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Guna: जमीन विवाद में आदिवासी महिला को आग के हवाले किया, वीडियो बनाते रहे आरोपी

Madhya Pradesh: पीड़ित पक्ष ने पहले जान को खतरा होने की बात पुलिस से कही थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई- पीड़ित

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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गुना (Guna) में एक आदिवासी महिला (Aadivasi Women Burnt) को जिंदा जला दिया गया, पुलिस को महिला जली हुई अवस्था में मिली. महिला आरोपियों से जान बचाने की गुहार लगाती रही लेकिन आरोपियों ने जान बचाने की जगह उसका वीडियो बनाया. इस मामले में पुलिस ने फिलहाल 2 लोगों को हिरासत में ले लिया है.

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ये मामला गुना के पास बमोरी के धनोरिया गांव की हैं जहां आदिवासी महिला को जिंदा जलाने का मामला सामने आया है. हादसे के वक्त महिला खेत में थी. आरोपियों ने कथित तौर पर डीजल डालकर महिला को आग के हवाले कर दिया है. महिला 80 फीसदी तक झुलस गई. वो बचाने की गुहार लगाती रही लेकिन आरोपी उसका वीडियो बनाते रहे.

महिला को गंभीर हालत में भोपाल के जिला अस्पताल में पहुंचा दिया गया है. फिलहाल वह बयान देने की स्थिति में नहीं है. महिला के परिजनों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

पुलिस ने बताया कि रामप्यारी बाई उसके पति अर्जुन सहरिया को खेत में जली अवस्था में मिली. अर्जुन ने बताया कि जब वह खेत जा रहा था, तब वहां से कथित आरोपी प्रताप, हनुमत, श्याम किरार, उन तीनों की पत्नियां और मां ट्रैक्टर से भाग रहे थे. उसकी पत्नी रामप्यारी खेत में पेड़ के पास मिली. उसके सारे कपड़े जल गए थे और वहां धुआं निकल रहा था.

मामला क्या है?

पीड़ित महिला के पति अर्जुन ने बताया कि उन्होंने 23 जून को एसपी को आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने आरोपियों से अपनी जान का खतरा होने की बात बताई थी. इससे पहले उन्होंने बमोरी थाने में भी आवेदन दिया था, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया.

फरवरी में आरोपियों ने बमोरी तहसील प्रांगण के पास अर्जुन के साथ भी मारपीट की थी. इसकी भी FIR दर्ज कराई गई थी.

दरअसल यह विवाद साढ़े 6 बीघा जमीन को लेकर है. इस पर एक साल से आरोपियों ने कब्जा कर रखा था. मई में इस मामले का निबटारा करते हुए तहसीलदार ने उस जमीन पर सहरिया परिवार को कब्जा दिलाया था.

एसपी पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि महिला के पति अर्जुन सहरिया की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. फरियादी द्वारा बताए गए तीन आरोपियों प्रताप, श्याम और हनुमत में से दो को हिरासत में भी ले लिया गया है. आरोपियों ने फरियादी पक्ष की जमीन पर कब्जा कर रखा था, जिसे मई में ही मुक्त कराया गया था.

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