत्या के 8 महीने पहले ही शंकर और गोसल्या ने शादी कर की थी. चिन्नास्वामी के वकील एआरएल सुदर्शन ने द न्यूज मिनट को बताया कि 'प्रोसीक्यूशन ये साबित नहीं कर पाया कि चिन्नास्वामी और गैंग के बीच कोई साजिश था.'
मीडिया से बात करते हुए सुदर्शन ने कहा- प्रोसीक्यूशन जिस शॉप की रिकॉर्डिंग पर भरोसा कर रहा है वो घटना के 4 दिन बाद रिकवर की गई और इससे छेड़छाड़ भी की गई हो सकती है. हमने तर्क किया कि जिस एक्सपर्ट ने इस वीडियो को देखा वो सही नहीं था.
सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा है कि गोसल्या और शंकर मार्केट में पैदल चल रहे. अचानक तीन लोग बाइक पर सवार होकर आते हैं और उन दोनों पर बुरी तरह से हमला करने लगते हैं. शंकर की अस्पताल में ज्यादा खून बहने की वजह से मौत हो गई. गोसल्या को रिकवर होने में वक्त लगा. उसने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी.
दिसंबर 2017 में तिरुपुर जिला न्यायलय ने चिन्नास्वामी को मौत की सजा सुनाई थी. साथ में आपराधिक षडयंत्र के लिए 10 साल की सजा, अलग चार्ज के लिए 3 साल और उसे अपनी सजा पूरी करने के बाद फांसी की सजा होनी थी.
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