नई दिल्ली (New Delhi) की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (SAU) ने 'आचार संहिता का उल्लंघन' और 'विश्वविद्यालय के हितों के खिलाफ छात्रों को भड़काने' के आरोप में 4 प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है. बता दें कि यह कार्रवाई मास्टर के छात्रों के मासिक वजीफे में कटौती के खिलाफ पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शन के बाद हुई है.
निलंबित प्रोफेसरों में से एक ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "यह चार लोगों के खिलाफ जानबूझ कर की गई कार्रवाई की तरह लग रहा है, जो प्रशासन को मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कहने की कोशिश कर रहे थे."
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने चारों प्रोफेसरों के निलंबन की पुष्टि की है. निलंबित प्रोफेसरों में अर्थशास्त्र विभाग से डॉ. स्नेहाशीष भट्टाचार्य, कानूनी अध्ययन विभाग से डॉ. श्रीनिवास बुरा, सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ. इरफानुल्लाह फारूकी और सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉ. रवि कुमार शामिल हैं.
दिसंबर में दिया गया था कारण बताओ नोटिस
दिसंबर 2022, में फैकल्टी मेंबर्स को भेजे गए 'कारण बताओ नोटिस' में कहा गया था कि फैकल्टी मेंबर्स ने छात्रों को "सहकर्मियों, प्रशासन और विश्वविद्यालय के हितों के खिलाफ" भड़काया है. इसके साथ ही पूछा गया था कि क्या फैकल्टी मेंबर्स "एजाज अहमद स्टडी सर्कल-साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा संचालित एक मार्क्सवादी स्टडी सर्कल" का हिस्सा थे.
नोटिस में क्या कहा गया?
नोटिस में कहा गया है कि एक प्रदर्शनकारी छात्र ने परिसर में दिल्ली पुलिस के प्रवेश की निंदा करते हुए एक ईमेल प्रसारित किया था और फैकल्टी मेंबर्स से पूछा था कि क्या वो किसी "मार्क्सवादी अध्ययन मंडल" का हिस्सा थे.
“विश्वविद्यालय ने फैकल्टी मेंबर्स पर छात्रों को विरोध के लिए उकसाने, उचित कर्तव्यों का पालन करने में विफलता और एक मार्क्सवादी अध्ययन मंडल के साथ जुड़ाव का आरोप लगाया है."निलंबित प्रोफेसर
वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि "उक्त फैकल्टी मेंबर्स को उनके आचरण और SAARC अंतर-सरकारी समझौते, नियमों, विनियमों और/या विश्वविद्यालय के उपनियमों के अनुसार स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था."
कब क्या-क्या हुआ?
सितंबर 2022 में विश्वविद्यालय प्रशासन ने PG के छात्रों के वजीफे को 5,000 रुपये से घटाकर 3,000 रुपये कर दिया था, जिसके खिलाफ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया. छात्रों की मांग थी कि वजीफा कम करने की बजाय बढ़ाकर 7000 रुपये किया जाए.
इसके बाद विश्वविद्यालय ने पहले वजीफा राशि को संशोधित कर 4,000 रुपये और फिर वापस 5,000 रुपये कर दिया, लेकिन छात्रों का विरोध-प्रदर्शन जारी रहा. वहीं विश्वविद्यालय ने 7,000 रुपये के वजीफे की मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया.
13 अक्टूबर, 2022 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यवाहक अध्यक्ष के कार्यालय पर जुटे छात्रों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को बुलाया.
14 अक्टूबर, 2022 को 13 फैकल्टी मेंबर्स ने छात्रों को हटाने के लिए कैंपस में पुलिस बुलाए जाने के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा.
1 नवंबर, 2022 को कई फैकल्टी मेंबर्स ने कार्यवाहक अध्यक्ष, कार्यवाहक उपाध्यक्ष और कार्यवाहक रजिस्ट्रार से मुलाकात की और मामले को सुलझाने की अपील की.
4 नवंबर, 2022 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने 5 छात्रों के निष्कासन या निलंबन का आदेश जारी किया.
5 नवंबर, 2022 को 15 फैकल्टी मेंबर्स ने एक ईमेल में विश्वविद्यालय प्रशासन की इन मनमानी कार्रवाइयों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की, जो "किसी भी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उठाए गए थे."
5 नवंबर, 2022 को छात्रों ने सामूहिक भूख हड़ताल शुरू की, जो 7 नवंबर, 2022 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बदल गई.
22 नवंबर, 2022 को अम्मार अहमद (एमए सोशियोलॉजी, फर्स्ट सेमेस्टर) की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद उसे प्राइमस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के निष्कासन/ निलंबन का आदेश वापस ले लिया और कई छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
25 नवंबर, 2022 को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उमेश जोशी और भीमराज एम को निष्कासित कर दिया. जिसके बाद दोनों दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए.
दिसंबर 2022 में शीतकालीन अवकाश के साथ ही छात्रों का आंदोलन खत्म हुआ.
30 दिसंबर 2022 को 5 फैकल्टी मेंबर्स को यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नोटिस में यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसलों पर सवाल उठाने, छात्रों को आंदोलन के लिए उकसाने, अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करने और विश्वविद्यालय के नियमों के उल्लंघन सहित अन्य मुद्दों पर जवाब मांगा गया.
2023 में ऐसे आगे बढ़ा मामला
16 जनवरी, 2023 को फैकल्टी मेंबर्स ने नोटिस का जवाब दिया.
मई 2023 में विश्वविद्यालय प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन में फैकल्टी मेंबर्स की भागीदारी की जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन किया.
19 मई, 2023 को FFC के साथ बातचीत के दौरान फैकल्टी मेंबर्स से 132 से 246 प्रश्नों के जवाब लिखित में देने को कहा गया.
चार शिक्षकों ने 19 मई को सवालों का जवाब नहीं दिया, बल्कि 25 मई को कार्यवाहक अध्यक्ष से इस मुद्दे पर चर्चा करने और यदि आवश्यक हो तो कोई स्पष्टीकरण देने के लिए एक बैठक के लिए अनुरोध किया.
16 जून को विश्वविद्यालय ने आदेश जारी कर चारों शिक्षकों को निलंबित कर दिया.
19 जून, 2023 को फैकल्टी मेंबर्स ने कार्यवाहक अध्यक्ष को लिखित में जवाब दिया, और उनके खिलाफ हुई कार्रवाई को अवैध बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग की.
JNU शिक्षक संघ ने जताया विरोध
फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन SAU के निलंबित फैकल्टी मेंबर्स के समर्थन में उतर आया है. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबित, फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में निलंबन के आदेश को बिना शर्त वापस लेने की मांग की है.
वहीं, जेएनयू शिक्षक संघ (JNUTA) ने निलंबन का विरोध जताते हुए कहा कि "SAU प्रशासन द्वारा चार फैकल्टी मेंबर्स को दिया गया निलंबन आदेश फैकल्टी और छात्रों को डराने और चुप कराने का एक प्रयास है जो प्रशासन की मनमानी और सत्तावादी कार्रवाइयों के खिलाफ आवाज उठाते हैं."
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