तमिलनाडु में राजनीतिक बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को ही पलनीसामी और पनीरसेलवल के दो गुटों का आपस में विलय हुआ था लेकिन अगले ही दिन जेल में बैठी AIADMK महासचिव शशिकला और उनके भतीजे दिनकरण के समर्थन वाले 19 विधायकों ने पलनीसामी सरकार से खुद को अलग कर लिया. इन्होंने गवर्नर सी विद्यासागर राव से मिलकर अपना समर्थन वापस ले लिया.
क्या गिर जाएगी पलनीसामी की सरकार?
अगर दिनाकरण दावा पेश करते हैं तो तमिलनाडु में फिर से फ्लोर टेस्ट की स्थिति पैदा हो सकती है. दिनाकरण दावा कर चुके हैं कि पलनीसामी कैंप में उनके कई 'स्लीपर सेल' विधायक मौजूद हैं.
तमिलनाडु विधानसभा में 234 विधायक हैं, लेकिन जयललिता के निधन के साथ ही यह आंकड़ा घटकर 233 पर आ गया. तमिलनाडु में सरकार बनाने के लिए 117 विधायक होना जरूरी होता है. अब 19 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद सरकार के समर्थन में 122 से घटकर 103 विधायक हो गए हैं. अगर पनीरसेल्वम के 11 विधायकों को मिला दिया जाए तो ये आंकड़ा 114 हो जाता है. इस स्थिति में भी पलनीसामी के पास 3 विधायकों की कमी है.
डीएमके के नेता एम के स्टालिन के मुताबिक 3 और विधायक पलनीसामी का साथ छोड़ रहे हैं. इसका मतलब समर्थन वापिस लेने वाले विधायकों का आंकड़ा 22 हो गया है. ऐसे में डीएमके ‘ट्रस्ट वोट’ की मांग कर रहा है.
दिनकरण के समर्थक थंगा तमिल सेल्वन नाम ने भी ट्रस्ट वोट की मांग की है. वो गवर्नर से भी इस बारे में बात कर चुके हैं. इससे पहले समर्थन वापिस लेने वाले विधायकों ने गवर्नर को जो पत्र लिखा था उसमें उन्होंने ये लिखा...
सरकार सत्ता के दुरुपयोग, फेवरेटिज्म, सरकारी मशीनरी के गलत उपयोग और भ्रष्टाचार में लिप्त है. हमने सोचा था वे एक अच्छे मुख्यमंत्री की तरह अपना काम करेंगे. मुख्यमंत्री ने ओपीएस को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बना लिया, इससे फेवरेटिज्म और नेपोटिज्म के दावे सही साबित हो जाते हैं. फिलहाल की स्थिति में सरकार संविधान के मुताबिक चल ही नहीं सकती है.मुख्यमंत्री को पारदर्शी और न्यूट्रल होना चाहिए. उन्हें सच का साथ देना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के ड्रीम और विजन को पलनीसामी ने पूरी तरह अनदेखा किया है.
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