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CBSE 12वीं के रिजल्ट को लेकर हैं कन्फ्यूज तो समझिए आपको कैसे दिए गए नंबर?

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) 12वीं रिजल्ट से जो संतुष्ट नहीं हैं वो क्या कर सकते हैं?

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कोरोना की दूसरी लहर के कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा इस साल 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं. इसके बाद सीबीएसई ने 17 जून को बताया कि वह बच्चों को बोर्ड परीक्षा के नंबर कैसे देगा. तो अब अगर अब भी रिजल्ट निकालने का तरीका समझने में कोई दिक्कत है, कोई सवाल है तो ये स्टोरी जरूर पढ़िए.

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क्या कक्षा 10वीं और 11वीं का रिजल्ट अंकों की गणना के लिए इस्तेमाल हुआ?

इस साल 12वीं बोर्ड के पेपर नहीं होने के कारण, सीबीएसई ने निम्नलिखित निर्णय लिए

. थ्योरी के लिए- छात्रों को 10वीं में हु्ई उनकी बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट, 11वीं और 12वीं क्लास में स्कूल द्वारा आयोजित करवाए गए परीक्षाओं में मिले नंबरों के आधाऱ पर उनका मूल्याकंन किया गया.

. प्रैक्टिकल- 12वीं के छात्रों को प्रैक्टिकल के नंबर उनके द्वारा किए गए प्रैक्टिकल या फिर इंटरनल असेसमेंट (आंतरिक मूल्याकंन) में प्राप्त अंकों के आधार पर दिए गए. यह नंबर स्कूलों द्वारा अपलोड किए गए हैं.

कक्षा 10वीं की बोर्ड परिक्षा के परिणाम का 12वीं क्लास के रिजल्ट में कितना वेटेज है?

जैसा कि ऊपर बताया गया कि सीबीएसई ने छात्रों को 12वीं के थ्योरी पेपर यानी कि लिखित परीक्षा में नंबर देने का आधार पिछले तीन साल का रिजल्ट है. हालांकि यह याद रखना चाहिए है कि क्लास 10वीं, 11वीं और 12वीं के अंकों का इस्तेमाल केवल थ्योरी के नंबर देने के लिए किया गया.

उदाहरण के लिए, मान लें कि क्लास 12 के किसी विषय में लिखित परीक्षा के नंबर 70 है. इस साल पेपर नहीं होने के कारण बोर्ड ने अंकों की गणना के लिए निम्नलिखित निर्णय लिए.

कक्षा 10: लिखित परीक्षा के 70 अंकों में से 30 प्रतिशत (21) कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में छात्रों को मिलने वाले नंबरों से आया. क्लास 10वीं के 5 मुख्य विषयों में से 3 विषयों के सबसे अच्छे अंकों को लिया गया.

कक्षा 11: थ्योरी पेपर के 70 नंबर में से अन्य 30 प्रतिशत अंक (21) 11वीं क्लास के फाइनल एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर दिया गया.

कक्षा 12: 70 नंबर में से बचे हुए 40 प्रतिशत (28) अंक 12वीं क्लास में हुए यूनिट टेस्ट, मिड टर्म परीक्षा और प्री-बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों के आधार पर दिया गया.

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लिखित परीक्षा 70 नंबर का है तो बचे हुए 30 नंबर कैसे दिए गए?

जैसा कि ऊपर बताया गया कि 12वीं क्लास में हुए प्रैक्टिकल या इंटरनल एसेसमेंट में बच्चों को मिले अंकों में से यह 30 नंबर दिए गए.

उदाहरण के लिए मान लो कि 12वीं कक्षा में पेपर में थ्योरी के 70 अंक और आंतरिक मूल्यांकन के लिए 30 नंबर है. किसी छात्र ने प्रैक्टिकल में 30 में से 25 नंबर प्राप्त किए हैं, तो वो नंबर उनके कुल अंक में है.

यानी कि छात्र को थ्योरी के नंबर देने के लिए पिछले तीन साल में छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन को ध्यान में रखा गया. आंतरिक मूल्यांकन के नंबर देने के लिए कक्षा 12वीं में हुए प्रैक्टिकल में छात्र/ छात्राओं को स्कूल द्वारा मिले नंबर आधार बने.

मैंने कक्षा 12वीं में यूनिट टेस्ट की तुलना में प्री बोर्ड परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया. इनमें से किसकी गणना की गई?

स्कूल की रिजल्ट समिति को 'मूल्यांकन की विश्वसनीयता' के आधार पर यह तय करने का अधिकार दिया गया कि वो परीक्षा परिणाम में यूनिट टेस्ट, मिड टर्म औऱ प्री बोर्ड पेपर में से किसको ज्यादा वेटेज देगी.

