राजस्थान (Rajasthan) में हरी मिर्ची (Green Chilli Price) के बढ़ते दामों ने आम उपभोक्ता को तेज मिर्च लगा दी है. मिर्च के भावों ने अब तक के सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं. खुदरा बाजार में इसके दाम डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. वहीं मुहाना सब्जी मण्डी में हरी मिर्च सौ से एक सौ दस रुपए प्रति किलो तक बिक रही है.
फसल में कीड़ा लगने के कारण बढ़े दाम
सामान्य दिनों में खुदरा बाजार में बीस से तीस रुपए प्रति किलो हरी मिर्च उपलब्ध रहती है. सब्जी करोबारियों की मानें तो पहले कभी भी मिर्च के भाव इतने नहीं रहे. यह अब तक हरी मिर्च के भाव का रिकॉर्ड है. दुकानदार सब्जी के साथ मुफ्त हरी मिर्च वैसे ही डाल देते थे, लेकिन अब मु्फ्त मिर्च लेना सपने सा हो गया है.
हरी मिर्च के चढ़ते भाव का कारण इसकी फसल में कीड़ा लगना बताया जा रहा है. इसके कारण गुजरात, मध्यप्रदेश और सवाई माधोपुर में मिर्च की फसल तबाह हो गई है. अभी केवल गुजरात से ही मिर्ची की सप्लाई की जा रही है.
मंडियों में सप्लाई आधे से भी कम
मिर्च की सप्लाई मंडियों में आधे से भी कम रह गई है. जयपुर की मुहाना मंडी में हर रोज 70 से 80 टन हरी मिर्च उतर रही है. सामान्य दिनों में इससे तिगुनी उतरती है. खुद व्यापारी भी मिर्च की कम आवक से परेशान हैं. सब्जी कारोबारियों की माने तो अभी करीब दो महीन मिर्च के भाव से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.
कीड़े का सबसे अधिक प्रभाव तेजा व 12 नंबर किस्म की मिर्ची पर पड़ा है. कीड़े के असर के बाद से ये मिर्च आना बंद हो गईं.
राजस्थान में मिर्च की ज्यादातर सप्लाई मध्यप्रदेश के खरगोन जिले की मंडी से होती है. यह मिर्च मंडी एशिया में दूसरे नंबर की मानी जाती है. मिर्च मंडियों में आंध्रप्रदेश की गुंटूर पहले नंबर पर है.
इन इलाकों में होता है मिर्च का सबसे ज्यादा उत्पादन
राज्य में करीब 23,000 हैक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की खेती होती है, जिसमें लगभग 27,000 मेट्रिक टन मिर्च का उत्पादन होता है. जोधपुर, पाली, नागौर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली व भरतपुर मुख्य मिर्च उत्पादक जिले हैं.
राजस्थान की सबसे बड़ी सब्जीमंडी के अध्यक्ष राहुल तंवर का कहना है कि हरी मिर्च के बढ़ते दामों का कारण फसल में कीड़ा लगना है. मध्यप्रदेश से मिर्ची आना बंद है. केवल गुजरात से आ रही है, जो पूरी नहीं पड़ती है. दो महीने में नई फसल आने के बाद ही दाम काबू में होंगे.
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