तमिलनाड़ु में बिहार के श्रमिकों से जुडे़ फेक वीडियो (Viral Fake Video) शेयर करने और जान बूझकर हिंसा के लिए उकसाने के आरोपी यूट्युबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) ने शनिवार, 18 मार्च को खुद ही जगदीशपुर थाने में सरेंडर कर दिया था.
इस मामले में अब पुलिस ने बताया है कि कैसे पुलिस और अपराध इकाई ने मनीष कश्यप को पकड़ने के लिए अभियान चलाया और कैसे वो आत्मसर्पण करने को मजबूर हुआ.
कैसे पकड़ा गया मनीष कश्यप?
पुलिस ने रविवार, 19 मार्च को बताया कि तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों से जुड़े फेक वीडियो, फोटो, मैसेज उत्तेजना और भय का वातावरण पैदा करने के लिए जानबूझकर शेयर किए गए. इसमें आरोपी मनीष कश्यप के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. उसे पकड़ने के लिए आर्थिक अपराध इकाई में पुलिस सब-इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया था.
ये टीम मनीष कश्यप की गिरफ्तारी के लिए बिहार, दिल्ली, सोनीपत, हरियाणा सहित कई जगहों पर छापेमारी कर रही थी.
इसी क्रम में पुलिस को 18 मार्च को जानकारी मिली कि आरोपी बेतिया की तरफ जा रहा है. पुलिस की स्पेशल टीम ने उसका पीछा करके चकिया चेकपोस्ट के पास इंटरसेप्ट किया. यहां से मनीष कश्यप रास्ता बदलकर भागने लगा. इसके बाद बेतिया और मोतीहारी की पुलिस टीमें भी उसकी खोज में जुट गई.
इसके बाद पुलिस ने बताया कि छापेमारी, आय की स्त्रोतों की जांच, निगरानी और नाकाबंदी से परेशान होकर मनीष कश्यप ने 18 मार्च को खुद बेतिया जिले के जगदीशपुर थाने में आत्मसमर्पण कर दिया.
इसी दिन मझौलिया थाना मामले में मनीष के घर कुर्की जप्ती की कार्रवाई की जा रही थी. पुलिस ने बताया है कि अब मनीष से अपराध इकाई की विशेष टीम पूछताछ कर रही है. इसके अलावा तमिलनाड़ु पुलिस की विशेष टीम भी पूछताछ में जुटी है.
मनीष कश्यप पर अब तक कुल 10 मामले दर्ज होने की सूचना है, जिसमें पुलिस पर हमला, सांप्रदायिक पोस्ट और गतिविधियों में शामिल होने जैसे गंभीर मामले शामिल हैं. इसके खिलाफ वित्तीय अनियमितता के भी सबूत मिले हैं जिसपर पुलिस आगे की जांच कर रही है. पुलिस मनीष को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेने की तैयारी में है.
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