ADVERTISEMENTREMOVE AD

डीयू में एडमिशन नियम बदलने से बवाल,अदालत पहुंचा मामला 

डीयू के ए़डमिशन नियमों में बदलाव को लेकर विवाद, सबसे ज्यादा इकोनॉमिक्स में एडमिशन नियमों में चेंज को लेकर हंगामा है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन दाखिले के लिए योग्यता के पैमाने से जुड़े नियमों में बदलाव से विवाद पैदा हो गया है. छात्र-छात्राओं के साथ यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों ने इस बदलाव का विरोध किया है. एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों ने इन नियमों को मनमाना और गैर जरूरी करार दिया है और वाइस चासंलर योगेश त्यागी को चिट्ठी लिख कर इन्हें बदलने की मांग की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस चिट्ठी में एडमिशन के लिए बनाए गए नियमों की खामियां गिनाई गई हैं. छात्र-छात्राओं में सबसे ज्यादा गुस्सा बीए इकोनॉमिक्स (ऑनर्स) में एडमिशन के नियमों में बदलाव को लेकर है. इस कोर्स में एडमिशन के लिए गणित को बेस्ट फोर सबजेक्ट में शामिल करना अनिवार्य बना दिया गया है.

इस मामले में वीसी को लिखी गई चिट्ठी में दस्तख्त करने वाले एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर राजेश झा ने द क्विंट से कहा

दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रोसेस शुरू होने में अभूतपूर्व देरी हुई है. इसके साथ ही दाखिला प्रक्रिया यूनिवर्सिटी प्रशासन के मनमाने फैसले से भरी हुई है. इससे दाखिला लेने वालों में काफी चिंता है. यह सब वाइस चालंसर की ओर से वैधानिक निकाय की अनदेखी और नियम-कानूनों को तोड़ने से हो रहा है.

क्या-क्या बदल गया है?

इकोनॉमिक्स (ऑनर्स) में एडमिशन के लिए बेस्ट ऑफ फोर में गणित को अनिवार्य करने के अलावा बीकॉम (ऑनर्स), बीएससी (ऑनर्स) और बीए (प्रोग्राम) की eligibility criteria में चेंज किया गया है. जैसे बीकॉम (ऑनर्स ) के लिए छात्र-छात्राओं के पास मैथ या या बिजनेस मैथ में 50 फीसदी मार्क्स होने चाहिए. कुल मिला कर 60 फीसदी मार्क्स चाहिए. नई शर्तें भी जोड़ी गई हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एससी,एसटी,ओबीसी और गरीब छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित

एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य सुधांशु कुमार ने कहा कि इस तरह के फैसले का उल्टा असर गरीब और हाशिये के समुदाय से जुड़े छात्रों से पड़ेगा. पिछले दो साल के दौरान नए वीसी के आने के बाद एससी,एसटी और ओबीसी समुदाय के लिए रिजर्व्ड 6000 से 7000 सीटें भर नहीं पाई हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

झा और कुमार दोनों ने आरोप लगाया कि एकेडेमिक काउंसिल को Eligibility criteria में बदलाव के वक्त विश्वास में नहीं लिया गया. उनका कहना था कि एग्जीक्यूटिव और एकेडेमिक काउंसिल की शुचिता बरकरार रखनी चाहिए थी और किसी भी परिवर्तन से पहले डिबेट और डिस्कशन होना चाहिए था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मामला अदालत में

एडमिशन के लिए जरूरी शर्तों में बदलाव से पैदा हुए विवाद के बाद ये मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट में है. 12 जून को इस मामले में दायर याचिकाओं पर अदालत ने केंद्र और दिल्ली यूनिवर्सिटी दोनों से जवाब मांगा था. अगली सुनवाई 14 जून को होगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×