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सोशल मीडिया पर तालिबान से कैसे निपट रहे हैं फेसबुक, ट्विटर और YouTube ?

Facebook, Twitter, YouTube on Taliban: तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से सोशल मीडिया के लिए मुसीबत

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अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद से फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया दिग्गजों को तालिबानी अकाउंट्स और यूजर्स से निपटने के लिए तमाम छानबीन करनी पड़ रही है.

तालिबान की सत्ता में वापसी चिंताजनक है. इसने बोलने की स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों के लिए डर का माहौल बना दिया है. साथ ही यह भी चिंता बन गयी है कि यह देश, वैश्विक आतंकवाद के लिए एक आकर्षण का केंद्र न बन जाये!

इस बीच, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर अभी भी ऐसे चरमपंथी समूह को नेविगेट करने और संभालने का रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं, जिसने एक देश पर कब्जा किया है.
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फेसबुक क्या कर रहा है?

17 अगस्त को, फेसबुक ने एक बयान में कहा कि, वो अपने प्लैटफॉर्म्स से तालिबान की तारीफ, समर्थन या प्रतिनिधित्व करने वाले किसी भी खाते पर प्रतिबंध लगाएगा.

इसमें वॉट्सएप और इंस्टाग्राम भी शामिल हैं, साथ ही यह भी कहा कि फेसबुक तालिबान द्वारा या उसकी ओर से बनाए गए अकाउंट्स को हटा देगा.

'क्विंट हिंदी' को फेसबुक पर तालिबान का कोई आधिकारिक अकाउंट/पेज नहीं मिला.

फेसबुक ने तालिबान को अमेरिकी कानून के तहत एक 'आतंकवादी संगठन' के रूप में नामित किया है और कहा है कि यह आतंकवाद, नफरत को बढ़ावा देने वाले और हिंसा का महिमामंडन करने वाले किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाता है.

कंपनी ने अफगानिस्तान के विशेषज्ञों की एक टीम भी बनाई है. जो दारी और पश्तो बोलने वाले हैं और स्थानीय संदर्भ का ज्ञान रखते हैं. ये टीम उभरते मुद्दों के बारे में फेसबुक को पहचानने और सतर्क करने में मदद कर रही हैं.

कई मीडिया रिपोर्ट्स ने सुझाव दिया है कि तालिबानी संवाद करने के लिए चैट प्लेटफॉर्म वॉट्सएप का उपयोग कर रहे हैं.

"एक निजी संदेश सेवा के रूप में, हमारे पास लोगों की व्यक्तिगत चैट की सामग्री तक पहुंच नहीं है. हालांकि, अगर हमें पता चलता है कि किसी प्रतिबंधित व्यक्ति या संगठन की वॉट्सएप पर उपस्थिति हो सकती है, तो हम कार्रवाई करते हैं"
व्हाट्सएप के प्रवक्ता

ट्विटर की क्या है दुविधा?

जहां फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म तालिबान का समर्थन करने वाले कंटेंट से निपटने के बारे में स्पष्ट हैं. वहीं दूसरी ओर, ट्विटर के पास तालिबान के सदस्यों को अपने मंच का उपयोग करने की अनुमति देने के खिलाफ कोई नीति नहीं है.

'क्विंट' को दिए एक बयान में, एक ट्विटर प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में लोग मदद और सहायता लेने के लिए मंच का उपयोग कर रहे हैं, और कंपनी ने अपनी नीतियों को लागू करने में "सतर्क रहने" का वादा किया है, ताकि हमारी सेवा में उन लोगों की आवाज की रक्षा की जा सके जो मानवीय कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, समाचार मीडिया संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य सहित संरक्षित समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

'क्विंट' को ट्विटर पर तालिबान से जुड़े कई अकाउंट मिले. तालिबानी प्रवक्ताओं में से एक सुहैल शाहीन के ट्विटर पर 347k फॉलोअर्स के साथ एक एक्टिव, अनवेरिफाइड अकाउंट है.

अन्य तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद और डॉ एम नईम के ट्विटर अकाउंट पर क्रमशः 326k और 218k फॉलोअर्स हैं. इस लेख के लिखे जाने तक, तीनों के ट्विटर पर संयुक्त रूप से 845k से अधिक फॉलोअर्स हैं.

गौरतलब है कि ट्विटर ने 6 जनवरी को यूएस कैपिटॉल दंगों पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट अभद्र भाषा और हिंसा का हवाला देते हुए बंद कर दिया था, जबकि यही ट्विटर तालिबान को बोलने के लिए लगातार अपना प्लैटफॉर्म उपलब्ध करा रहा है.
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YouTube क्या कर रहा है?

YouTube ने 'क्विंट' को दिए एक बयान में कहा कि, कंपनी सभी प्रासंगिक अमेरिकी प्रतिबंधों सहित सभी लागू प्रतिबंधों और व्यापार कानूनों का अनुपालन करती है.

YouTube के प्रवक्ता ने कहा, "अगर हमें लगता है कि कोई खाता अफगान तालिबान स्वामित्व वाला है और उसके द्वारा संचालित है और तो हम उसे डिलीट कर देते हैं. इसके अलावा, हमारी नीतियां हिंसा को भड़काने वाली सामग्री को प्रतिबंधित करती हैं."

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि फेसबुक और यूट्यूब दोनों ने कहा है कि तालिबान अमेरिकी कानूनों के तहत एक आतंकवादी संगठन है, जबकि देश ने तालिबान को विदेश विभाग की विदेशी आतंकवादी संगठनों की सूची में मान्यता नहीं दी है. अमेरिका का कहना है कि तालिबान एक आतंकवादी संगठन के बजाय एक विद्रोही, एक क्रांतिकारी समूह है.
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सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के लिए यह मुद्दा एक पहेली

इस स्थिति ने फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को एक दुविधा में डाल दिया है. अगर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म सभी तालिबान खातों को हटा देते हैं, तो वो पूरे देश की सरकार की ऑनलाइन उपस्थिति को खामोश करने का जोखिम उठा सकते हैं, क्योंकि अफगानी लोग मदद और सहायता लेने के लिए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं.

दूसरी ओर, अगर वो तालिबान को सोशल मीडिया पर अधिक लोकप्रिय होने की अनुमति देते हैं, तो वो संभावित रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले शासन के उत्थान को सपोर्ट करने वाले हो सकते हैं.

अटलांटिक काउंसिल की डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च लैब में सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का अध्ययन करने वाले एक वरिष्ठ साथी इमर्सन ब्रुकिंग ने वोक्स को बताया कि यह पहली बार नहीं है, जब तालिबान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से प्रतिबंधित किया गया है.

इस कट्टरपंथी संगठन को पहले भी फेसबुक से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब तालिबान ने अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने के बारे में हिंसक सामग्री पोस्ट की थी.

तालिबान तकनीक की समझ रखने वाला हो गया है और यह दावा करते हुए कि, उसने 1990 के दशक में जितना नुकसान किया था, उतना नुकसान नहीं पहुंचाएगा. तालिबान अब अंग्रेजी भाषा में प्रेस बयान देने के लिए वॉट्सएप और ट्विटर जैसी कई सेवाओं का भी उपयोग करता है.

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