शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) ने सोमवार, 27 जून को 2018-19 और 2019-20 के लिए पहली बार जिला स्तरीय परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI-D) रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 की तुलना में 2019-20 में स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव दिखने को मिला है. देश के करीब 365 जिलों में स्कूली शिक्षा का स्तर उत्तम या उससे भी बेहतर पाया गया है. हालांकि, डिजिटल लर्निंग के मामले में स्कूलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. 180 जिलों का स्कोर 10 फीसदी से भी कम रहा है.
कैसा रहा स्कूलों का परफॉर्मेंस?
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के करीब 365 जिलों में स्कूली शिक्षा का स्तर उत्तम या उससे बेहतर है. देश के 3 जिलों ने 'उत्कर्ष श्रेणी' में जगह बनाई है. हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 और 2019-20 में कोई भी जिला उच्चतम ग्रेड 'दक्ष' में नहीं पहुंच पाया है. जिसका मतलब है कि आने वाले सालों में स्कूली शिक्षा में जिलों को और सुधार करने की जरूरत है.
2019-20 में तीन जिलों ने 80 फीसदी से अधिक अंक पाकर उत्कर्ष ग्रेड में जगह बनाई है. 2018-19 में इस ग्रेड में एक भी जिला नहीं था. इलके अलावा, 2018-19 से 2019-20 के दौरान अतिम उत्तम ग्रेड में जिलों की संख्या 49 से बढ़कर 86 हो गई है.
PGI-D रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 की तुलना में 2019-20 में 8 जिलों ने अपने स्कोर में 20 फीसदी से अधिक का सुधार किया है. वहीं, 14 जिलों ने अपने स्कोर में 10 फीसदी से अधिक का सुधार किया है. अन्य 423 जिलों ने अपने प्रदर्शन में 10 फीसदी से कम सुधार किया है, लेकिन 2019-20 में उसी ग्रेड में बने हैं.
यह रिपोर्ट 9 श्रेणी में तैयार की गई है. इसमें पहली दक्ष श्रेणी है. इसके अलावा उत्कर्ष, अति उत्तम, उत्तम, आकांक्षी जैसे श्रेणी हैं. आपको बता दें कि, वर्ष 2018-19 में स्कूली शिक्षा की यह परख सिर्फ 54 बिंदुओं पर की गई है, जबकि वर्ष 2019-20 में इसकी परख 83 बिंदुओं पर की गई है.
डिजिटल लर्निंग का क्या है हाल?
PGI-D रिपोर्ट 2019-20 के मुताबिक देशभर के स्कूलों ने डिजिटल लर्निंग (Digital Learning) की श्रेणी में बेहद खराब प्रदर्शन किया है. इंडेक्स में 180 जिलों ने डिजिटल लर्निंग में 10 फीसदी से कम स्कोर किया है. वहीं 146 जिलों ने 11 से 20 फीसदी, जबकि 125 जिलों ने 21 से 30 फीसदी के बीच स्कोर किया है.
रिपोर्ट में डिजिटल लर्निंग के मामले में ग्रामीण और शहरी इलाकों में साफ अंतर पता चलता है. दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरों के जिलों ने 50 में से 25 से 35 के बीच स्कोर किया है. वहीं बिहार के अररिया और किशनगंज जैसे जिलों ने मात्र 2 अंक स्कोर किया है. वहीं असम के दक्षिण सलमारा-मनकाचर और त्रिपुरा के धलाई जैसे जिलों ने 1 स्कोर किया.
डिजिटल लर्निंग श्रेणी में 20 जिलों के स्कोर में 20 फीसदी से अधिक का सुधार हुआ है. वहीं 2018-19 की तुलना में 2019-20 में 43 जिलों ने 10 फीसदी से अधिक का सुधार किया है. जिसकी वजह से ग्रेड-स्तरीय प्रगति हुई है.
डिजिटल लर्निंग में कैसे पिछड़े?
शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि, जब देश महमारी काल में प्रवेश कर रहा था, उस वक्त करीब 61 फीसदी जिलों में छात्रों का डिजिटल लर्निंग से एक्सपोजर कम था. कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधाओं, स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कम उपलब्धता भी इसके कारण हैं.
क्या होता है परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI)?
‘परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स’ (Performance Grading Index- PGI) देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की शिक्षा क्षेत्र में परफॉर्मेंस को जांचने के लिए जारी किया जाता है. शिक्षा मंत्रालय इसे जारी करती है. इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ‘स्कूली शिक्षा’ की ग्रेडिंग की जाती है.
शिक्षा मंत्रालय ने पहली बार 2019 में 2017-18 के संदर्भ में ‘परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स’ (PGI) जारी किया था. मंत्रालय के मुताबिक इस रिपोर्ट का उद्देश्य जिलों के बीच एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है, जो उन्हें अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रेरित कर सके.
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