. कमेटी को अगर लगा कि प्री बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम को ध्यान में रखा जाना चाहिए है तो उसे ही पूरा वेटेज दिया गया.

. ऐसे मामलों में जहां कि 12वीं क्लास में हुई परीक्षा में किसी छात्र ने सभी पेपर नहीं दिए या फिर कुछ ही विषय की परीक्षा में शामिल हुआ तो रिजल्ट समिति ने स्थिति का विशेलषण कर बताया कि किस मापदंड के आधार पर मूल्यांकन किया जाए.

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कक्षा 11वीं-12वीं के लिए प्रश्न पत्र और नंबर स्कूल अपने मार्किंग पैटर्न के आधार पर दे सकता है? ऐसे में नंबरों को कैसे मॉडरेट किया गया?

क्लास 10वीं में तो नंबर देने का एक मानकीकरण है. कक्षा 11वीं और 12वीं (प्री-बोर्ड और यूनिट टेस्ट) में छात्रों को जो नंबर स्कूलों द्वारा दिए जाते हैं उनके अपने मार्क्स पैटर्न के आधार पर दिए जाते हैं.

इस कारण मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों को निम्नलिखित तरीके से अंक देने होंगे.

. पिछले तीन सालों में बोर्ड परीक्षाओं में स्कूलों द्वारा किए गए ऐतिहासिक प्रदर्शन को ध्यान में रखा गया. जिस वर्ष स्कूल का बोर्ड में सबसे अच्छा प्रदर्शन था उस साल को एक संदर्भ के रूप में लिया गया.

. जैसे कि मान लो कि किसी स्कूल का प्रदर्शन 2017-18 बोर्ड रिजल्ट में 80 प्रतिशत, 2018-19 में 90 फीसदी और 2019-20 में 85% था तो स्कूल ने 2018-19 को संदर्भ के रूप में उपयोग किया.

. इसका मतलब यह हुआ कि छात्रों को थ्योरी में मिलने वाले नंबर: 30+30+40 के फॉर्मूला - वर्ष 2018 में स्कूलों के द्वारा छात्रों को उसी विषय में मिलने वाले औसत अंकों के +/-5 के अंदर होना चाहिए.

. इसी तरह स्कूल के जिस साल को संदर्भ के रूप में लिया गया है, उसके कुल औसत अंकों की तुलना में साल 2021 का कुल एवरेज दो नंबरों से ज्यादा नहीं हो सकता.

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क्लास 12वीं में मेरे थ्योरी 60 नंबरों का है, ऐसे में गणना कैसे?

सीबीएसई की 12वीं कक्षा की लिखित परीक्षा 80 से 30 नंबरों तक. ऐसे मामलों में जहां कि थ्योरी पेपर 60 नंबर का है, वहां भी 30+30+40 वाला फॉर्मूला ही लागू.

मतलब कि यदि एक थ्योरी के 60 नंबर हैं तो इसकी गणना क्लास 10वीं और 11वीं से 18-18 नंबर लेकर की गई. शेष 24 अंक 12वीं कक्षा के स्कूल में हुए आयोजित पेपर से लिए गए.

क्या होगा यदि मैं इस मूल्यांकन नीति से संतुष्ट नहीं हू? क्या मैं परीक्षा दे सकता हूँ?

केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए भारत के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि, "जो भी छात्र इस मूल्यांकन नीति के तहत दिए गए अपने नंबरों से सतुंष्ट नहीं हैं, बोर्ड द्वारा स्थिति ठीक होने पर उन्हें परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा."

सीबीएसई ने 21 जून को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए वैकल्पिक परीक्षा 15 अगस्त से 15 सितंबर, 2021 के बीच आयोजित की जाएगी, लेकिन अनुकूल वातावरण होने पर इस समय यह पेपर होंगे. परीक्षा सिर्फ मुख्य विषय की होगी.

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मैं परीक्षा के लिए कब आवेदन कर सकता हूँ?

रिजल्ट आ गया है अब छात्र लिखित परीक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं. बोर्ड ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के साथ बात की है और कहा है कि कॉलेज का एडमिशन शेड्यूल लिखित परीक्षा के रिजल्ट के अनुरूप होंगे.

प्राइवेट, पत्राचार और कंपार्टमेंट की परीक्षाएं शैक्षणिक सत्र 2019 - 2020 के लिए मूल्यांकन नीति के अंतर्गत आएंगी. हालांकि, बाद की परीक्षा में मिले नंबरों को अंतिम माना जाएगा.

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