भारत इस वक्त 77वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है. पूरे देश का कोना-कोना तिरंगे के रंगो में रंगा नजर आ रहा है. 15 अगस्त की सुबह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले में झंडोत्तोलन कर देश को संबोधित करेंगे.
ब्रिटिश शासन की लगभग 200 वर्षों की गुलामी से भारत 15 अगस्त 1947 के मध्य रात्रि को आजाद हुआ था. यही वजह है कि 15 अगस्त के दिन हर साल भारत में बहुत ही धूम-धाम से आजादी का जश्न मनाया जाता है. हर जगह ध्वजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. साथ ही देश की आजादी के लिए संघर्ष में शहीद हुए वीरों को नमन किया जाता है.
आखिर 15 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया आजादी के लिए ?
ब्रिटिश शासन के अनुसार भारत को 30 जून 1948 को आजादी दी जाने वाली थी, लेकिन उस समय जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना के बीच भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का मुद्दा शुरू हो गया. जिन्ना के पाकिस्तान की मांग को लेकर लोगों में सांप्रदायिक झगड़े की संभावना बनते देख भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी देने का फैसला लिया गया.
4 जुलाई 1947 को लुईस माउण्टबेटन द्वारा ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल पेश किया गया था. 18 जुलाई को इस बिल को ब्रिटिश संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी देने की घोषणा कर दी गई.
पावर ट्रांसफर 14-15 अगस्त की आधी रात को प्रभावी हुआ. लॉर्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त को कराची, पाकिस्तान में और 15 अगस्त को नई दिल्ली, भारत में समारोहों के साथ सत्ता का हस्तांतरण किया.
15 अगस्त को ही आजादी देने के लिए क्यों अड़े थे माउंटबेटन ?
लार्ड माउंटबेटन की जिंदगी में 15 अगस्त का दिन बहुत ही खास था. इस दिन के खास होने की वजह यह थी कि 15 अगस्त 1945 के दिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण कर दिया था. उस समय ब्रिटिश की सेना में लार्ड माउंटबैटन अलाइड फोर्सेज़ में कमांडर थे. जिसका पूरा श्रेय माउंटबैटन को दिया गया था. जिसके चलते उन्होंने 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मान लिया और भारत की आजादी को इसी दिन में बदल कर इस दिन को और भी यादगार बना दिया.
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस का है यह थीम
इस साल स्वतंत्रता दिवस की थीम 'नेशन फर्स्ट, ऑल्वेज फर्स्ट' यानी 'राष्ट्र पहले, हमेशा पहले' है.
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