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चुनाव से पहले चीन की चुनौती थामने की कोशिश,डोभाल को दी जिम्मेदारी

चीन से अपने विवादास्पद मुद्दे निपटाना चाहता है 

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भारत
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मोदी सरकार चुनाव से पहले चीन से सीमा विवाद पर एक बार फिर बात करने की कोशिश में लगी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल गुरुवार को चीन से सीमा विवाद पर बातचीत करने के लिए दक्षिण पश्चिम इलाके के शहर चेंगदू रवाना हो रहे हैं. डोभाल सीमा सीमा विवाद पर स्पेशल रिप्रजेंटेटिव डॉयलॉग की 21वीं बैठक में हिस्सा लेंगे.

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चीनी विदेश मंत्री लेंगे बातचीत में हिस्सा

हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक डोभाल चीन में स्टेट काउंसिलर और विदेश मंत्री वांग वी से बातचीत करेंगे. बातचीत में पूरा जोर दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बनाए रखने की है. बैठक 23 और 24 नवंबर को होगी. इस मीटिंग को खास तौर पर बीजिंग से बाहर रखा गया है.

विशेष प्रतिनिधि के तौर पर वांग की पहली बातचीत होगी. उन्होंने यांग जिची से यह कार्यभार संभाला था. भारत और चीन के बीच स्पेशल रिप्रजेंटेटिव डॉयलॉग का मैकेनिज्म 2003 में बना था, जिसमें सीमा विवाद को आपसी सहमति और तार्किक ढंग से सुलझाने की बात थी.

इस डॉयलॉग की 20वीं बैठक पिछले साल भारत में हुई थी. भारत-चीन के बीच सिक्किम बॉर्डर के पास डोकलाम में 73 दिनों के गतिरोध के बाद यह पहली बैठक थी.

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भारत पूर्वी लद्दाख के अक्साई चीन इलाके के 38 हजार वर्ग किलोमीटर पर अपना हक मानता है. इसके अलावा वह 5180 किलोमीटर पर भी अपना हक मानता है जिसे 1963 में पाकिस्तान ने चीन को दे दिया था. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक मानता है और इसे साउथ तिब्बत कहता है.
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सीमा विवाद सुलझाने के अलावा डोभाल और वांग वी के बीच एशिया में सुरक्षा मुद्दों और अन्य मामलों पर भी बातचीत करेंगे. वांग इस बात पर जोर डाल सकते हैं. पाकिस्तान से गुजरने वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का निशाना भात नहीं है. बीआरआई पूरी तरह आर्थिक पहल है. भारत शुरू से बीआरआई परियोजनाओं के खिलाफ है. बीआरआई का एक हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. भारत इसे अपना इलाका बताता है.

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