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पेगासस पर SC ने पूछा-2 साल बाद क्यों आए, फोन हैक होने पर शिकायत क्यों नहीं की

Pegasus spyware पर सुप्रीम कोर्ट में 9 याचिकाएं दायर की गईं हैं

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spyware) के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से एक सवाल किया. कोर्ट ने कहा, निगरानी का मामला दो साल पहले सामने आया था, अब अचानक आप लोग क्यों आ गए और कोई शिकायत या प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई? हालांकि, कोर्ट अगले हफ्ते याचिकाकर्ताओं को सुनने के लिए सहमत हो गई है और उन्हें भारत सरकार को प्रतियां देने के लिए कहा है.

कई वरिष्ठ वकील जैसे कपिल सिब्बल, श्याम दीवान, सी.यू. सिंह, मीनाक्षी अरोड़ा, राकेश द्विवेदी और अरविंद दातार उन याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, जिन्होंने पेगासस जासूसी के आरोपों को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा, निजता के उल्लंघन का हवाला देते हुए कोर्ट का रुख किया था और अदालत से इस मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया था.

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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा, "अगर समाचार पत्रों में रिपोर्ट सही हैं तो आरोप गंभीर हैं. अधिकांश याचिकाएं विदेशी समाचार पत्रों पर निर्भर करती हैं, लेकिन हमारे लिए जांच का आदेश देने के लिए सत्यापन योग्य सामग्री कहां है? निगरानी का मुद्दा दो साल पहले मई 2019 में प्रकाश में आया था. पता नहीं क्यों इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया, अब अचानक से ये मामला क्यों आ गया?"

अनुभवी पत्रकार एन. राम का प्रतिनिधित्व करने वाले सिब्बल ने कहा, "हमारे पास सूचना तक सीधी पहुंच नहीं है, इसलिए, हम सरकार से हमें यह तथ्य बताने के लिए कहते हैं - इसे किसने खरीदा और हार्डवेयर कहां आधारित था. सरकार चुप क्यों रही, उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? इस तकनीक का उपयोग भारत में नहीं किया जा सकता है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है."

जस्टिस रमन्ना ने इसपर जवाब दिया कि अचानक दो साल बाद क्यों आए? 2019 में, यह बताया गया कि व्हाट्सएप का दुरुपयोग किया गया था, सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, "सच्चाई सामने आनी चाहिए, हम नहीं जानते कि किसके नाम हैंय."

प्रधान न्यायाधीश ने अरोड़ा से पूछा, अगर आपको पता है कि आपका फोन हैक हो गया तो आपने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई? उन्होंने कहा कि सभी याचिकाकर्ता शिक्षित और जानकार हैं, उन्हें समाचार रिपोर्ट के अलावा और अधिक सत्यापन योग्य सामग्री एकत्र करने का प्रयास करना चाहिए था, और हम यह नहीं कहते कि अखबार की रिपोर्ट अविश्वसनीय हैं.

सुनवाई का समापन करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नोटिस स्वीकार करने के लिए भारत सरकार की ओर से किसी को पेश होना चाहिए और मामले को मंगलवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

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