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ड्रॉप-आउट रोकने के लिए अगले पांच वर्ष तक शिक्षा मंत्रालय देगा स्कॉलरशिप

ड्रॉप-आउट रोकने के लिए अगले पांच वर्ष तक शिक्षा मंत्रालय देगा स्कॉलरशिप

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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति (एनएमएमएसएस) को अगले पांच वर्षों तक जारी रखेगा। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने (ड्रॉप-आउट) से रोकने के लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान करना और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है।

इसके लिए कुल 1827.00 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रबंध को मंजूरी दी गई है। हालांकि इस छात्रवृत्ति की पात्रता संबंधी मानदंड में मामूली बदलाव किए गए और हैं। इस योजना को नवीकरण संबंधी मानदंड में संशोधन के साथ जारी रखने की मंजूरी दी गई है। यह छात्रवृत्ति अब वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए मंजूर की गई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक पात्रता संबंधी मामूली बदलावों में आय सीमा को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये प्रति वर्ष किया गया है।

शिक्षा मंत्रालय ने औपचारिक जानकारी में बताया कि इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष नौवीं कक्षा के चयनित छात्रों को 12,000 रुपये प्रति वर्ष (1000 रुपये प्रति माह) की एक लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त तथा स्थानीय निकाय के स्कूलों में अध्ययन के लिए दसवीं से बारहवीं कक्षा में छात्रों का नामांकन जारी या नवीकरण किया जाता है।

छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए छात्रों का चयन राज्यों सरकारों द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से किया जाता है। इस योजना से संबंधित विवरण राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर उपलब्ध हैं। यह छात्रवृत्ति प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड का अनुसरण करते हुए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण द्वारा सीधे छात्रों के बैंक खातों में भेजी जाती है। योजना के तहत शत-प्रतिशत निधि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।

यह निरंतर जारी रहने वाली योजना है और वर्ष 2008-09 में इस योजना की शुरूआत के बाद से वर्ष 2020-21 तक 1783.03 करोड़ रुपये के खर्च से 22.06 लाख छात्रवृत्तियां स्वीकृत की जा चुकी हैं।

इस योजना के लिए स्वीकृत 1827.00 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 14.76 लाख छात्रों को छात्रवृत्तियां वितरित करने का प्रस्ताव है।

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