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सोनिया गांधी के विरोध के बाद CBSE ने हटाया महिलाओं पर दिया गया विवादित पैसेज

अंगेजी के पेपर में परिवार और समाज में होने वाली समस्याओं को महिलाओं की आजादी से जोड़ा गया था.

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के 10वीं क्लास के अंग्रेजी पेपर पर बवाल हो गया है. आरोप है कि पेपर में महिलाओं को लेकर पिछड़ी और महिला विरोधी बातें एक पैसेज में लिखी हुई हैं जिसको लेकर कई माता-पिता समेत प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने उठाया है.

यही नहीं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इस मामले को देश की संसद में भी उठाया है. जिसके बाद सीबीएसई ने उस पैसेज से जुड़े सभी प्रश्नों को हटाने का निर्णय लिया है.

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अंग्रेजी के इस प्रश्न पत्र को प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया और लिखा, कि ‘अविश्वसनीय! क्या हम वाकई बच्चों को ये बकवास सिखा रहे हैं? साफ तौर पर बीजेपी सरकार महिलाओं के खिलाफ इन विचारों का समर्थन करती है, नहीं तो वो इसे सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल करते?

दरअसल पेपर में परिवार और समाज में होने वाली समस्याओं को महिलाओं की आजादी से जोड़ा गया है, साथ ही लिखा गया कि आजकल के बच्चे अनुशासनहीन हो रहे हैं क्योंकि पत्नियां अपने पतियों का आदर नहीं करती.

सोनिया गांधी ने संसद में इस पैसेज को पढ़कर इस पर आपत्ति जाहिर की और इसकी कड़े शब्दों में निंदा भी की है. उन्होंने कहा, "मैं शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई से इस सवाल को तुरंत वापस लेने, माफी जारी करने और इस चूक की गहन समीक्षा करने का आग्रह करती हूं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसे फिर कभी दोहराया न जाए."

एक्सपर्ट के पास विचार करने के लिए भेजा जाएगा- सीबीएसई

सीबीएसई दसवीं कक्षा की पहली परीक्षा का आयोजन 10 दिसंबर को हुआ जिसमें अंग्रेजी के पेपर के एक सेट में कुछ माता-पिता और छात्रों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें कहा गया है कि "यह परिवार पर पिछड़ी धारणाओं का समर्थन करता है और कथित तौर पर लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है." बोर्ड की पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार मामले को विषय विशेषज्ञों के पास विचार करने के लिए भेजा जाएगा.

सीबीएसई ने कहा कि दसवीं कक्षा के प्रथम सत्र की परीक्षा के अंग्रेजी भाषा और साहित्य के पेपर के एक सेट में पैसेज बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं है. इसलिए उससे जुड़े सभी प्रश्नों को छोड़ने का निर्णय लिया गया है.

बोर्ड पहले ही कह चुका है कि मामले पर स्पष्टता मिलते ही छात्रों के हितों की रक्षा के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी.

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